साथ हमारा
साथ हमारा
थे अनजाने, दो दीवाने
हुई एक दिन अचानक मुलाकात
बातों बातों में बात कुछ ऐसी चली
रोज़ फिर मुलाकात होने लगी।
कुछ सुन लिया कुछ कह दिया
कुछ बिन कहे ही समझ लिया
परत दर परत, कदम दर कदम
विश्वास की एक डोर बीच बंध गई।
सखा हुए, मित्र बने, सुगंध जैसे इत्र बने
अब न कोई छोर था, अनंत था, विभोर था
प्रेम का मोहपाश था, दोनों को कुछ आभास था
आभास फिर प्रबल हुआ, प्रेम और सरल हुआ।
साथ चल रहे हैं अब, भले ही दोनों दूर हैं
एक नशे, उन्माद में दोनों ही कितने चूर हैं
है प्रेम कुछ, बहुत विश्वास से दोनों ही एकसाथ हैं
हाथों में हाथ न सही, रिश्ता बहुत ही खास है।
आभार – नवीन पहल – ०८.१२.२०२१ ❤️🌹🙏🏻💐
# प्रतियोगिता हेतु
Chirag chirag
09-Dec-2021 05:02 PM
Well penned
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Seema Priyadarshini sahay
09-Dec-2021 04:36 PM
बहुत खूबसूरत रचना
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Zakirhusain Abbas Chougule
09-Dec-2021 12:34 AM
Nice
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