नौकरी का पहला दिन लेखनी प्रतियोगिता -16-Nov-2021
नौकरी का पहला दिन
वो आज खुल कर सांस ले रही थी। बिना सर ढके वो खुद को आजाद महसूस कर रही थी।थोड़ी देर पहले रजिस्टर में अपना नाम लिखते वक्त उसे घबराहट क्यों हो रही थी, क्या वो अपना नाम भूल गई है या लिखना ही भूल गई है।
पन्द्रह साल पहले एम बी ए किया था उसने और एक मल्टिनैशनल कंपनी में काम करने का सपना पूरा होने से पहले ही विवाह बंधन में बंध गईं।पढ़ाई के दौरान ही राजेश उसके जीवन में आया और माता पिता की सहमती से दोनों विवाह बंधन में बंध गए।
"रिया बेटा अब तुमने जो फैसला लिया है शादी करने का वो सोच समझ कर ही लिया होगा। पर अपने कैरियर को दांव पर मत आने देना।" जब पिता ने अपनी चिंता जताई तो रिया ने भरोसा दिलाया ऐसा नहीं होगा पापा, राजेश मुझे नौकरी करने से कभी नहीं रोकेंगे। पर हुआ वही जिसका डर रिया के पिता मोहनलाल जी को था। रिया विवाह के बाद राजेश के साथ उसके माता-पिता ,दादी और चाचा चाची के साथ बड़े से संयुक्त परिवार में घर गृहस्थी फिर अपने बच्चों में इस तरह डूब गई कि भूल ही गई कि वो एम बी ए कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी।
राजेश उसे बहुत प्यार करता था पर माता पिता की हर बात मानता। राजेश की मां खुद भी परिवार में रहकर अपने नृत्यांगना बनने के सपने को पूरा ना कर पाई। राजेश की दादी बहुत ही पुराने विचारों की थी। वो तो समझती थी कि औरत की जिंदगी तो सिर्फ घर की दहलीज तक ही सीमित है।
रिया अतित से लौटती है जब उसके पास रखा फोन घनघना उठता है।
हैलो..
"रिया मिश्रा जी आप मेरे कैबिन में आईऐ।"
रिया बॉस की आवाज सुन यस सर कहकर अपनी कुर्सी से उठ बॉस के कैबिन की तरफ चल पड़ी।
कई सालों बाद उसमें पुनः आत्मविश्वास लौट आया ।
"मे आई कम इन सर..?"
"यस कम रिया जी, प्लीज़ सिट डाउन...
आपको ये कंपनी इस महीने की एडवांस सैलरी और कंपनी की तरफ से फ्लैट की चाबी और कार दी जा रही है।
हम हैरान हैं कि आप जैसी होनहार टॉपर स्टुडेंट के पास कोई वर्क एक्सपीरियंस नहीं है, पर हमें उम्मीद है आप इस कंपनी में पूरा योगदान देंगी।ये नए प्रोजेक्ट की हेड आप हैं। "
रिया को विश्वास ही नहीं हो रहा था अपने बॉस की बातों का, नौकरी के पहले दिन ही एडवांस सैलरी फ्लैट और गाड़ी की चाबी के साथ इतने बड़े प्रोजेक्ट की हेड बनना। एक सपना तो नहीं देख रही सोचते हुए प्रोजेक्ट फाईल के साथ साथ चाबी और सैलरी का चैक हाथ में लिए सर की कैबिन से बाहर निकली ही थी कि वहां खड़े स्टाफ ताली बजा उसको बधाई दे रहे थे।
घर आकर रिया ने सासूमां को पूरे दिन के बारे में बताया, सासूमां के कारण ही आज उसे बाहर नौकरी करने की इजाजत मिली थी।अपने लिए कभी ना बोल सकने वाली रतना राजेश की मां ने अपनी बहु रिया के लिए अपनी सासू मां की पुरानी विचारधारा को बदला और समझाया , "मां रिया नौकरी करना चाहती है तो इसमें बुराई नहीं ।वो पढ़ी लिखी समझदार लड़की है। आपने मुझे जैसा चाहा मैं वैसा ढलती गई पर अपनी बहु के सपनों को दफ़न ना होने दूंगी।"
बगावत ही तो कर बैठी थी अपनी बहु रिया के लिए रतना जी अपनी सासू मां से। कुछ दिन बाद उन्होंने भी अपनी स्वीकृति दे दी।
रिया मिठाई का डिब्बा लिए दादी सास के पांव छूकर गले लग जाती है..
थैंक्यू थैंक्यू सो मच दादी मां, आज नौकरी का पहला दिन बहुत अच्छा रहा और आप जल्दी से तैयार हो जाओ हम सब नई गाड़ी में मंदिर जा रहे हैं।
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कविता झा'काव्या कवि'
सर्वाधिकार सुरक्षित
#लेखनी कहानी प्रतियोगिता (16.11.2021)
Shilpa modi
17-Nov-2021 10:54 AM
शानदार प्रस्तुति
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anupama patwari
16-Nov-2021 08:52 PM
super👌👌
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Seema Priyadarshini sahay
16-Nov-2021 08:45 PM
बहुत खूबसूरत कहानी लिखी आपने कविता जी। 👌👌👌👌
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