AMAN AJ

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आई नोट , भाग 47

    

    अध्याय-9
    मैं अच्छा हूं या बुरा 
    भाग-1

    ★★★
    
    सुबह होने वाली थी। सुबह होने से पहले जो हल्का अंधेरा वातावरण में होता है बस उसी का ही प्रभाव आसपास दिखाई दे रहा था। दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था। रिजॉर्ट की पार्टी खत्म हो चुकी थी और लोग अपने घर जा चुके थे। मानवी आशीष के साथ ही चली गई थी। शख्स के क्या हुआ क्या नहीं उसे कुछ नहीं पता था।
    
    शख्स इन्हीं सब के बीच वहीं पड़ा था जहां 4 बॉडीगार्ड ने उसे पीटा था। वहां अचानक उसके हाथ की उंगलियों में हलकी सी हलचल हुई। हाथ में हलचल होने के एक बाद उसकी आंखें ऊपर नीचे हुई। माथे पर गहरी लकीरों का आना हुआ और उसकी अंतर्द्वंद की आवाज ने कहा।
    
    “लगता है भगवान भी नहीं चाहता मैं उसके पास आऊं...” वह एकदम खड़ा हो उठा, ठीक ऐसे जैसे किसी डरावनी फिल्म में कोई लाश खड़ी होती है “मौत से सब को डर जो लगता है।”
    
    उसने अपनी नाक साफ की।
    
    “मुझे लगा था चार बॉडीगार्ड की मार मेरी कहानी खत्म कर देंगी, कहानी खत्म होने के बाद मैं सुकून की नींद सोऊंगा, और इस मोह माया दुनिया से दूर चला जाऊंगा। मगर शायद, शायद कोई भी नहीं चाहता। ना ऊपर वाला, ना नीचे के लोग। क्यों, क्योंकि अभी तो काफी कुछ बचा है, इंतकाम, बदला, मानवी को वापस हासिल करना, इसके बिना कोई कहानी कैसे खत्म हो सकती है।”
    
    वह उठा और लड़खड़ाते हुए रिजॉर्ट की ओर जाने लगा। उसका चेहरा खून से लथपथ था। सूखे हुए खून से।
    
    “मानवी को लेकर इस बात पर विचार किया जाना चाहिए मैंने गलती कहां की। उसे जोब के लिए बाहर भेजना तो एक सही डिसीजन था। मैं नहीं चाहता था वह घर की चार दीवारों में कैद रहे कर खुद को बीमार कर ले। जो मेरे साथ हुआ वह उसके साथ होता तो इसके काफी बुरे नतीजे निकल कर बाहर आते। क्या इसका मतलब मानवी एक बुरी लड़की थी?”
    
    रिजॉर्ट में आते ही उसे खत्म हो चुकी पार्टी के अवशेष दिखे। कहीं पर डिस्पोजल पड़े थे, कहीं पर खाली कुर्सियां थी, कहीं पर शराब की बोतलें। शख्स की नजर शराब की बोतलों में से एक ऐसी बोतल पर पड़ी जिसमें अभी भी शराब थी। वह उस तरफ बढ़ा।
    
    “नहीं, मानवी बुरी नहीं थी। बल्कि मानवी, मानवी ने बाहरी समाज में किसी ऐसे शख्स को अपने लिए चुना जो बुरा था। मानवी को दुनिया की समझ नहीं है, यह बात मैं अच्छे से जानता था, और इसीलिए उसकी केयर करता था। कोई भी उसे अपनी बातों से बहला-फुसलाकर उससे कुछ भी करवा सकता है।”
    
    वह शराब की बोतल के पास गया और उसे उठाकर मुंह से लगा लिया।
    
    “आशीष जैसा इंसान जो एक अच्छा बिजनेस मैन है, वह बेहतर दिमाग और अच्छी चालबाजी की काबिलियत रखता है। ऐसे में उसका मानवी को अपनी तरफ करना बाएं हाथ का खेल था। मानवी जैसे नादान लड़की को किसी भी चीज का लालच देकर अपनी तरफ से लिया जा सकता है। मैंने उसे प्यार का लालच दिया था, और आशीष, आशीष ने शायद उसे पैसों का लालच दिया।”
    
    उसने शराब की बोतल नीचे फेंकी और सामने एक कार की तरफ जाने लगा। वह कार रिजॉर्ट के किसी आदमी की लग रही थी जो अभी यहां दिखाई नहीं दे रहा था।
    
    “मगर आशीष मानवी को अपनी तरफ करने से पहले नहीं जानता था, यह उसके लिए कितना महंगा पड़ने वाला है। उसे नहीं पता था मानवी किसकी है, और वह जिसकी है वह क्या कर सकता है।”
    
    उसने रास्ते में ही एक बर्फ तोड़ने वाली रोड़ उठा ली, जो पार्टी में इस्तेमाल किए जाने वाली बर्फ को तोड़ने के लिए रखी गई थी। उसे उठाने के बाद जैसे ही वह कार के पास पहुंचा उसने उसे दरवाजे में फंसाया और जोर से झटका दे दिया। कार पुरानी थी तो झटका देते ही उसका लॉक टूटा और दरवाजा खुल गया। दरवाजा खुलने के बाद शख्स अंदर जा बैठा।
    
    “आशीष को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं मैं कितना बुरा हूं। मैं इतना बुरा हूं कि अगर दुनिया में शैतान नाम की कोई चीज है, तो मेरे बारे में सुनते ही उसका शैतानीपन खत्म हो जाए। अगर आशीष को मेरे बारे में थोड़ा सा भी अंदाजा होता तो वह ऐसा करने से पहले सो बार सोचता।”
    
    उसने कार की वायर निकाली और फिर उन्हें एक-दूसरे से भिड़ाया। तीन से चार बार कोशिश करने के बाद कार स्टार्ट हो गई।
    
    “जब किसी चीज को पाने या उसे हासिल करने की बारी होती है तो मेरे सामने अगर भगवान भी आकर खड़ा हो जाए, तो मैं उसे भी चुनौती दे सकता हूं। क्यों, क्योंकि मैं ऐसा ही हूं। अगर कोई चीज मेरी है तो वह बस मेरी ही है।”
    
    उसने गियर डालें और कार स्टार्ट कर उसे घुमा लिया। कार सड़क पर चल रही थी।
    
    “मानवी वो लड़की है जिसकी तलाश में बचपन से करता आया हूं। वह लड़की जिसने मुझे बाहरी समाज के रंग दिखाए। वो‌ लड़की जिसने मुझे बताया आखिर इस समाज में कितनी तरह की खुशियां होती है। मानवी ने हमेशा हर वक्त मुझे मुझसे रूबरू करवाया।”
    
    उसने अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाला और गूगल निकाल कर आशीष के घर का एड्रेस सर्च किया। जल्द ही उसे एड्रेस मिल गया। एड्रेस मिलने के बाद उसने मैप निकाला और लोकेशन लगा दी।
    
    “मेरी जिंदगी में जो चीज मेरे लिए महत्वपूर्ण थी मैं उसे अपने हाथ से कभी नहीं जाने दे सकता। जब मेरा वजूद ही मानवी से हैं, तो उसे खोने का सवाल ही नहीं उठता। मानवी से ही मेरी जिंदगी शुरू होती है और मानवी से ही मेरी जिंदगी खत्म।”
    
    कार सड़क पर तेज गति से दौड़ती रही।
    
    “शादी करने के बाद 3 सालों तक मैं उसका पीछा सिर्फ इसलिए करता रहा ताकि वह कभी इस तरह के कदम ना उठाएं। अगर मुझे लगता था कोई मानवी के लिए खतरा बन रहा है, या कोई ऐसा शख्स बीच रास्ते में आ रहा है जो मानवी को मुझसे अलग कर देगा मैं उसे रास्ते से हटा देता था।”
    
    कार अगले 30 मिनट तक ऐसे ही चलती रही। इसके बाद मोड़ आया और आशीष का बड़ा आलीशान महल जैसा घर दिखा।
    
    “आशीष के मामले में मैंने यह गलती कर दी कि मैं अपनी जिंदगी को मानवी से हटाकर अपने कहानी की तरफ ले गया था। कहानी भी तो जरूरी थी। मानवी के बाद कहानियां मेरी जिंदगी का दूसरा मकसद है। मैं इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकता जिस तरह से मानवी ने मेरी जिंदगी को बदला, उसी तरह से कहानियों ने भी मेरी जिंदगी को काफी प्रभावित किया था। कहानियों ने मेरी जिंदगी को आगे चलने की दिशा दी थी।”
    
    उसने घर के सामने आकर कार रोक दी। इसके बाद रुमाल निकाला और अपना मुंह साफ किया। मुंह साफ करने के बाद भी हल्के हल्के दाग दिखाई दे रहे थे जो सुखे खुन की वजह से बने थे। उसने रुमाल को जीभ से लगाया और जीभ से लगाकर गिला किया। जीभ से गिला करने के बाद उसने अपने मुंह के उन दागों को साफ किया जो सूखे हुए खून की वजह से बने। दाड़ी की वजह से चेहरा अब ठीक ठाक लग रहा था। काले निशान थे मगर उन्हें नजरअंदाज किया जा सकता था।
    
    शख्स गाड़ी से उतरा और अपने कपड़े ठीक करते हुए सामने घर की तरफ जाने लगा। लोहे की रोड़ को उसने इस दौरान अपनी पीठ के पीछे कोट में डालकर छुपा लिया।
    
   उसे सामने घर की तरफ जाता देख चौकीदार अपने केबिन से बाहर निकला और उसकी तरफ जाता हुआ बोला 
    
    “भाई साहब, क्या चाहिए आपको, किससे मिलना है?”
    
    शख्स उसे देखते ही खड़ा हो गया। “मैं... मुझे...” वह अजीब तरह का व्यवहार करने लगा “वो... मुझे...”
    
    इतने में चौकीदार उसके पास आ गया। शख्स ने पीछे कोट में डाली गई अपनी रोड़ को पकड़ा और उसे एक ही झटके में बाहर निकालते हुए चौकीदार के मुंह पर दे जड़ा।
    
    रोड़ आगे से तिखी और कुंडी के आकार की थी, एक ही वार में उसने चौकीदार के मुंह के चिथड़े कर दिए। उसके गाल वाला हिस्सा कट कर नीचे गिर गया जिससे उसका जबड़ा देखने लगा। वह दर्द से तड़पने लगा।
    
    शख्स ने चौकीदार को वही रोता बिलखता छोड़ा और अंदर की तरफ जाने लगा। अब रोड़ सीधे उसके हाथ में थी। जैसे ही वह घर के अंदर जाने वाले दरवाजे के पास पहुंचा वैसे ही एक और चौकीदार उसके सामने आया।
    
    इससे पहले वह चौकीदार कुछ कहता या फिर कुछ सुनता शख्स ने रोड़ घुमाई और उसका कल्याण कर दिया। चौकीदार रोड़ के लगते ही घूमता हुआ सीधे नीचे फर्श पर जा गिरा।
    
    शख्स ने इसके बाद दरवाजे को जोरदार लात मारी। लात के मारते ही बड़ा दरवाजा दोनों ही तरफ खुलता गया। अंदर आशीष का पिता एक सोफे पर बैठा हुआ था और वहीं देवराज उसके पास खड़ा था। 
    
    देवराज ने शख्स को देखते ही उसकी तरफ कदम बढ़ाए और कहा “भाई साहब, आप ऐसे बिना इजाजत के अंदर नहीं आ सकते।”
    
    तभी शख्स ने अपने हाथ में पकड़ी रोड को थोड़ा और नीचे कर दिया। इससे वह फर्श से जा लगी और टन की एक आवाज हुई। देवराज यह देखते ही रुक गया और पीछे आशीष के पिता की तरफ देखने लगा। आशीष के पिता ने भी देवराज की तरफ देखा। इसके बाद उन्होंने हल्के में सिर हिलाया और उसे पीछे आने के लिए कहा। देवराज पीछे हो गया।
    
    देवराज के पीछे होने के बाद आशीष के पिता ने एक हल्की प्यार से भरी आवाज में शख्स से कहा “मुझे नहीं लगता मेरी या तुम्हारी किसी तरह की दुश्मनी है। तो क्या तुम बता सकते हो यह सब किस लिए.....”
    
    “मुझे आशीष चाहिए।” शख्स आशीष के पिता के बोलते ही ऊंची आवाज में बोला। इतनी ऊंची आवाज में कि वह पूरे घर में फैलती चली गई। 
    
    आवाज सुनते ही ऊपर से आशीष की बहन सीढ़ियों पर दिखाई दी। उसने वहां सीढ़ियों से पूछा “क्या हुआ पापा, एवरीथिंग फाइन।”
    
    आशीष के पिता ने मुस्कुराते हुए अपनी बेटी से कहा “हां बेटा सब सही है, तुम अपने कमरे में जाओ, यह दो लोगों की बात है तो दो लोगों को ही करने दो।”
    
    आशीष की बहन यह सुनते ही चलते चलते रुक गई। इसके बाद उसने रोड की तरफ देखा जो शख्स के हाथ में थी और उससे खून की बूंदे नीचे की तरफ गिर रही थी। यह देखते ही उसने अपने दोनों हाथ अपने मुंह पर रख लिए। वो पीछे की ओर मुड़कर जाने लगी मगर तभी शख्स ने उससे कहा 
    
    “नहीं, अब कोई भी ऊपर नहीं जाएगा, जो भी है वो यही रहेगा। बाकी के लोगों को भी बुला लो। और एक बात, एक बात जिसका ध्यान सभी को रखना है, मैं जान लेने वाले मामले में बिल्कुल परहेज नहीं बरतता। इसलिए अगर कुछ बुरा हुआ तो इसके जिम्मेदार खुद बनोगे।”
    
    यह सुनते ही सबके चेहरे खामोश पड़ गए। 
    
    ★★★
    
    
    
    
    
    
    

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1 Comments

Niraj Pandey

07-Dec-2021 11:32 AM

बहुत ही बेहतरीन👌👌

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