आर्य और काली छड़ी का रहस्य-37
अध्याय-13
मुकाबला
भाग-1
★★★
सभी बेबस थे। हिना और आयुध अचार्य वर्धन के पास खड़े थे। जबकि आर्य और आचार्य ज्ञरक उन से थोड़ी दूर बातें कर रहे थे। हिना ने आयुध को वही आचार्य वर्धन के पास खड़े रहने के लिए कहा और खुद आर्य की ओर चली गई।
वहां जाकर उसने आर्य से पूछा “आखिर इस समस्या का क्या हल निकाला जाए? क्या हमारे पास ऐसा कोई भी रास्ता नहीं जो अचार्य वर्धन की जान बचा सके।”
यह सुनकर आर्य ने कहा “नहीं हिना। मैं भी अचार्य ज्ञरक से इसी बारे में पूछ रहा था। लेकिन उन्होंने कहा है हमारे पास उन्हें बचाने का कोई रास्ता नहीं है। मैं तो यह तक ढूंढने की कोशिश कर रहा हूं यहां कोई ना कोई कमी तो जरूर होगी, जो शैतान के शहंशाह ने काली छड़ी के इस्तेमाल के लिए बनाने वाले इस अजीब सी प्रक्रिया में छोड़ी होगी, लेकिन इसका भी कोई पता नहीं चल रहा।”
“लेकिन क्या ऐसा हो सकता है शैतान कोई कमी छोड़े... उसने काली छड़ी को सबसे ताकतवर बनाया है... कोई काली छड़ी का इस्तेमाल उसके खिलाफ ही ना कर ले उसके लिए अपना चक्करव्युह भी बनाया है... सौदेबाजी वाला चक्रव्यू... जिसमें कोई भी काली छड़ी से उसकी मौत का सौदा नहीं कर सकता। जब शैतान इतना कुछ कर सकता है, ऐसे में उसकी किसी तरह की कमी छोड़ने की गुंजाइश रहती नहीं।”
आर्य सोचता हुआ बोला “मगर हिना, यही तो वह चीज है जहां कमी छोड़ने की गुंजाइश सबसे बड़ी रहती। मतलब एक तरह से देखा जाए तो शैतान ने यह जो भी ताम जाम किया है वह इस डर से किया है कोई काली छड़ी का इस्तेमाल उसके खिलाफ ना करें, यानी इस काम को करने की वजह उसका डर बनी। और जहां डर होता है वहां कोई ना कोई कमी तो रहती ही है। वह कमी खुद नहीं छोड़ी जाती बल्कि अपने आप ही रहती है।”
हिना सोच में पड़ गई। “अगर ऐसा है तो हमें इसके बारे में पता लगाना चाहिए। अगर हम कुछ देर तक इस चीज के बारे में सोचें तो क्या पता हमें कोई रास्ता मिल जाए।”
आचार्य ज्ञरक ने पीछे मुड़कर अचार्य वर्धन की तरफ देखा। उनका ध्यान उनके शरीर से निकलने वाले खुन पर गया था। उनका खून धीरे-धीरे काला पड़ रहा था। वह बोले “वक्त ही तो नहीं है हमारे पास। काली छड़ के अभिशापित मंत्रों का उन पर असर होने लगा है। उनका खून काला पड़ने लगा है, धीरे-धीरे उनका शरीर काला पड़ने लग जाएगा, फिर एक ऐसा वक्त आएगा जब वह पूरी तरह से काली छड़ के नियंत्रण में चले जाएंगे। वहां वह वापस वह काम करने लग जाएंगे जो अब से कुछ देर पहले कर रहे थे। यानी दीवार को तोड़ने की कोशिश और फिर काली छड़ को उनसे आजाद होने वाली अंधेरी परछाइयों को सौंपना।”
“अभिशापित मंतर!!” अचानक आर्य बड़बड़ाया “क्या हमारे पास अभिशापित मंत्रों का तोड़ है...?” उसने हिना और आचार्य ज्ञरक दोनों से एक साथ पूछा।
“नहीं तो..” आचार्य ज्ञरक बोले “हममें से किसी के पास भी अभिशापित मंत्रों का तोड़ नहीं। अभिशापित मंत्र काली छड़ के हैं तो इसे सिर्फ वही तोड़ सकती है।”
यह सुनकर आर्य के चेहरे पर खुशी आ गई। हिना भी इस खुशी को देख रही थी। उसने थोड़ा असमंजस में होते हुए आर्य से पुछा “कहीं तुम भी तो काली छड़ से सौदा करने के बारे में नहीं सोच रहे। एक ऐसा सौदा जिसमें तुम काली छड़ का इस्तेमाल आचार्य वर्धन पर असर करने वाले अभिशापित मंत्रों को तोड़ने के लिए करोगे। देखो अगर ऐसा है तो मैं तुम्हें बता देती हूं, हम तुम्हें ऐसा कुछ भी नहीं करने देंगे। सौदेबाजी के चक्कर में पहले ही काफी बड़ी मुसीबत खड़ी हो चुकी है, अब और बड़ी मुसीबत झेलने की क्षमता नहीं है हम सब में।”
“नहीं हिना..” आर्य बोला “मैं तो इसके दूसरे पहलू के बारे में सोच रहा हूं। हमारे पास... यानी कि मेरे पास यह जो रोशनी वाली तलवार है वह काली छड़ के हर एक हमले का प्रतिकार कर सकती है। इसे इसीलिए बनाया गया है ताकि यह सामने से होने वाले काली छड़ के हमलों का प्रतिकार कर सके। हम लोग यह देख भी चुके हैं यह तलवार काली छड़ के हमलों का प्रतिकार बेखुबी करती है। यहां तक कि यह ताकतवर हमलो को भी रोकने में सक्षम है।”
“हां तो....” हिना की आंखें अब जिज्ञासा वाली हो गई थी। “अभिशापित मंत्रों के तोड़ में हम इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे....?”
“बताता हूं। लेकिन इससे पहले मुझे कुछ और सवालों के बारे में जानना है। कुछ छोटे-छोटे सवाल...” आर्य तुरंत आचार्य ज्ञरक की तरफ घुमा “आचार्य ज्ञरक, आप मुझे यह बताइए जब आचार्य वर्धन पुरी तरह से काली छड़ के नियंत्रण में आ जाएंगे तो क्या उन्हें इस तलवार के इस्तेमाल से खत्म किया जा सकता है?”
“हां... हम उन्हें खत्म कर सकते हैं....?”
“तो मतलब मैं जो सोच रहा हूं अगर वह तरकीब काम नहीं करती, तो हम वही करेंगे जो हमारे पास यहां आखरी रास्ते के रूप में मौजूद है। यानी कि आचार्य वर्धन को खत्म कर देंगे। इससे बिगड़ने वाली चीजें बिल्कुल भी नहीं बिगड़ेगी, और जो चीज जैसी है वह वैसी ही रहेगी। लेकिन अगर मेरी तरकीब काम कर जाती है तो उसमें अचार्य वर्धन की जान भी बच जाएगी, और दीवार के पीछे कैद अंधेरी परछाइयां भी आजाद नहीं होंगी।”
हिना और अचार्य ज्ञरक दोनों एक दूसरे को हैरत से देखने लगे। आर्य तरकीब की बात तो कर रहा था मगर उसने अभी तक तरकीब बताई नहीं थी।
हिना ने अपनी जिज्ञासा को और बढ़ता देख तुरंत आर्य से कहा “लेकिन तरकीब है क्या..? तुमने हमें अभी तक इसके बारे में नहीं बताया...? आखिर ऐसा कौन सा रास्ता है जिससे तुम यह सब करोगे।”
आर्य ने तुरंत तलवार को नीचे जमीन की तरफ किया और वहां पर तीन अलग-अलग बिदुं बनाए। “देखो, हम सब जानते हैं की काली छड़ ऐसे मंत्रों से भरी पड़ी है जिसका तोड़ किसी के पास नहीं। यहां तक कि शैतान के पास भी नहीं। ऐसे में लाजमी है इन मंत्रों का तोड़ खुद काली छड़ी के पास भी नहीं होगा। ऐसे में मैं काली छड़ी से मुकाबला करूंगा। मतलब जब काले छड़ी का आचार्य वर्धन पर कब्जा हो जाएगा तब आचार्य वर्धन से होने वाला मुकाबला काली छड़ी से ही होने वाला मुकाबला होगा। यह काली छड़ी मुझ पर हमले करेगी। एक के बाद एक हमले, इसका प्रतिकार मैं रोशनी वाली तलवार से करता रहूंगा। बार-बार होने वाले प्रतिकार से काली छड़ी को आखिर में बड़ी शक्तियों का इस्तेमाल करना होगा। ऐसी बड़ी शक्तियों का जिसका तोड़ किसी के पास ना हो। यानी कि उसे ऐसे मंत्रों का इस्तेमाल करना पड़ेगा जिसका तोड़ किसी के पास नहीं होगा।”
“लेकिन अगर उसका तोड़ किसी के पास नहीं तो तुम उसका सामना कैसे करोगे?” हिना ने सवाल पूछा।
“देखो तुमने मेरे शब्दों पर ध्यान दिया। मैं बार-बार प्रतिकार शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं। ना कि सामना करने का। प्रतिकार का मतलब होता है चीजों की दिशा बदल देना। रोशनी की तलवार काली छड़ी के हमलों का सामना नहीं करती, बल्कि उनका प्रतिकार करती है। काली छड़ी ने जब आचार्य ज्ञरक पर काले गोलों का हमला किया था तब रोशनी की तलवार ने प्रतिकार के जरिए उन हमलों को इधर-उधर बिखेर दिया था। फिर जब बड़ा हमला हुआ और तलवार ने उसका सामना करने की कोशिश की, तो यहां भी एक कोशिश के बाद रोशनी की तलवार ने हमलों का प्रतिकार कर दिया। उस प्रतिकार में मुझे भी झटका लगा और आचार्य वर्धन को भी। जरूर वह हमला किसी ऐसे ही मंत्र का होगा जिसका किसी के पास तोड़ ना हो, इसीलिए प्रतिकार में आचार्य वर्धन दूर जा गिरे थे। वह इसे रोक नहीं पाए थे। इसीलिए तो मेरे दिमाग में यह प्रतिकार वाला विचार आया। और इसीलिए मैं बार-बार इसी प्रतिकार शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं।”
“ठीक है मैं समझ गई।” हिना ने हां के अंदाज में गर्दन हिलाई “हम यहां काली छड़ी के हमलों का सामना नहीं कर रहे, बल्कि उनका प्रतिकार कर रहे हैं। अच्छा अब तुम आगे का बताओ...?”
“आगे का सुनो।” आर्य अब नीचे की तरफ देखने लगा “तो जब मेरा सामना काली छड़ी से होगा, और काली छड़ी बार-बार हमला करने के बाद एक ऐसे हमले का इस्तेमाल करेगी, जिसका तोड़ उसके पास भी नहीं होगा, तो मैं एक ऐसा प्रतिकार करूंगा जिसमें काली छड़ी का हमला प्रतिकार के बाद काली छड़ी की ओर ही चला जाएगा। और काली छड़ी को अपने ही हमले का सामना करना पड़ेगा।”
आर्य ने पहले बिंदु के नीचे कुछ जगह छोड़ कर दो बिंदु बनाए। वह बोला “पहला बिंदु काली छड़ी है, यहां काली छड़ी हमला करेगी और उससे हमला मेरी और आएगा...” उसने पहले बिंदु से एक लाइन को खींचना शुरू किया जो दूसरे बिंदु की ओर जा रही थी। “यहां जैसे ही हमला मेरे पास आएगा, मैं इसका प्रतिकार करूंगा और इसकी दिशा बदल दूंगा, जिसके बाद यह हमला इस तरफ जाने लग जाएगा..” आर्य ने दूसरे बिंदु से खींची जाने वाली लाइन की दिशा को बदला और उसे तीसरे बिंदु की ओर ले गया। “जब यह हमला इस तरफ जाएगा, तो मैं तेजी से अपनी जगह को बदलुंगा और यहां आ जाऊंगा, यहां आ जाने के बाद मैं वापिस तलवार से हमले का प्रतिकार करूंगा और उसकी दिशा को काली छड़ी की ओर मोड़ दूंगा...” आर्य ने तीसरे बिंदु से लाइन को मिलाने के बाद उसे मोड़ कर वापस पहले बिंदु की ओर कर दिया। इससे एक त्रिभुज जैसी आकृति बन गई, और उसने हमलो को दो बार परावर्तित कर उसे वापिस काली छड़ी की ओर कर दिया। इसके बाद वह बोला “यहां काली छड़ी के पास इस हमले का तोड़ नहीं होगा.... उसे अपने ही हमले का सामना करना पड़ेगा.... जिसके बाद वह पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगी.... और जब काली छड़ी खत्म हो जाएगी.... तो ना रहेगा बांस... ना बजेगी बांसुरी।”
हिना की हैरत की कोई सीमा नहीं थी “काली छड़ी खत्म हो जाएगी..” उसने शब्दों को मोटा खींचते हुए बोला “और काली छड़ी खत्म हो जाने के बाद उसके अभिशापित मंत्र भी खत्म हो जाएंगे.... क्या तरकीब लगाई है तुमने आर्य... इससे सिर्फ हमारे अचार्य वर्धन सही नहीं होंगे... बल्कि शैतान के शहंशाह को भी एक बहुत बड़ा झटका लगेगा.... उसकी सबसे बड़ी ताकत खत्म हो जाएगी.... वह भी जान जाएगा यहां धरती पर कोई ऐसा आ गया है जो उसकी ताकत को चुनौती देने वाला है।”
आचार्य ज्ञरक मन ही मन बोले “भविष्यवाणी में अगर इस लड़के का जिक्र हुआ है.... तो कुछ तो खास होगा इसमें। वरना यूं ही इसे लेकर भविष्यवाणी ना होती।”
हिना ने आचार्य ज्ञरक की तरफ देखा और पूछा “क्या यह तरकीब काम करेगी...? संभावना है हम इसमें कामयाब हो जाएं।”
आचार्य ज्ञरक ने जमीन पर बने त्रिभुज को देखा। वह बोले “आज से पहले कभी भी इस तरह का कुछ किया नहीं गया है.... ऐसे में साफ और स्पष्ट तौर पर तो नहीं कहा जा सकता इसके बाद क्या होगा.... मगर यह बात जरूर है इस संभावना के सफल होने की कुछ उम्मीद तो है।”
आर्य उन दोनों की बात के बीच में बोला “ मैं भी इसे संभावना की तौर पर ही देख रहा हूं। अगर यह तरकीब काम कर गई तो ठीक है.... वरना फिर हमारे पास आचार्य वर्धन को खत्म करने वाला आखिरी रास्ता तो बचा ही रहेगा। फिर ना चाहते हुए भी हम उस रास्ते का इस्तेमाल कर लेंगे... या फिर कह लीजिए हमें ना चाहते हुए भी उस रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ेगा.... हमें अचार्य वर्धन को मारना ही पड़ेगा....”
★★★