देश बदल रहा है!
देश बदल रहा है!
कुछ बातें,
जिनपे बहस छिड़ी,
फिर मुद्दा, मुद्दा न रहा।
जिद थी,
सबको अपनी मनाने की
किसी और का कैसे सुने!
हरगिज़ नही
ये मुमकिन नही
मैं बेगुनाह, ये तेरा गुनाह
तेरे गुनाहों का काला चिट्ठा
ले खोल दिया मैंने,
ऐवे ही जो मुँह में आया
बोल दिया मैंने!
अरे साहेब! थोड़ा लॉजिक
तो लगाते,
खुद नही समझे तो
पड़ोसियों को नहीं समझाते।
ऐसे मेरी चुगली करके
तुझे क्या मिलेगा
मेरी थाली में छेद करके
तू कैसे जी लेगा
कोई बदलाव नही, बस
भावना है बदले की
जल रहा है अन्तर्मन
वो सुलग रहा है,
दहक रहा है,
धुँआ उसके घर से उठा
जिम्मेदार मुझे कह रहा
अरे गजब आदमी हो भाई!
थोड़ा खुद में भी झाँको
ताको,
जानो क्या सही क्या गलत!
ऐसे ही कुछ भी कह दोगे?
गजब आदमी है!!
कोई भी नही बदलना चाहता है
खुद में कोई खामी नजर नही आती
वैसे भी जमाने में
जमाने भर की बुराई भरी है
हम क्या करें?
कुछ नही कर सकतें,
देखो ये मेरी लाचारी,
बेचारगी का कारण!
तुम तो समर्थ हो तुम कुछ करो?
अरे हट्ट! सबके सब बहाने हैं
जब मेरा कोई नहीं तो
फिर मैं किसी का क्यों बनूँ?
किसी ने मेरा साथ नही दिया
तो किसी का साथी मैं क्यों बनूँ?
सब चीखते हैं
चिल्लाते हैं,
बेहतर समाज के के लिए,,
कौन बनाएगा??
खैर जैसे भी हो,
जो है चल रहा है
कुछ भी न बदला हाये!
फिर भी, देश बदल रहा है!
मनोज कुमार "MJ"
Shashank मणि Yadava 'सनम'
23-Aug-2022 06:08 AM
बेहतरीन एकदम सटीक
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ANAS•creation
13-May-2021 07:55 PM
👍👍👍😎😎
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मनोज कुमार "MJ"
16-May-2021 07:50 AM
Shukriya
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