बावरी
प्यार में बावरे मन पर इसका जुनून क्या इस कदर हावी हो जाता है कि वे ऐसे कार्य करने से भी गुरेज नहीं करते जो औरों की नजर में अकृत्य कहलाता है। कितने ही मामले ऐसे हैं जो अनैतिक संबंधों के कगार पर खड़े हैं। या आकर अपनी वीभित्सता दिखाकर खत्म हो चुके हैं या अपनी सजाएं भोग रहे हैं ऐसे अनेक कृत्य जिनसे आप सभी वाकिफ होंगे जिन्होंने मानवता को शर्मसार किया दिखाकर अपने घृणित कार्य।
मानव जीवन है इंसान सीखते सीखते ही सीखता है, समझदार बनता है अपनी गलतियों से ही सीख कर । क्या पछतावा नहीं होता उन्हें फिर कभी,,,
प्यार का यह कैसा रूप है जो
सिवा तेरे कुछ भी भाता नहीं
तेरे नाम के जप के अलावा और कुछ आता नहीं।।
मेरी सुबह, मेरी शाम, मेरी रात भी तू ही
मेरा दिल, मेरा दिमाग, मेरा करार भी तू ही।।
ना मिले, ना दिखे, ना कहे तो यह तड़पता है
धड़कन में बस तेरी धड़क, आहटें ही तो बसता है।।
तेरे लिए लड़ जाऊं, मर जाऊं, हार जाऊं मैं सब कुछ
हां तेरे लिए ही गुनाह कर जाऊं, भूल कर मैं सब कुछ।।
कुएं से पानी भरने के लिए बावरी घड़े लेकर जाती है और कुएं से पानी निकालते रस्सी को खींच रही होती है तभी उसके सामने खेत से काम कर आता हुआ बांवरा नजर आता है। रहते तो एक ही गांव में थे लेकिन यौवन के उस सुरमई दहलीज पर अब पहुंचे थे जहां पर चुंबकीय आकर्षण महसूस होता है। बावरा अचानक खड़ा होकर बावरी को पानी निकालते हुए देखता है बावरी उसे खड़ा देख असमंजस में पड़ जाती है कि उसे पानी पीना है या कोई और बात है बावरा फिर चलते-चलते पलटता है और दूर तक उसे देखते हुए चलता है। उसने अपना चेहरा बावरी की ओर ही किया हुआ था बावरी उस बावरे के ऐसे चाल को देखकर कहती है पगला गया है आज।
अब तो बावरा उससे बातें करने का बहाना भी ढूंढने लगा आखिर इश्क में दोनों की नजरें तो मिल ही गई थी बातें और दिल का मिलना अभी बाकी रह गया था।
गांव की सुनी गलियों में मिलते मिलते अब बातें भी होने लगी समय बीतता गया अब तो दोनों के दिल भी मिल चुके थे।
सपने संजोने लगे शादी के बाद बुढ़ापे तक के सपने सब ख्वाब में से निकलकर हकीकत में ही ढूंढने लगे। जिसके लिए उन दोनों का एक होना भी जरूरी था।
थे तो दोनों एक ही जात के पर
मां-बाप को रास नहीं आया था बावरे का परिवार
इसलिए कुछ अधूरा सा उदास रहने लगा था उनका प्यार।
जब घर परिवार साथ ना दे तो बावरा और बावरी कर भी क्या सकते थे उन्होंने भी एक होने की तरकीब निकाली तरकीब ऐसी की ,,,
एक बदनामी तो हो गई प्यार में हमारी
चल कसर पूरी कर लेते हैं दूसरी की भी ,,,
एक दिन बावरी घर से दूर शहर में जाती है और जाकर किसी घर का दरवाजा खटखटाती है बावरी कहती है मैं प्यासी हूं पानी मिलेगी कहकर उस घर की औरत से पानी मांगती है। उसके अंदर जाते ही वह भी पीछे-पीछे हो लेती है और जाकर पीछे से एक लकड़ी के डंडे को अपना अस्त्र बना कर कहती है सलामती चाहती हो अपनी तो जो चैन गले में पहनी है उसे मुझे दे दो ।अचानक बाहर गया उस औरत का पति आ जाता है दरवाजा खुला ही रह गया था आखिर जो। उसके पति को आया देख वह उस दो तोले सोने के चैन को गटक लेती है।
अब चैन को लाया जाए तो कैसे ???आखिर चीज तो नदारद थी और मुजरिम के सामने वे एक दूसरे को टुकुर टुकुर देखने लगे।
फिर हुई पुलिस कंप्लेंट और उस बावरी को लॉकअप में बंद कर दिया गया बस दिन भर में कई बार केले खिलाए जाने लगे, तीसरे दिन वह चैन भी वापस धरती पर आकर चैन की सांस ले रहा था इसे धुलवा कर उसके मालिक को सौंप दिया गया।
अब जाने क्या होगा बावरी का .....
गांव से 3 दिनों तक लापता बावरी बदनाम हो चुकी थी आखिर गई थी तो कहां और किसके साथ,,,
बावरा तो गांव में ही रहकर उसका इंतजार कर रहा था चौथे दिन उसे गांव में लाया गया।
कुछ समय बाद शादी के लिए लड़का भी ढूंढने लगे आखिर जिसके चले जाने से सारा गांव वाकिफ था तो आसपास के लोग भी जान ही चुके थे।
कुछ समय बाद बावरे के घरवाले बावरी के घर गए उसका रिश्ता लेकर दोनों के द्वारा रचा गया यह खेल आखिर पूर्ण रूप ले रहा था बावरी ने बावरे से तब कहा था बदनाम हो जाने के बाद मुझसे कोई शादी नहीं करेगा फिर हम एक हो ही जाएंगे। शादी हो गई आखिर उनका रचा खेल आकस्मिक रूप से पूरा हो चुका था कहने का मतलब एंडिंग हैप्पी रही, गनीमत है इसमें किसी की जान नहीं गई।
सत्य घटना पर आधारित कहानी को थोड़ी रोचकता के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है
राजेश्वरी ठाकुर