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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-25

    

    अध्याय-8
    किले में जाने का रास्ता  
    भाग-3
    
    ★★★
    
    आर्य और हिना जल्दी से जल्दी किले के पास पहुंचे। वहां आयुध पहले से ही खड़ा था। आयुध के हाथ में इस बार कुछ था जिसे वह आर्य और हिना के छड़ी ढूंढने के दौरान लेने गया था।
    
    हिना ने आते ही उसके हाथ में पकड़ी चीज की तरफ ध्यान दिया। वह आयुध से बोली “यह तुम्हारे हाथ में क्या...? और तुम इसे छुपा क्यों रहे हो?”
    
    दरअसल आयुध उसे अपनी पीठ के पीछे छुपा रहा था। आयुध ने उसे सामने किया और दोनों को दिखाया “यह एक फोटो कैमरा है। इसे तुम दोनों से इसलिए छुपा रहा था क्योंकि मुझे तुम दोनों को सरप्राइज देना था।” उसने अपने हाथ में पकड़ा फोटो कैमरा दोनों के ही सामने कर दिया।
    
    हिना और आर्य दोनों ने कैमरे को देखा। हिना बोली “तुम्हारे पास कैमरा था? तुम इसे कब लेकर आए..?”
    
    आयुध में जवाब देते हुए कहा “यह हमेशा से ही मेरे पास था। दिल्ली में जब हमारे घर पर अंधेरी परछाइयों ने हमला कर दिया था, तब उस वक्त यह मेरी पैंट की जेब में था। हम दोनों एक साथ अंगूठी से बने दरवाजे से आश्रम में आए तो यह भी मेरे साथ आ गया।”
    
    हिना ने कैमरा अपने हाथ में पकड़ लिया। कैमरे को देखते हुए वह बोली “यह तो हमारे बहुत काम आने वाला है। इसके जरिए हम गद्दारी करने वाले आश्रम की फोटो खींच लेंगे। वह फोटो सबूत के तौर पर अच्छा-खासा काम करेगी। फोटो की वजह से कोई हमारी बात को मानने से भी इनकार नहीं करेगा।”
    
    “यह तो सही कहा तुमने हिना।” आर्य बोला। इसके बाद उसने आयुध की तरफ देखते हुए कहा “अच्छा हुआ तुम इसे अपने साथ ले आए। इससे हमारा काम बिना किसी खास समस्या के हो जाएगा।”
    
    हिना ने दोनों की बातें सुनी और कैमरे को अपने पास रख लिया। इसके बाद वह आगे बढ़े और सलाखों के पास आ गई। सलाखों के पास आते हुए उसने आर्य से कहा “देखो आर्य, एक बार यहां रुक कर थोड़ा सोच लेना चाहिए, क्योंकि इस किले का रास्ता बहुत ही खतरनाक है। हमारी एक गलती बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। हमने इस किले के बारे में पढ़ा है, जिस में साफ-साफ लिखा है कि यहां जाना मौत से पंगा लेने के बराबर है।”
    
    आर्य ने तुरंत जवाब दिया “देखो तुम्हें अगर डर लग रहा है तो तुम यहां रह सकती हो। मैं और आयुध अंदर चले जाएंगे”
    
    आयुध ने भी साथ लगते कह दिया “हां मेरी बहन। अगर तुम यहां डर रही हो तो हमारे साथ आगे मत जाओ। हम दोनों को जाने दो। वैसे भी लड़के पंगे लेने में माहिर होते हैं, अब वह मौत से ही क्यों ना हो।”
     
    "नहीं बात डर की नहीं है” हिना समझदारी दिखाते हुए बोली “बात तुम दोनों की हिफाजत की है। आर्य की हिफाजत करना भी मेरी जिम्मेदारी है और तुम्हारी भी हिफाजत करना मेरी जिम्मेदारी है”
    
    “अगर ऐसा है तो..” आर्य बोला “तुम फिकरमदं रहो। हम अंदर जितना हो सकेगा उतनी सावधानी रखेंगे। कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे किसी भी तरह का जोखिम पैदा हो।”
    
    आयुध इस मौके पर खुद को सीरियस नहीं कर सका। “चलो चलो अब यह इमोशनल ड्रामा हो गया हो तो आगे बढ़े। हिना... बताओ हम यहां क्या करें?”
    
    हिना ने अपना हाथ आर्य की तरफ किया “मुझे आचार्य वर्धन की छड़ी देना।”
    
    आर्य ने छड़ी हिना को दे दी। हिना ने छड़ी को लेकर अपनी आंखें बंद की और उसे सलाखों से स्पर्श किया। ऐसा करते ही एक रोशनी की झमक हुई जो अंदर किले की तरफ चली गई। हिना ने छड़ को वापस सलाखों से हटाया और उन्हें छू कर देखा। अब उससे करंट नहीं आ रहा था। 
    
    करंट ना आता देख हिना दोनों को बोली “आचार्य वर्धन की अतिरिक्त सुरक्षा किले से हट गई है। अब यह हम तीनों को अंदर जाने से नहीं रोकेगी। रही बात किले का दरवाजा खोलने की, तो उसके बारे में हमें पता है।”
    
    आर्य और आयुध दोनों ही आगे आ गए। हिना ने धक्का मारकर सलाखें खोल दी। फिर तीनों ही धीमे धीमे कदमों से किले की तरफ बढ़ने लगे। रहस्यमई और अंधेरे से भरे हुए किले की तरफ। ऐसे किले की तरफ जो मौत के किले से कम नहीं था।
    
    जैसे-जैसे तीनो आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे हवाओं की गति पीछे से उनकी रफ्तार को तेज कर रही थी। जल्द ही तीनों किले के मुख्य दरवाजे के पास आकर खड़े हो गए। सामने का दरवाजा काली लकड़ी से बना हुआ था। 
    
    हिना खुद से ही बोली “ठीक है। मुझे छड़ को किले के दरवाजे के एक खास हिस्से तक लेकर जाना है ताकि इस की रोशनी वहां पर पड़ सकें और दरवाजा खुल जाए।”
    
    हिना ने छड़ को कसकर पकड़ा और उसे दरवाजे के अलग-अलग हिस्सों के पास लेकर गई। हर एक हिस्से पर छड़ की रोशनी पड़ रही थी। उसने तमाम दरवाजे पर छड़ की रोशनी डाली मगर किसी भी तरह का असर होता हुआ नहीं दिखा। दरवाजा टस का मस था। यहां तक कि वह हिला तक भी नहीं था।
    
    हिना ने कहा “किताब में तो हमने पढ़ा था रोशनी को दरवाजे के खास हिस्से पर गिराते ही वह खुल जाएगा। मगर यहां तो ऐसा कुछ भी होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा। किले का यह काला दरवाजा खुल ही नहीं रहा।”
    
    आयुध बोला “कहीं हम खास जगह को लेकर तो किसी तरह की गलती नहीं कर रहे। किताब में खास जगह लिखा है, और हमें नहीं पता खास जगह कहां पर है।”
    
    “उसे होना तो दरवाजे पर ही चाहिए ना।” हिना ने तेजी से उत्तर दिया था “मैंने पूरे दरवाजे पर तो रोशनी डाल दी।”
    
    “शायद नहीं..” आर्य ने बोलते हुए दोनों को चौंका दिया “खास जगह दरवाजे पर नहीं बल्कि दरवाजे के ऊपर है।”
    
    तीन आंखों की जोड़ियां एक साथ दरवाजे के ऊपर चली गई। वहां उन्हें एक नकाशी दिखाई दे रही थी जहां आधे सूरज की तस्वीर थी। हिना ने‌ छड़ ऊपर उठाई और रोशनी उस आधे सूरज पर गिरा दी। 
    
    रोशनी के आधे सूरज पर गिराते ही वह सूरज चमकने लगा। सूरज के चमकने के साथ-साथ दरवाजे में भी हलचल होने लगी थी। उसमें कंपन हो रहा था। कंपन पहले धीमा था मगर फिर धीरे-धीरे तेज होता गया। फिर इसी कंपनी के साथ दरवाजा खुलते हुए दो भागों में बंट गया।
    
    दरवाजे के खुलते ही तीनों के चेहरे पर एक बार फिर से खुशी आ गई। 
    
    आयुध इस खुशी के साथ बोला “हमें किले का दरवाजा खोलने में कामयाबी मिल गई। इसे हमारी आधी जीत माना जा सकता है।”
    
    हिना ने कहा “यकीनन। यह हमारे लिए किसी आधी जीत से कम नहीं। अब बस जल्दी से जल्दी गद्दार आचार्य का पर्दाफाश हो जाए। उसके बाद हमें हमारी पूरी जीत मिल जाएगी।”
    
    आर्य इस मौके पर कुछ नहीं बोला। वह किले के अंदर की तरफ देख रहा था जहां उसे अभी सिर्फ और सिर्फ अंधेरा ही दिखाई दे रहा था। हिना ने आर्य का हाथ पकड़ा और उसे आगे बढ़ने के लिए कहा। जल्द ही तीनों आगे बढ़ते हुए किले के अंदर चले गए। उनके अंदर जाते ही दरवाजा बंद हो गया और बाहर ऐसी शांति पसर गई जैसे यहां मानो कुछ हुआ ही नहीं। सब कुछ फिर से पहले जैसा हो गया था।
    
    हिना अंदर जाते ही बोली “यहां तो बहुत अंधेरा है।” 
    
    आर्य ने कहा “हमारे पास रोशनी वाली छड़ है। यह कब काम आएगी। उसे आगे करो ताकि हमें आगे के दृश्य दिखे।”
    
    हिना ने छड़ कों ऊपर कर उसे सामने की तरफ कर दिया। उसके ऐसा करते ही सामने के दृश्य दिखने लगे।
    
    किला अंदर से एक भूल भुलैया जैसा था। किले की शुरुआत में ही कुछ गलियारे बने हुए थे। हर एक गलियारा एक अलग रास्ते की ओर जा रहा था। जहां से गलियारे निकलते थे वह जगह बरामदे के जैसी थी, नीचे टूटी फूटी ईटो से बना फर्श था जो यह दिखा रहा था कि किला काफी पुराना हो चुका है। किले की दीवारें पत्थर और ईंटों से मिलकर बनी हुई थी जिस वजह से दिवारे काफी मजबूत थी। गलियारे में जिस जगह से प्रवेश होता था उस जगह अलग-अलग तरह की आकृतियां बनी हुई थी। किसी पर मूर्ति का निशान था तो किसी पर जल स्त्रोत का। एक गलियारे के सामने आधे सूरज का निशान था, ठिक वैसा ही निशान जो दरवाजे के बाहर ऊपर की ओर बना था।
    
    तीनों ही अपने सामने गलियारों की लंबी चौड़ी श्रंखला को देख रहे थे। आयुध ने कहा “इतने सारे रास्ते में से कौन से रास्ते पर जाना चाहिए। हमें नहीं पता आगे हमारे लिए कौन सा रास्ता सही होगा।”
    
    हिना कुछ याद करते हुए बोली “किले में अंधेरी परछाइयों को कैद करने के लिए उसके सबसे मजबूत हिस्से का इस्तेमाल किया गया था। एक दीवार जो यहां किले के बीचों बीच मौजूद हैं। हमने किताब में जो रास्ता पड़ा था वह दीवार की तरफ ही जाने वाला रास्ता था। दीवार के पीछे ही खूंखार आत्माओं को कैद करके रखा गया है।” 
    
    आर्य ने सवाल दागते हुए कहा “तो मतलब हमें दीवार वाले रास्ते की तरफ बढ़ना चाहिए...?”
    
    “यकीनन” हिना बोली।
    
    “अरे मगर दीवार की तरफ जाएगा कौन सा रास्ता।” आयुध उन दोनों के ही बीच में था। “क्या तुम लोगों को इस बात का अंदाजा है?”
    
    आर्य गौर से हर एक गलियारे को देखने लगा। प्रत्येक गलियारे के सामने अलग-अलग तरह की आकृति बनी हुई थी। आर्य आकृतियों को देखते हुए ऐसी आकृति पर आकर ठहर गया जहां आधे सूरज का निशान था। वह आधे सूरज का निशान ठीक वैसा ही था जैसा बाहर किले के दरवाजे के ऊपर बना हुआ था। आर्य उस निशान को देखता हुआ बोला “मेरे ख्याल से यह आधे सूरज वाला रास्ता सही रास्ता होना चाहिए। बाहर दरवाजे के ऊपर भी इस तरह का निशान बना हुआ था, ऐसे में यह निशान सही रास्ते का संकेत हो सकता है।”
    
    हिना अपने हाथ में छड़ को लेकर उस निशान की तरफ बढ़ी। निशान के पास पहुंचते ही जैसे ही छड़ की रोशनी उस पर पड़ी वह भी चमकने लगा। उसके चमकने के साथ ही पूरा गलियारा भी रोशनी के साथ चमक गया। 
    
    सभी को यह देखकर हैरानी हुई। सब एक दूसरे को अचंभित नजरों से देखने लगे। हिना ने ऐसा ही बाकी के गलियारों के साथ किया। मगर कोई भी गलियारा आधे सूरज वाले गलियारे की तरह रोशनी से नहीं चमका।
    
    हिना ने उन दोनों से कहा “आधे सूरज की बनी यह रोशनी की चमक यही दिखाती है कि हमें इसी रास्ते पर चलना चाहिए। यही रास्ता हमें सही जगह पर लेकर जाएगा। फिर आगे चलकर जब किले के पड़ाव आएंगे तो अपने आप पता चल जाएगा, कि हम सही रास्ते पर है या नहीं। अब यहां हमें हमारी अगली मंजिल बिना फर्श वाले कमरे तक पहुंचना है।”
    
    दोनों ही आगे आ गए। इसके बाद सभी तीन‌ जोड़ियां पैरों की रोशनी से भरे गलियारे में चली गई।
    
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