Navendu

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वादियाँ

न जाने क्यों माँ सी लगती है,

ये वादियां जब हम से मिलती है।
सुनती है सारे दुख सुख,
खुद में समा सी लेती है,
न जाने क्यों माँ सी लगती है।
आँचल हरियाली का फैलाती है,
खुशियाँ मानो हवा में महकाती है,
ये वादियां माँ सी लगती है।
सुकूँ आंखों को मिलता ऐसे,
जैसे माँ ही मुस्काती है।
हाँ रिश्ता है कोई जन्मो जन्मो का,
जो ये वादियां माँ सी लगती है।
प्यासा न कोई होता इसके पास
सीने पे गंगा जमुना लहराती है।
भले बुरे सबको, ये माँ सी दुलराती है।
इसलिए तो ये माँ ही कहलाती है।


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4 Comments

Swati chourasia

16-Nov-2021 01:06 AM

Very beautiful 👌👌

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Navendu

16-Nov-2021 08:25 PM

धन्यवाद

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Aliya khan

15-Nov-2021 09:01 PM

Wah

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Navendu

16-Nov-2021 08:25 PM

धन्यवाद

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