बचपन
गुजरा जमाना
यादों में कहीं रह गया
ताउम्र ढूंढते रहे जिसे
लौट कर ना आया
फिर बचपन हमारा ...
उन गलियों से गुजरना
अब रास न आया
बिछडे बचपन को पाना
एक ख्वाब सा रहा
अलहड सी मुस्कान में
निर्मल प्रेम बह गया
फरेब की दुनिया में
मासूम बचपन खो गया
बचपने में हम जिंदा थे
खुलकर जी रहे थे
जबसे हम बढें हुए
जीवन जीना भूल गए
खुद से बिछडकर जमाना हुआ
जिंदा हैं पर जिन्दगी कहा
खोजते रहते यहाँ वहाँ
बचपन हमारा हैं कहा
जिम्मेदारीयों से घिरे
बोझ में है लदे हुए
अब खिलखिलाते चेहरे है कहा
गाँव की गलियों में छूटा बचपन हमारा
जिन्दगी की शाम में
सुबह की तलाश है
लौटना जहाँ मुमकिन नहीं
पीछे रह गया बचपन हमारा ..।।
Mr.RED(मनोरंजन)
12-Jun-2021 09:16 PM
मस्त👌👌😊
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Sapna shah
17-Jun-2021 02:38 PM
धन्यवाद
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Seema Priyadarshini sahay
12-Jun-2021 09:15 PM
सुंदर..👌👌💐
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Sapna shah
17-Jun-2021 02:38 PM
जी शुक्रिया
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Sneh lata pandey
12-Jun-2021 08:48 PM
बहुत सुंदर
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Sapna shah
17-Jun-2021 02:39 PM
धन्यवाद 😊
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