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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-19


    अध्याय-6
    अनजान शख्स
    भाग-3

    ★★★
    
    आर्य और आयुध ने आकर हिना के कमरे का दरवाजा खटखटाया। हिना ने जब दरवाजा खोला तो वह ऊवासी ले रही थी। उसकी ऊवासी पूरी हुई तो उसने अपने सामने आर्य और आयुध को खड़े हुए देखा।
    
    हिना ने उन दोनों से पूछा “क्या हुआ? तुम दोनों इतनी रात को मेरे कमरे का दरवाजा क्यों पीट रहे हो? क्या तुम लोगों के कमरे में कोई सांप घुस आया है?”
    
    आयुध हिना से तुरंत बोला “यह मजाक की बात नहीं है हिना। हम तुम्हें कुछ ऐसा बताने वाले हैं जिसे सुनकर तुम मजाक करना भूल जाओगी। यह एक खतरनाक बात है।”
    
    हिना ने आयुध को घूरा। इसके बाद उसने घूर कर आर्य को देखा। आर्य ने आयुध की बात में बात मिलाते हुए कहा “यह बिल्कुल सही कह रहा है हिना। हमने कुछ ऐसा देखा है जिस पर विश्वास करना हमारे लिए भी मुश्किल है।”
    
    “मगर क्या?” दोनों की बात सुनकर हिना ने उनसे पूछा।
  
    आयुध ने लंबी सांस ली और फिर एक ही झटके में सब कुछ बता दिया। उसने हिना को किले के सामने खड़े आचार्य के बारे में बताया जो सफेद चौगे में था। एक बार के लिए तो हिना को आयूध की बात पर यकीन नहीं हुआ। मगर इसके बाद आर्य ने फिर से दोबारा इसी बात को दोहराया। दोनों के कहने पर वह इस बात को टाल नहीं सकी। कुछ ही देर बाद वह तीनों ही किले की तरफ जा रहे थे। 
    
    हिना किले की तरफ चलते हुए बोली “तुम लोगों को पक्का कोई वहम तो नहीं हुआ? किले में जाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। फिर सब को मना भी है।”
    
    आर्य हिना को जवाब देते हुए बोल पड़ा “हर एक चीज वहम नहीं होती..” रात भी हिना वहम का कह रही थी तो उसने यह बात कही। “मैंने अपनी आंखों से देखा था। और मेरे साथ तुम्हारा भाई भी था और उसने भी अपनी आंखों से देखा था।”
    
    आयुध साथ लगते ही बोला “मुझे पता है तुम्हें अभी भी यकीन नहीं हो रहा। मगर यही सच्चाई है। हमारे आश्रम का एक सफेद चोगे वाला आचार्य किले में गया है।”
    
    “तुम लोगों ने तो यह भी कहा था ना कि उसके पास कोई अजीब सी चीज थीं।” हिना ने याद किया कि यह बात आर्य ने कही थी। आयुध ने उसे इस बारे में नहीं बताया था।
    
    “हां...” आयुध ने हिना को जवाब दिया “वह अजीब सी रोशनी से चमक रही थी। उसे ना तो सफेद रोशनी कहा जा सकता है ना ही काली। किसी डंडे के ऊपरी सिरे पर लगी हुई थी।”
    
    अचानक हिना के चलते हुए कदम रुक गए। आर्य और आयुध भी अपनी जगह पर रुक गए। ‌उन दोनों ने पलट कर पीछे देखा। हिना किसी गहरे सदमे में खोई हुई लग रही थी। हिना ने उन दोनों से कहा “क्या तुम दोनों ने सच में इस तरह की चीज देखी.... ऐसी चीज जिससे ना तो सफेद रोशनी निकल रही थी, ना ही काली।”
    
    आर्य याद करता हुआ बोला “हम तुम्हें साफ-साफ तो नहीं बता सकते। मगर वह ऐसी ही चीज थी। ऐसी चीज जिससे ना तो काली रोशनी निकल रही थी ना ही सफेद। तुम इसे इन दोनों का मिला जुला मिश्रण कह सकती हो। ऐसी रोशनी जिसमें यह दोनों ही तरह की चीजें थी। सफेद भी और काली भी।”
    
    आयुध आर्य को बोला “1 मिनट रुको। हम इसे मिलाजुला मिश्रण भी नहीं कह सकते। वो ना तो सफेद थी ना ही काली। बस एक अजीब सी चमक थी।”
    
    आर्य ने उससे कहा “मैं बस उस अजीब सी चमक को समझाने की कोशिश कर रहा हूं। शायद उसका रूप कुछ इसी तरह का था। वह सफेद भी थी और काली भी।”
    
    हिना उन दोनों से बोली “चुप रहो तुम दोनों। तुम दोनों को इस बात का अंदाजा भी नहीं कि तुम किस चीज की बात कर रहे हो। वह कोई ऐसी वैसी चीज नहीं बल्कि काली छड़ है। जादू करने के लिए बनी सबसे ताकतवर छड़ जिसे बनाया भी शैतानो की दुनिया में गया है। वो उन दो छोड़ो में से एक है जो शैतान के शहंशाह को आजाद करवाने के लिए चाहिए।”
    
    आर्य और आयुध के लिए यह दूसरा गुसबम था। पहला गुसबम उन्हें तब मिला था जब उन्होंने किले में किसी अचार्य को जाते हुए देखा था। आयुध अपने सर पर हाथ रखते हुए बोला “काली छड़.... वह इस तरह की दिखती है। इतनी भयंकर।”
    
    “हां” हिना वापिस सामने की ओर चलने लगी। उसने अपने किले के तरफ जाने वाले सफर को फिर से शुरू कर लिया था। “मगर उसे तो आश्रम की गुफा में एक बड़ी सुरक्षा के अंदर रखा गया है। उसका बाहर आना मुश्किल है।” उसका मन अपने बाल नोचने का कर रहा था “मगर मुश्किल तो किसी किले में भी जाना है। समझ में नहीं आ रहा यहां आखिर हो क्या रहा है। हर किसी को पता है कि किले में अंधेरी परछाइयों को बड़ी संख्या में कैद करके रखा गया है। ऐसे में कोई अगर काली छड़ को लेकर उनके पास जाएगा तो आश्रम में तबाही मच जाएगी।”
    
    “तुम कहना क्या चाहती हो..?” आर्य बोला “आखिर काली छड़ को कोई वहां ले गया तो क्या होगा?”
    
    “तुम्हें अभी भी समझ में नहीं आया..” हिना आर्य की तरफ देखते हूए बोली “इसका यही मतलब हुआ कि कोई वहां उन अंधेरी परछाइयों को आजाद कर काली छड़ उन्हें सौंपना चाहता है। कोई एक तरीके से आश्रम के साथ गद्दारी कर रहा है। कोई आश्रम का एक आचार्य अंधेरी परछाइयों के साथ मिल गया है। वो उनकी मदद कर रहा है।”
    
    अब जाकर आर्य को हिना की बात समझ में आई। आयुध भी इसे समझ चुका था। आयुध ने कहा “मगर हमारे आश्रम का कोई आचार्य ऐसा क्यों करेगा? आखिर किसी को अंधेरे का साथ देने से क्या मिल जाएगा? इससे तो सिर्फ और सिर्फ हमारा और आश्रम का नुकसान होगा।”
    
    “हां” हिना बोली “इसमें किसी भी मायने में हमारे आश्रम का फायदा नहीं होने वाला। इसमें सिर्फ और सिर्फ नुकसान होगा। अगर अंधेरी परछाइयां आजाद हो गई, और उन्हें काली छड़ भी मिल गई तो उन्हें आश्रम का सुरक्षा चक्कर भी नहीं रोक पाएगा। काली छड़ ताकतवर होने के कारण आश्रम के सुरक्षा चक्कर को पलक झपकते ही खत्म कर सकती है।”
   
    तीनों ही किले के पास पहुंच गए थे। इस वक्त किले का लोहे वाला दरवाजा बंद पड़ा था। बंद दरवाजे को देखकर कोई भी नहीं कह सकता था कि यहां से कोई अंदर गया है।
    
    हिना ने वह बदं दरवाजा देखा। इसके बाद उसने लोहे वाले दरवाजे के दूसरी ओर देखा। वहां किले का दरवाजा भी बंद पड़ा था। हिना उन दोनों से बोली “किले के दोनों ही दरवाजे बंद पड़े हैं। सच-सच बताओ तुम लोगों को कोई वहम तो नहीं हुआ..? कहीं ऐसा तो नहीं तुम लोगों ने कुछ और देख लिया हो...? कोई ऐसी चीज जो इससे मिलती-जुलती हो।”
    
    आयुध लगभग गुस्से में बोला “हमने तुम्हें कितनी बार बताया कि हमें वहम नहीं हुआ। तुम हर बार यह वहम वाला राग मत अलापा करो। अगर हमें वहम होता भी तो हम तुम्हें वह काली छड़ी वाली चीज नहीं बता पाते। उसके बारे में मुझे तो पता ही नहीं था। और आर्य नया आया है तो उसे कैसे पता होगा।”
    
    हिना आयुध से बोली “इसमें गुस्सा होने वाली कौन सी बात है। मैं बस यहां के हालात देखकर बता रही हूं। यहां के हालातों से मुझे ऐसा नहीं लग रहा कि कोई अंदर गया होगा।”
    
    आर्य उन दोनों को बात करता छोड़ सलाखों के पास चला गया। वहां उसने एक नजर किले की तरफ देखा और फिर नीचे बर्फीली जमीन देखी। वहां उसे जूतों के निशान दिखाई दे रहे थे। उसने उन दोनों से कहा “तुम दोनों को यहां आकर देखना चाहिए। इसके बाद इस बात को लेकर बहस नहीं होगी कि यह हमारा वहम है या नहीं।”
    
    हिना और आयुध दोनों आगे आए। आगे आ जाने के बाद उन्होंने झुक कर जुतों के निशान को देखा। हवा के कारण जुतों के निशान गायब हो रहे थे मगर अभी भी उनकी छवि बनी हुई थी। जुतों के निशान आगे सामने की ओर जाते हुए अंदर किले के मुख्य दरवाजे की ओर जा रहे थे। हिना आर्य के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली “मतलब यह सच है। इस किले के अंदर कोई तो गया है।”
    
    आयुध बोला “कोई ऐसा जिसने सफेद चोगा पहन रखा था। हम सच कह रहे हैं, तुम अब यह मत सोचना कि यह भी हमारा वहम है। हमने आश्रम की दीवार पर से इसे अपनी स्पष्ट नजरों से देखा था।”
    
    “मैं नहीं कहूंगी...” हिना बोली और आगे बढ़ कर सलाखों को छूने की कोशिश की। मगर जैसे ही उसने सलाखों को हाथ लगाया उसे बिजली का झटका लगा। “ओह नहीं..” बिजली के बड़े झटके के लगने के बाद उसने कहा “अचार्य वर्धन ने इसे अपने जादु से और भी ज्यादा सुरक्षित कर दिया है। हम अंदर जाकर नहीं पता कर सकते हैं कि वह कौन सा आचार्य है?”
    
    आयुध ने सलाखों को हाथ लगाया तो उसे भी बिजली का झटका लगा। उसने खुद को बिजली के झटके से सभालते हुए अपने हाथ मसले “मगर जो आचार्य अंदर गए थे उन्हें कुछ भी नहीं हुआ।”
    
    “उन्हें जादू का तोड़ पता होगा।” हिना बोली “वैसे भी आश्रम के आचार्य जादु में हम लोगों से कई गुना आगे हैं। उनके लिए यह सब करना बाए हाथ का काम होगा। अगर हम अभी अंदर जा पाते तो अभी के अभी अंदर जाने वाले आचार्य का राज सामने आ जाता।”
    
    आर्य ने भी एक दफा दरवाजे को हाथ लगाया। बाकियों की तरह उसे भी बिजली का झटका लगा। आर्य ने दरवाजे को हाथ लगाने से पहले यह सोचा था कि क्या पता उसकी खास क्षमता की वजह से उस पर असर ना हो। मगर उस पर भी बिजली का असर हुआ। आर्य बोला “तो अभी हम इस वक्त उस आचार्य के बारे में पता नहीं कर सकते, जो इस किले के अंदर गया है?”
    
    हिना ने ना में सर हिला दिया। आयुध बोला “तो हमें आश्रम के आचार्यों के पास जाकर उनसे बात करनी चाहिए। अचार्य वर्धन से बात करते हैं...?”
    
    “तुम नहीं कर पाओगे।” हिना बोली “सुरक्षा चक्कर को मजबूत करने वाला शक्ति मंत्र आज भी चल रहा है। यह कल भी चलेगा। अभी इस वक्त आश्रम में ना तो कोई अचार्य हमें मिलने वाला है, ना ही कोई गुरु। अब यह जो भी राज है, इससे पर्दा सुबह ही उठेगा। सुबह ही पता चलेगा आश्रम का कौन सा अचार्य अंधेरे से मिला है।”
    
    “लेकिन मगर सुबह कैसे..?” आर्य ने सवाल पूछा।
    
    “शक्ति मंत्र में सभी आचार्यों को उपस्थित रहना होता है। ऐसे में आज एक आचार्य वहां नहीं होगा। और वह कौन सा आचार्य है यह वहां के आचार्यों को भी पता रहेगा। इसलिए सुबह हम जब बताएंगे तो वो अपने आप समझ जाएंगे कि किस आचार्य ने गद्दारी की है। उसके बाद उनका पर्दाफाश हो जाएगा। फिर आगे क्या करना है यह आश्रम के आचार्य निर्धारित कर लेंगे।”
    
    आयुध ने हिना के इस बात पर विचार किया। उसने कहीं ना कहीं सही निष्कर्ष निकाला था। उसकी सोच पर आयुध बोला “तुम्हारा कहना बिल्कुल सही है। इस आचार्य का राज सुबह बाहर आ जाएगा... यह किसी भी तरीके से बचने वाला नहीं।”
    
    आर्य ने इस मौके पर कुछ भी नहीं कहा। ‌ ऐसा नहीं था कि उसे हिना पर किसी तरह का शक था। उसकी सोच बिल्कुल सही थी। मगर इसके बावजूद उसका कुछ बोलने का मन नहीं किया। वह खामोश खड़ा रहा। ठिक उस किले के सामने जो अंधेरे में डूबा एक बेजान किला था। उस किले में आश्रम का कोई अचार्य गया था जिसके बारे में कोई नहीं जानता की वो कौन था।
    
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