AMAN AJ

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आई नोट , भाग 17

    
    अध्याय 3
    दिमागी कैद
    भाग 3
    
    ★★★
    
    शख्स ने अपने सामने खड़ी लड़की को ऊपर से लेकर नीचे तक देखा। वह अपने कपड़े बदल चुकी थी। उसने एक टॉप और शोर्ट्स पहन रखा था। कंधे पर बैग टंगा हुआ था। आंखों पर ब्लैक कलर के चश्मे थे। इन सब को देखने के बाद शख्स का ध्यान दोबारा लड़की के हाथ में मौजूद चाकू की तरफ चला गया।
    
    चाकू को देखते हुए शख्स ने अपने मन में कहा “एक बड़े ज्ञानी सिद्ध महात्मा ने कहा था, जब इंसान की मौत आती है तो वह सबसे पहले उसे साक्षात अपने सामने खड़ी हुई दिखती है। मगर उस ज्ञानी सिद्ध महात्मा ने यह नहीं कहा था कि मौत ऐसी दिखेगी? मतलब वह ऐसे सज धज के आएगी, हाथ में चाकू लिए।”
    
    शख्स कुछ नहीं बोला था तो लड़की ने सामने से दोबारा कहा, मगर इस बार उसने अपने चाकू को तिरछा करते हुए सामने की तरफ कर दिया “बताओ मुझे, क्या तुम मरना चाहते हो?”
    
    शख्स ने ना में सिर हिलाया और कहा “नहीं, फिलहाल तो नहीं...” इसके बाद वह अपने मन में बोला “और तुम...? तुम तो अभी काफी छोटी हो, दुनिया के रंग भी नहीं देखे, इतनी जल्दी क्या पड़ी है मरने की।”
    
    “अगर ऐसा है तो तुम अभी के अभी मुझे फिल्म दिखाने चलो।” लड़की बोली और चाकू को और आगे कर दिया। इतना आगे की चाकू अब शख्स की शर्ट के बटन को छू रहा था।
    
    शख्स ने लड़की की फिल्म वाली बात सुनी तो अपने मन में कहा “व्हाट द... अब यही बाकी रह गया था। यार ऐसे पागल बच्चों को खुला क्यों छोड़ दिया जाता है। कोई इनके गले में रस्सी डालो। आगे कहानी में क्राइम कम है क्या... जो छोटे-मोटे क्राइम को भी मैं अपने सर पर लेता फिरुं।” 
   
    “तुम्हें अभी के अभी मेरे साथ चलना होगा..” लड़की दोबारा बोली और चाकू पर दबाव बढ़ा दिया।
    
    शख्स ने अपना हाथ आगे किया और चाकू को पकड़कर दुर करते हुए बोला “मेरे ख्याल से तुम्हें अपने घर पर जाना चाहिए, तुम्हारे पैरंट्स तुम्हें फिर से बाहर देखेंगे तो दुबारा डांट सुनने को मिलेगी।”
    
    “इस वक्त घर पर कोई नहीं है।” लड़की बोली और दोबारा चाकू सामने की तरफ कर दिया “पापा सुबह से ही गायब है, और मम्मा, नानी की तबीयत खराब हो गई थी तो उन्हें देखने के लिए चली गई हैं। उन्हें हार्ट अटैक आया है तो शायद रात को भी घर ना आए।”
    
    “और तुम घर पर अकेली हो?”
    
    “नहीं!” अचानक लड़की बोली और अपनी आंखें दिखाई “किसने कहा मैं घर पर अकेली हूं, मक्खी, मच्छर, ढेर सारी छिपकलीयां, यह सब घर में मुझे डराने का काम कर रही है। फिर खाली पड़ी फ्रिज, खराब हुई एलसीडी, यह मुझे बोर कर रही है।”
    
    शख्स ने अपने चेहरे पर सामान्य अंदाज दिखाया और कहा “लेकिन देखो, मुझे इस वक्त ऑफिस जाना है तो मैं तुम्हें फिल्म दिखाने नहीं ले जा सकता। तुम चाहो तो खुद जा सकती हो। कोई घर पर नहीं है तो रोकने वाला भी नहीं मिलेगा।”
    
   मगर लड़की ने शख्स की बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया, वह सामने से अपने चाकू को पीछे कर दोबारा आगे करते हुए बोली “तुम मुझे गुस्सा मत दिलाओ... अगर मेरा दिमाग फिर गया तो यह चाकू तुम्हारे दिल के आर पार हो जाएगा। तुम मर जाओगे और किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगेगा तुम्हें किसने मारा क्यों मारा। मुझ पर तो कोई शक भी नहीं करेगा।”
    
    शख्स ने अपने चेहरे के अंदाज को सीरियस किया और अपने मन में कहा “शांत रहो...। लड़की है...। छोटे भी है और किसी चीज की समझ भी नहीं...।” उसने खुद को समान्य किया और एक सीरियस अंदाज वाले शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लड़की से कहा “तुम्हें नहीं लगता यह वजह जान लेने के लिए काफी नहीं है?” 
    
  लड़की ने अपने कंधे उचका दिए “हो सकता है... बट आई डोंट केयर”
    
    शख्स ने आंखे उठाते हुए कहा “मगर मेरे लिए इस वक्त मेरा ऑफिस जरूरी है।”
    
    “ऑफिस तो रोज जाते हो। एक दिन नहीं जाओगे तो क्या हो जाएगा...!”
    
   शख्स अपने मन में बोला  “बहुत कुछ। मैं रोज कहानी लिखने वाला काम करता हूं, अगर आज कुछ ना लिखा तो लोग पढ़ेंगे क्या।” फिर उसने लड़की से कहा “मेरे लिए मेरा काम ज्यादा जरूरी है।”
    
    तभी बाथरूम में शावर बंद होने की आवाज आई। शख्स के चेहरे के भाव और ज्यादा गहरे हो गए। उसने पीछे की तरफ देखा और अपने मन में कहा “यह लड़की मानवी के लिए खतरा बन सकती है। इसे मानवी से दूर रखना होगा।” इसके बाद उसने लड़की की तरफ देखा और मन में कहा “लगता है तुम ऐसे नहीं मानोगी। तुम्हारा भगवान के पास जाने का वक्त आ गया है।” इसके बाद उसने बाहर की तरफ इशारा किया और जाने का कहते हुए बोला “चलो, चलो तुम्हारी मूवी देखने वाला शौक़ पूरा किया जाए।” 
    
    वह बाहर निकला और घर का दरवाजा बंद कर दिया। वही लड़की ने चेहरे पर खुशी दिखाई। उसने चाकू को बैग में रखा और उसे बंद कर दिया। दोनों ही सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे।
    
    सीढ़ियों से नीचे उतरा हुआ शख्स अपने मन में बोला “अब इसके बाद मुझे पढ़ने वाले पाठक कहेंगे मैं बुरा हूं। कई बार लोग खुद ही अपनी मौत को दावत देने के लिए मेरे पास आ जाते हैं, आप ही बताओ क्या करूं मैं। ऐसे इंसानों को भगवान के पास ना भेजा जाए तो कहां भेजा जाए। और इनके मां बाप, फिक्र ही नहीं है अपने बच्चों की। इसकी मां बुड्ढी को संभालने के लिए चली गई है जो पहले से ही कब्र में जाने को तैयार हैं, मगर ऐसे नहीं कि अपनी छोटी बच्ची को संभाल ले जिसके अभी पूरी जिंदगी बाकी है।”
    
    “तुम्हारा नाम क्या है?” लड़की ने मासूमियत से पूछा इसके ठीक बाद शख्स अपने दिमागी विचार से बाहर आ गया, लड़की के पूछते ही वो उसकी तरफ देखने लगा था। 
    
    “तुम्हारा क्या नाम है?” शख्स ने लड़की से पूछा 
    
    “कंचन।” लड़की ने जवाब दिया “मेरे मम्मी पापा ने मेरा यह नाम रखा है। वैसे मुझे यह नाम बोरिंग लगता है मगर अब रख दिया तो क्या कर सकते हैं। उनका खून थोड़ी ना कर सकते हैं। खून कर भी दिया तो लोग कहेंगे छोटी सी बात पर खुन कर दिया। जैसे कि तुम ऊपर कह रहे थे। अब एक 16 साल की बच्ची खून करने के लिए बड़ी बड़ी वजह कहां से लेकर आए।”
    
    शख्स मुस्कुराया और अपनी गर्दन को नजरअंदाज करने वाले अंदाज में हिलाया। वह गर्दन हिलाते हुए बोला “तुम्हारा नाम अच्छा है। मुझे तो यह कहीं से भी बोरिंग नहीं लगता।” 
 
    “मैं क्या कह सकती हूं।” कंचन में अपने दोनों हाथ हवा में घूमाए। इसके बाद उसने हाथों को जेब में डाला और शख्स से पूछा “बाय द वे, तुम अपना नाम बताने का क्या लोगे? अभी तक बताया नहीं तुम्हारा नाम क्या है?”
    
    “नहीं, मेरे नाम को राज ही रहने दो वही बढ़िया। क्यों बेमतलब इसे बाहर लाकर पंगा करवाने पर तुली हो।”
    
    दोनों ही बाहर आ गए थे। बाहर शख्स लड़की को अपनी सेकंड हैंड ऑडी कार की तरफ ले कर जा रहा था।
    
    कंचन ने शख्स से आगे निकलते हुए पूछा “पंगा करवाने पर तुली हो, मतलब तुम्हारे नाम में ऐसा क्या खास है जो वो बाहर नहीं आ सकता।”
    
    “सारी खास बातें मेरे नाम में ही तो है। तुम नहीं जानती दुनिया भर के कितने लोग सिर्फ और सिर्फ मेरा नाम जाने के लिए मुझे पढ़ रहे हैं।” 
    
    “क्यों...” कंचन ने मासूम सा चेहरा बनाया “आखिर ऐसा क्या खास करते हो तुम। लोगों को मारते वारते हो क्या। क्योंकी जिस इंसान ने अपनी जिंदगी में क्राइम कर रखा होता है वही अपने नाम को छुपाता है।”
    
    “क्राइम तो मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है।” शख्स कार तक पहुंच चुका था। उसने कार का दरवाजा खोला और लड़की की तरफ देखते हुए कहा “इसके बिना तो कभी-कभी मुझे खाना भी नहीं नसीब होता।”
    
    लड़की के कदम जहां थे वहीं रुक गए। उसके चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन आ गए थे जो यह दिखा रहे थे कि उसे शख्स की बात सीरियस लगी।
    
   शख्स ने यह देखा तो मजाकिया अंदाज में बोला “अरे मैं एक क्राइम स्टोरी राइटर हूं। कहानियां लिखता हूं जिसमें क्राइम होता है। इसलिए कहा है कि क्राइम के बिना मुझे खाना भी नहीं नसीब होता।”
    
    लड़की अभी भी अपनी जगह पर खड़ी रही। बस उसके एक्सप्रेशन थोड़े से ठीक हो गए थे।
    
    शख्स ने कार का दरवाजा बंद किया और लड़की की तरफ देखते हुए पूछा “अब तुम्हें फिल्म देखने चलना है या नहीं? अगर नहीं तो बता दो ताकि मैं अपने ऑफिस का काम करूं।”
    
    लड़की अटकते हुए बोली “चलना तो है... लेकिन मुझे अब तुमसे डर लगने लगा है।”
    
    “तो यह बात पहले तुम्हारे दिमाग में नहीं आई थी, तब जब तुम आकर मेरे घर के दरवाजे के सामने खड़ी हो गई थी।”
    
    “तब मैं तुम्हारे बारे में जानती नहीं थी, अगर मुझे पता होता तो मैं ऐसे  बिल्कुल ना आती है।”
    
    शख्स ने गहरी सांस ली, इसके बाद लड़की की तरफ देखा, फिर अपने मन में कहा “हशशश....यह बच्चे... खुद को होशियार दिखाते हैं मगर इतने होशियार होते नहीं। इसलिए इन लोगों को निब्बे या निब्बी कहा जाता है। चलो निब्बी, अब ऐसे फालतू में यहां खड़े रहकर मेरी कहानी मत खराब करो। या तो वापस जाओ या मेरे साथ चलो, मुझे कहानी आगे भी बढ़ानी है। वैसे भी लोगों को काफी बोर कर चुका हूं, तो उन्हें और बोर करने का रिस्क नहीं ले सकता।” उसने ऊपर आसमान की तरफ देखा और अपने मन की बात जारी रखी “हां हां.... तुम लोगों की केयर कर रहा हूं मगर ज्यादा हवा में मत उड़ो... मेरी कहानी है तो जैसे चला रहा हूं चलने दो।”  
    
    इतना मन में सोचने के बाद शख्स लड़की के पास गया और घुटनों के बल उसके सामने बैठते हुए कहा “देखो, मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम जैसे लोगों को समझना दुनिया के बस की बात नहीं, मगर मेरे लिए तुम्हें समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। मैं .. मैं समझ सकता हूं तुम पर क्या बीत रही है, तुम पर जो भी बीत रही है कभी मैंने भी उसे एक्सपीरियंस किया था। इसलिए तुम मुझे लेकर निश्चिंत रहो। मैं तुम्हें... मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊगा। ‌ आओ चलो, तुम्हें मूवी देखनी है ना, आओ।” शख्स खड़ा हुआ और लड़की की पीठ पर हाथ रखते हुए उसे कार की ओर ले जाने लगा।
    
    कार की ओर ले जाकर उसने दोबारा कार का दरवाजा खोला और लड़की को सामने वाली सीट पर बैठा दिया। सीट पर बिठाने के बाद उसने दरवाजा बंद किया और घूमते हुए ड्राइविंग सीट की ओर जाने लगा। 
    
    ड्राइविंग सीट की तरफ जाते वक्त उसने अपने मन में कहा “बच्चों को समझाने के लिए उन्हें बहलाना फुसलाना जरुरी है। हम उसे सीधे-सीधे यह तो नहीं बता सकते की कुछ ही देर बाद उसकी मौत होने वाली है। उसे उसके सर पर कुल्हाड़ी मारकर मार दिया जाएगा‌। फिर ऐसे खतरनाक बच्चों को जिंदा रख कर इन्हें समाज के लिए खतरा क्यों बनाना। समाज के लिए तो मैं ही काफी हूं।” 
    
    शख्स ने अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट दिखाई। शैतानी मुस्कुराहट के साथ उसने कार को स्टार्ट किया और उसे पीछे की तरफ ले लिया।
  
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1 Comments

Karan

11-Dec-2021 05:56 PM

Bahut badhiya kahaani, suspens se bharapur

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