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बचपन

हे पर्भु लोटा दो बचपन 
कहा गई वो मासूमियत नादानियाँ 
भाई बहन के साथ लड़ना झगड़ना 
शैतानिया करना माँ के पीछे चुप जाना
 बात पूरी ना होने पर खाना न खाने की हट करना 
पिताजी से घूमने झूलने की जिद करना 
खा गया वह समय वो बचपन  
हे पर्भु लोटा दो बचपन  वो मासूमियत
आज वह समय याद आता है 
तो खुद को अकेला पाते है 
ना कोई ज़िद पूरी करने वाला 
ना कोई पूछने वाला 
कहा गया वह समय वह बचपन वह मासूमियत 
ऐसा लगता है की समय तेज़ी से घूम रहा है  

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1 Comments

gautam

13-Apr-2021 07:19 PM

hiiiii

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