उम्मीद
गम पसरे इस माहौल में
आ बैठी हूँ इस बाग में
दूबों पर अब भी ओस है
हवाओं में भी ठंढक है
पंछी गाते हैं , कुछ समझाते हैं
उम्मीदें धीरे आ कानों में
कुछ कहती है सहेली बन कर
देखों सूरज की किरनों को
लायी संदेशा आशा की
है हुआ नहीं कोई भी प्रश्न
जिसका हल न निकलता हो
जब आयी कोई मुसीबत तो
हल उसका भी आ जाना है
बस धीरज का दामन थाम कर
मन में उम्मीदें रखनी है
गम तो है कोहरे का टुकड़ा
छाया है तो छंट जायेगा
सुन लो कुदरत की बातों को
मत क़ैद करो पशु पक्षी को
आज घर में रह संकल्प ये लो
कुदरत ने जो वरदान दिया है
मत छेड़ो उनको हक़ दो सबको
गम पसरे इस माहौल में
आशाओं संग उम्मीद रखो
मानवता एक चुनौती है
आगे बढ़ कर स्वीकार करो
अर्चना तिवारी
Shashank मणि Yadava 'सनम'
23-Aug-2022 06:32 AM
बहुत बहुत उम्दा और सशक्त अभिव्यक्ति
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kapil sharma
11-May-2021 11:01 PM
👍👍👍
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