Neha Sharma

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मेघा

यह बारिश हर बार भिगो देती है मुझे जब यह बरसती है, मेरे अंतर्मन पर मेघो सी गरजना होती है,

फिर मेरे अंदर भी रोम रोम उज्जवलित होता है किसी हीरे कि तरह, जैसे यह वर्षा आयी हो केवल मेरे लिए,मुझे भिगोने के लिए,निर्जन वन में प्रेम का अंकुरण करने आई हो, मुझको मुझसे मिलने आई हो।

प्रतिक्षण मुस्कुराता है यह मेघ भी जब नाचता है यह मयुर मन, उसके आने पर,
अटखेलियां करता है वो शून्य होकर भी परिपूर्ण होता है मन जैसे वात्सल्य से भरा हो किसी ने।
ताकता है वो उसे और जन्म देता है नयी उमंगों को जो तत्पर होता है जगमगाने के लिए किसी जुगनू की तरह
देखो बादल कितने प्रेममय हो तुम, मैं भीगना चाहूं और तुम बन जाते हो कभी बारिश,कभी ओस और कभी आंसू।
तुम्हें एकटक निहारते मेरे चक्षु डबडबा जाते हैं अश्रुओं से जो कभी कहता है मेरे दुख को,कभी संताप को और कभी विस्तृत कर देता है मेरे एकाकीपन को।
वो जो मेघा बनकर जब मेरे मुख को छूते हो तब निकल जाते है मेरे आंसू भी उसके संग कहीं दूर इस अंतर्मन को छोड़कर,वो निकल जाते हैं इस गम्भीरता को छोड़कर और मुख पर रह जाता है केवल नीर,वहीं जो तुमने गिराया था मेरे ऊपर मुझे हल्का करने के लिए,
नाहक ही तुम रुद्र रूप रखते हो मेघ,तुम तो साथी हो सबके  हर उस दुख के,उस एकाकीपन के,ग्लानि के,संताप के,न जाने कितनो के साथी हो तुम,कितने दुख बहते होंगे तुम्हारे सामने मेघ।
तुम केवल मेघ नहीं ही तुम तो हृदय हो जो न जाने कितनों की मन की पीड़ा को समझता होगा।
क्यों वेदना देते हो मेघ तुम तारिका के भेद से,तुम तो खुद एक उज्जवल प्रकाश हो इस अंधकारमय जीवन में,उस तृणरहित वन में,तुम अमृत हो मेघ जो विस्तार करता है इस श्रृष्टि का।
प्रतीक्षा करता है चातक तुम्हारी,मयूर नृत्य से स्वागत करता है तुम्हारा,तुम अदभुत हो मेघ।
मुझे फिर से प्रतीक्षा रहेगी तुम्हारी,की तुम जलमय कर सको मुझे और हल्का कर दो मुझे इन अश्रुओं से।।


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10 Comments

Sonali negi

03-Jun-2021 03:47 PM

Osm

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Swati Sharma

19-May-2021 07:42 PM

Shaandaar

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Neha Sharma

19-May-2021 08:14 PM

Thank you 😊😊

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