NEELAM GUPTA

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2021बाल विवाह

बाल विवाह ।


कितनी प्यारी गुडिया है।काश मेरे घर भी ऐसी प्यारी परी आ जाए।रास्ते में जाते हुए एक बच्ची को देखकर ,कश्मीरी ने सोचा।


कश्मीरी की पढ़ाई शहर मे पूरी हुई उसके मात पिता ने सही उम्र मे ही उसकी शादी की अब उसके दो बेटे हैं, उसे एक लड़की की बहुत चाहत थी ।


लेकिन हर चाहत पूरी कहाँ होती हैं।सब अपने हाथ में नहीं होता हैं।सब करनेवाला. तो ऊपर बैठा है।हम सब तो बस एक कठपुतली की भाँति उसकी हाथों की डोर के मुताबिक नाचते रहते है।


बेटियां घरों की रौनकें होती हैं ।मां के करीब, उसके दिल की चाहत का पूरा ध्यान रखने वाली, इसलिए कश्मीरी भी एक बेटी की चाहत रखती थी।जब भी कोई लड़की देखती बहुत भावविभोर हो जाती।


कश्मीरी....यहीं रोक दो, मेरी सहेली का घर आ.गया है।कितने साल हो गए उससे मिले हुए।इसी सोच में वह अपनी सहेली के घर के दरवाजे तक पहुंच गई।


एकदम से सरला कश्मीरी के गले लग गई।कितनी देर से तुम्हारी राह देख रही थी।कश्मीरी की तंद्रा टूटी और सरला से लिपट गई।देख ले आ ही गई ।तुने तो भूला दिया था मेरे को।ले मैं आ गई।


बहुत दिनों बाद दोनों सहेलियों को मिलने पर दोनों के चेहरे अलग ही चमक रहे थे।आखिर बचपन की सहेलियां थी।


सरला...सोनी पानी तो ला तेरी माँसी आ गई हैं।तभी दस साल की सोनी ट्रे मे रखकर पानी लाई।


सोनी...नमस्ते माँसी।


कश्मीरी...अरे सरला ये तो कितनी बडी हो गई जब देखा था,गोद में खेलती थी। समय भी कितनी जल्दी निकल जाता हैं ,पता ही नहीं चलता, ऐसा लगता हैं," जैसे कल की ही बात हो"।


आओ बेटा मेरे पास आओ ।कश्मीरी को तो जैसे अपनी बेटी मिल गई।


सरला ...इसके पिता के जाने के बाद बस यहीं मेरा सहारा है।यह संभल जाए तो मेरी भी जिम्मेदारी पूरी हो जाए।


कश्मीरी….।कैसी बातें करती हो सब ठीक हो जाएगा।अभी तो यह बहुत छोटी हैं ।इसको पढ़ा लिखा कर इसको अपने पैरों पर खड़े होने के काबिल बनाओ।


सरला…..सोचती तो हूँ ,लेकिन मेरे पास इतना नहीं है, यदि मैं पढी लिखी होती तो ,नौकरी कर, संभाल लेती।एक तो छोटी उम्र में शादी हो गई,जल्दी माँ बनने से सेहत भी खराब रहती है । दो गर्भपात होने के कारण पहले ही सेहत गिरी रहती थीं और  तीसरे नंबर पर सोनी आई अब मेरी सेहत बिल्कुल खराब हो गई थी वह तो भगवान का शुक्र है धीरे-धीरे मैं ठीक हुई जिससे सोनी को संभाल सकी। ऊपर से सुसराल मे,सारी जिम्मेदारियों के बीच अपने को कहीं खो दिया। 


इनके देहांत के बाद मुझे जमीन जायदाद से भी बेदखल कर दिया।छोटी उम्र में विधवा होने के कारण समाज की बदनियती नजरों से अपने आप को बचाना और इस छोटीसी जान का भी ध्यान रखना मुश्किल हो गया था।


कश्मीरी….सरला तूने दूसरे ब्याह की नहीं सोची।


सरला...मेरे माता पिता तो मुझे पहले ही पराया कर दिया ।मैं रह गई अकेली।और हमारा समाज भी इसकी अनुमति नहीं देता हैं। एक अकेली स्त्री का जीना दुष्वार हो जाता हैं। रास्ते काटों से घिरे दिखते हैं।न कोई छोर नजर आता हैं कि जीवन किसप्रकार पार होगा..


न जाने क्यों ...लड़की को सब बोझ समझते हैं और अपना बहुत जल्द से जल्द यह बोझ ,शादी कर दूसरे के हवाले कर देना चाहते हैं, उसके जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा, इसका किसी को कोई सरोकार नहीं उसकी जिंदगी बने या बिगड़े  किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता बस बाल विवाह किया और अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हुए। बेटियां भी पढ़ लिखकर मात-पिता का सहारा बन सकते हैं क्यों दुनिया वाले इस बात को नकारते हैं बेटियों को कमजोर समझते हैं। जब कि नहीं इस दुनिया की रचयिता है । वैसे तो उसे दुर्गा का रूप मानते हैं और अपनी मजबूरी बताकर ,लड़कियों को कमजोर समझ दूसरे के हवाले कर देते हैं। उसको आने बढ़ने का मौका तो दो अपनी रूढिवादी सोच से बाहर तो निकलो ,फिर देखो कैसे कीचड़ में भी कमल खिल जाएगा। अपनी महक से वह दुनिया को भी महका देंगी।


सरला…."कीचड़ में तो सब धकेलने को तैयार रहते है।लेकिन इज्ज़त देने को कोई तैयार नहीं है"

और ऊपर से मेरी बच्ची को कोई बाप का प्यार दे पाएगा।लोगों की गंदी नजर से बचाने के लिए मुझे अकेले जिंदगी गुजारनी पंसद हैं लेकिन मेरी बच्ची सुरक्षित रहे।


कश्मीरी….ऐसी बात मत कर बालविवाह होना तेरे हाथ में नहीं था।लेकिन अब अपनी जिंदगी सवारनी अपने हाथ में हैं।मेरे साथ चल मैं तुझे पढ़ाऊँगी और सोनी की भी चिंता मत कर वहीं स्कूल मे इसका दाखिला करा देंगे।


सरला….नहीं कश्मीरी मैं तुम्हारे ऊपर बोझ नहीं बनने वाली।मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।


कश्मीरी…..मैं जानती हूँ तु इतनी आसानी से मानने वाली नहीं है। तेरी कला की शहरों में बहुत मांग है।


सरला….सच्ची ,तु सच कह रही हैं।

तो ठीक है एक बार मेरा काम सबको पंसद आया तो मैं तैयार हूं।


कश्मीरी...।ठीक है जब तुझे ठीक लगे मेरे पास आ जाना।


दोनों ने खूब बातें की और कश्मीरी शहर वापस आ गई।


कुछ दिनों बाद सरला अपनी बेटी को लेकर कश्मीरी के पास गई।सरला की कशीदाकारी लेकर एक फैशन डिजाइनर के यहाँ गई।कश्मीरी की बहुत पहुंच थी। सभी लोग कश्मीरी की बहुत इज्ज़त करते थे। 


कश्मीरी….मैंने आप लोगों से बात की थी ना इस काम के बारे में तो देख लीजिए कैसा लग रहा है आपको काम यह काम।


अमित...आप यहां छोड़ जाएगी मैं देख कर बता दूंगा 


अच्छा चलो सरला चलों घर चलो।


सरला...कश्मीरी अभी बता देती तो अच्छा था नहीं तो मैं अपने घर वापस चली जाती।


कश्मीरी...ऐसी भी क्या जल्दी है सरला  चलो घर चलो ।घर जाकर थोड़ा आराम कर लो फिर देखेंगे।


ठीक है .. सरला और उसकी बेटी दोनों कश्मीर के घर चली जाती हैं।


तभी फैशन डिजाइनर अमित जी का फोन आता है ।यह काम बहुत सुंदर है ,हम इसकी अच्छी कीमत आपको देंगे।


कश्मीरी यह बात सरला को बताती है ।यह सुन सरला बहुत खुश होती है।


सरला अब तुम यहीं रहो और अपना काम करो और पैसे भी तुम्हें यहां मिलेंगे तुम मेरे ऊपर बोझ भी नहीं बनोगी और सोनी का एडमिशन भी यहाँ करा देंगे।


समय बीतने लगता है कश्मीरी सरला की पढ़ाई पर ध्यान देने लगती है उसको 10th का बोर्ड की परीक्षा का फार्म भरवा दिया।आबहुत मेहनत करने के बाद कश्मीरी और सरला की मेहनत रंग लाती है वह 10th के बोर्ड की परीक्षा पास कर लेती है।


उधर अमित जी सरला के काम की बहुत तारीफ करते हुए आगे बढ़ने में मदद करते हैं। सरला अपनी लग्न और मेहनत के बलबूते पर अपने पैरों पर खड़ी हो जाती है।


कश्मीरी कहती है तुम अपनी बेटी सोनी की चिंता मत करो इसकी देखभाल मैं कर लूंगी ।अब तुम अपने लिए कोई हमसफर ढूंढ लो जिससे आगे का सफर है आसानी से कट जाए ।बाल विवाह होना तुम्हारे हाथ में नहीं था लेकिन इसकी वजह से अपना जीवन बर्बाद मत करो और आगे का सोचते हुए अपने लिए एक जीवन साथी चुनो और अपने  जीवन को आगे बढ़ाओ।


 मुझे तुम्हारी बेटी बहुत पसंद है अपने बेटे के लिए ।लेकिन जो तुम्हारे साथ हुआ वह इसके साथ नहीं होने दूंगी और जब यह अपने पैरों पर खड़ी होगी तब अपना हमसफ़र स्वयं चुनेगी और अपनी जिंदगी खुशहाल करेगी। 


सरला के बहुत ना नुकर  करने के बाद आखिर सरला  दूसरी शादी के लिए तैयार हो जाती है। नए सपने उसकी आंखों में सजने लगते हैं। उसमें विश्वास झलकने लगता है। पढ़ाई की वजह से उसमें आत्मविश्वास जाग गया है।लोगों की अच्छे से पहचान करने लगी है। अब मैं धोखा नहीं खाएगी जीवन में सिर्फ उसको आगे बढ़ना है। यह सोचते सोचते उसका चेहरा खिल उठा।


बाल विवाह जैसे अभिशाप  से लड़कियों को बचाओ ।बेटियों को खुब पढ़ाओ लिखाओ और सही समय होने पर उनके लिए जीवनसाथी चुनो जो उनके लिए अच्छा हो। यदि कोई ऊंच-नीच हो तो वह अपने हक के लिए लड़ सके। अपने आत्म सम्मान की रक्षा स्वयं कर सके अपने पैरों पर खड़ी होगी तो उसे किसी अन्य की जरूरत नहीं पड़ेगी अपनी संभाल व स्वयं कर सकती है। कच्ची उम्र में शादी कर उनका भोलापन उनका बचपन न छीने।


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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

23-Nov-2021 01:42 AM

बहुत बढ़िया

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Aliya khan

22-Nov-2021 07:38 PM

Adhi ai h mam dubara kare

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NEELAM GUPTA

22-Nov-2021 08:49 PM

दोबारा एडिट की थी तो पूरी नहीं आई। मैंने अभी देखा ।बताने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैंने सही कर दी हैं।

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Swati chourasia

22-Nov-2021 07:22 PM

Very beautiful 👌

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