Archana Tiwary

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महक

आयी वो महक  

लायी पैगाम तेरे आने का....

तब से पहचान हुई है इससे
जब अनजाने में स्पर्श कर  
गुजरे थे तुम एक दिन....

मदहोश करती वो महक
मन में उतरती गयी...
और तुम ...
तुम तो अनजान बेफिक्र
खोये थे ज़िन्दगी में अपने..

कस्तूरी की चाह में 
ढूंढती हिरनी सी बन मैं
ढूंढती रही तुम्हे.....

आज फिर महक लायी है
पैगाम तेरे आने का....

मिलने की आस
स्पर्श का वो अहसास....

अब जो आये
जा न पाओगे
छोड़ मुझे.....

कैद कर लूँगी तुम्हें भी 
महक संग नज़रों में अपने..
अर्चना तिवारी.











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3 Comments

वाह Babut ही खूबसूरत एहसासों से ओतप्रोत सृजन और भावनात्मक अभिव्यक्ति

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Lalita Vimee

19-May-2021 09:10 AM

बहुत खूब 👌🏻👌🏻

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kapil sharma

02-May-2021 09:06 AM

👍👍👍

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