Archana Tiwary

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चाँद

चाँद को देख हम व्रत खोल 

सैयां की लंबी उम्र माँगते हैं...
तुम चाँद देख ईद मनाते हो....
हमने तो महबूबा को चाँद कहा .....
 बच्चों ने मामा कह रिश्ता बनाया...
किसी गरीब ने तो रोटी कह कर पुकारा उसको.....
किसी ने मिट्टी पत्थर का ढेर कहा....
उपहास किया....
उसने तो सबको ही गले लगाया....
ठंडक दे रोशनी दे दी..…
हमनें ही सहूलियत देख  अपनी
कर दिया बंटवारा उसका भी....
कभी हिंदुओं का ईश्वर बताया.…. 
तो कभी मुसलमानों का मशीहा...
कभी पूजा में शामिल किया ....
तो कभी दुआओं में....
वो बैठा ऊपर हँसता हमपर....
देता संकेत इशारों में .....
होकर बड़ा, समा लो सबको....
छोटे हो तब ,बस जाओ दिल में....
 मेरी नज़रों से देखो दुनिया....
सब अपने लगने लग जायेंगे....
सब अपने होने लग जायेंगे....
अर्चना तिवारी




 





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6 Comments

लाजवाब लाजवाब लाजवाब ,,, बहुत ही शानदार संदेश देती हुई कविता,,,, outstanding

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OMESHWAR PATHAK

22-Apr-2021 12:25 PM

धन्यवाद अर्चना जी. बहुत अच्छा लगा

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Archana Tiwary

21-Apr-2021 11:01 PM

Thanq

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