Rekha mishra

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लेखनी कहानी -04-Dec-2021

      मैं और मेरा बागीचा 

एक सुखद ऐहसास होता है 
जब मेरे पौधों का साथ होता है। 
ऐसा नहीं के वो बोल पाते हैं, 
पर जानती हूं वो अंदर ही अंदर गुनगुनाते है। 
कोई नया फूल आता है तो मानो निखर जातें है। 
मैं और मेरा बागीचा साथ में अक्सर गुनगुनाते हैं। 
मन करता है इनके साथ ही ज्यादा वक्त  बिताऊँ 
क्यूंकि ये मुझे सुकून का ऐहसास दिलाते हैं। 
चुप हूं तो लगता है मेरी खामोशी को 
समझ जाते है, 
मैं और मेरा बगीचा मिलकर एक हसीन माहौल 
बनाते हैं। 


By-Rekha mishra 

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2 Comments

Swati chourasia

05-Dec-2021 08:19 PM

वाह बहुत सुंदर भाव👌

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Sana Khan

05-Dec-2021 05:44 PM

Good

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