Lekhika Ranchi

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लोककथा संग्रह

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तिरुवातिरा त्यौहार : तमिलनाडु लोक-कथा

एक बार एक राज्य था जो कि कावेरी नदी के किनारे था और वहाँ बाढ़ आ गई, तो उस राज्य के राजा ने अपनी प्रजा को आदेश दिया कि सभी घरों से कम से कम एक व्यक्ति नदी के किनारे रेत को इस तरह से लगाया जाये कि बाढ़ का पानी राज्य में ना आने पाये। और जो राजा का आदेश नहीं मानेगा वह दंड का भागी होगा। सभी घरों से एक एक व्यक्ति इस काम में लग गये। उसी राज्य में एक बुढ़िया रहती थी जो कि मिठाई बनाकर बेचकर अपना गुजारा करती थी और उसका कोई बेटा भी नहीं था, वह सोच में पड़ गई कि क्या किया जाये। मेरे बस में रेत को नदी के किनारे लगाना है नहीं और मेरे घर में कोई भी नहीं है, शाम को मुझे दंड मिलना निश्चित है।

तभी बुढ़िया ने अपने आराध्य देव शिवजी का ध्यान किया और उनकी पूजा करने लगी और साथ ही साथ दंड की भी चिंता कर रही थी, तो शिवजी एक गड़रिये के भेष बनाकर बुढ़िया माँ के सामने प्रकट हुए और कहा कि बुढ़िया माँ मैं तुम्हारा काम कर सकता हूँ पर उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा, तो बुढ़िया ने कहा कि मेरे पास तो रूपये पैसे नहीं हैं, मेरे पास तो केवल मिठाईयाँ हैं, मेरे काम के एवज में ये मिठाई ले सकते हो। शिवजी तैयार हो गये और मिठाई खाने में मस्त हो गये। शिवजी मिठाई खाने में मगन हो गये और काम को भूल गये, बुढ़िया को चिंता होने लगी। शाम को जब राजा राज्य के भ्रमण पर निकला तो देखा कि बुढ़िया को दी गई जगह पर रेत नहीं लगाई गई है, तो राजा ने पूछा कि यह कौन है जिसने अपना कार्य पूरा नहीं किया है, तो बुढ़िया बोली कि ये मेरी जगह है और इस चरवाहे ने तय किया था कि मिठाई के बदले में यह मेरा काम करेगा परंतु यह केवल मिठाई खाता रहा और काम नहीं किया।

चरवाहा अभी भी मिठाई खाने में मगन था, राजा ने चरवाहे से पूछा कि तुमने बुढ़िया माँ का काम क्यों नहीं किया और बुढ़िया माँ को धोखा दिया तुम्हें तो सजा मिलनी चाहिये। राजा ने जोर से बेंत से चरवाहे के पीठ पर मारा तो इतनी जोर से लगा कि जैसे बस खून ही निकलने वाला हो, और वहाँ खड़ी प्रजा भी उसी तरह कराहने लगी, सारी प्रजा को भी उतनी ही तेज पीड़ा हुई, राजा ने बेंत फ़ेंकी और चरवाहे से पूछा कि आप कौन हैं और यहाँ क्या करने आये हैं, चरवाहे ने अपना असली शिव रूप सामने लाया और संपूर्ण राज्य को आशीर्वाद दिया कि आज के बाद इस राज्य में कावेरी नदी की बाढ़ से राज्य परेशान नहीं होगा, और आज का दिन तिरुवातिरा के नाम से मनाया जायेगा और आज के दिन जिन मिठाईयों का सेवन मैंने किया है, वही मिठाईयाँ बनाई जायेंगी।

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साभारः लोककथाओं से साभार।

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1 Comments

Farhat

25-Nov-2021 03:19 AM

Good

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