सैयां की लंबी उम्र माँगते हैं...
तुम चाँद देख ईद मनाते हो....
हमने तो महबूबा को चाँद कहा .....
बच्चों ने मामा कह रिश्ता बनाया...
किसी गरीब ने तो रोटी कह कर पुकारा उसको.....
किसी ने मिट्टी पत्थर का ढेर कहा....
उपहास किया....
उसने तो सबको ही गले लगाया....
ठंडक दे रोशनी दे दी..…
हमनें ही सहूलियत देख अपनी
कर दिया बंटवारा उसका भी....
कभी हिंदुओं का ईश्वर बताया.….
तो कभी मुसलमानों का मशीहा...
कभी पूजा में शामिल किया ....
तो कभी दुआओं में....
वो बैठा ऊपर हँसता हमपर....
देता संकेत इशारों में .....
होकर बड़ा, समा लो सबको....
छोटे हो तब ,बस जाओ दिल में....
मेरी नज़रों से देखो दुनिया....
सब अपने लगने लग जायेंगे....
सब अपने होने लग जायेंगे....
अर्चना तिवारी
Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Aug-2022 07:15 PM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब ,,, बहुत ही शानदार संदेश देती हुई कविता,,,, outstanding
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OMESHWAR PATHAK
22-Apr-2021 12:25 PM
धन्यवाद अर्चना जी. बहुत अच्छा लगा
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Archana Tiwary
21-Apr-2021 11:01 PM
Thanq
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