Sahil writer

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दूरिया





दो गज़ की दुरी है 

मास्क लगाना हम सब की मज़बूरी है 

प्यार मोहब्बत को ना रखो पास तुम 

अब तो दूर दूर की बची  ही रिस्तेदारी है 

हाथ हाथ से ना मिलाना तुम 

इससे ही फैलती तो ये बीमारी है 

ये कैसा नया दौर आया है 

यारियां निभाना ही हम पे भरी है

घर मे ही रहो प्यारो इसमें ही हमारी समझदारी है 

बाहर निकालो गऐ तो देखो यमराज की सवारी है 

छुआ छूत की आई ये अजब तबही  है 

कहाँ तक चलती है अब किस किस की गाड़ी है 

जान के लाले पड़े  हुए है हम सब के अब तो 

एक से अनेक सुना करते थे यहाँ तो बाबा हजारों है 

Sahil writar...... 










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1 Comments

लाजवाब लाजवाब बेहतरीन,,,, तात्कालिक परिस्थितियों का सजीवता के साथ चित्रण

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