भलाई
\'भलाई\'
एक हाथ गर करे भलाई
तो दूजे को खबर ना हो...
परोपकार का भाव जगे तो
मन में कोई उलझन ना हो...
बदले की ना हो भावना
ह्रदय में कोई छल ना हो...
मन हो पावन गंगा जैसा
अपने पराए का भेद ना हो...
पर्वत जैसी स्थिरता हो
जब मन में विचार भलाई का हो...
स्वार्थ सिद्धी से रहित हो जीवन
विचारों की जब विचारशीलता हो...
भले बुरे का ज्ञान हो सबको
लालच में मन फसा ना हो...
ईश्वर पर आस्था गर हो तो
अंधविश्वास पर विश्वास ना हो...
आडंबरों की आड़ में
भक्ति का अर्थ दूषित ना हो...
प्रत्येक उदाहरण है दुनियां में
देखने की गर इच्छा हो...
भलाई के बदले मगर
कुछ पाने की ख्वाहिश ना हो...
कविता गौतम...✍️
दैनिक प्रतियोगिता हेतु।
Muskan khan
26-Mar-2022 08:14 PM
बहुत ही बेहतरीन
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Zakirhusain Abbas Chougule
04-Dec-2021 09:24 AM
Nice
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Punam verma
03-Dec-2021 08:54 AM
Sundar
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