खिलौने
खिलोने
कभी सोचता हूं हम किसी से कम नहीं
फिर समझ आता है इस बात मे कोई दम नहीं।
अगर होता ऐसा तो जन्म मरजी से होता
खिलखिला के हंसता ना पैदा होते ही रोता।
मिलता मुझे सब कुछ जो दिल में मेरे आता
टूटे खिलौनों सा मैं क्यूं बार बार टूट जाता।
समेट लेता खुशियां जहान भर की दामन में अपने
यूं तो ना बिखर जाते मेरे हसीन सपने।
कभी खुशी कभी ग़म का आलम क्या मुझ को साल पाता
जो मैं खुद ही होता अपना भाग्य विधाता।
इक बात तुम्हे बताऊं जो जानता हूं अब मैं
उस खुदा के हाथ में खिलौने हम सभी हैं।
वो जैसे तुमको चाहे वैसे ही मोड़ देगा
खुश खुद को वो रखेगा जो उसकी रहमत पे खुद को सौंप देगा।
कठपुतली है हम सभी उस बाज़ीगर के हाथों
वो कब तुम्हे उठाए कब गिरा के छोड़ देगा।।
आभार - नवीन पहल - ०२.१२.२०२१ 🌹🙏😀❤️
# प्रतियोगिता हेतु
Seema Priyadarshini sahay
03-Dec-2021 12:11 AM
बहुत खूबसूरत
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Kaveri Lily
02-Dec-2021 10:44 PM
बहुत सुंदर
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Swati chourasia
02-Dec-2021 10:31 PM
Very beautiful 👌
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