A2-009
भूमिका अपने दोस्तों के साथ कल की प्रतियोगिता के विषय में चर्चा कर रही थी। वह कल की प्रतियोगिता को लेकर बहुत उत्साहित थी। खुशी-खुशी वह अपने घर चली गई। उसने सोच रखा था कि वह कल के लिए एक एलियन का चित्र बनाएगी। उसने जल्दी से रात का भोजन किया और अपने कमरे की ओर बढ़ गई।
उसने एलियन का चित्र बनाना आरंभ किया और बहुत ही सुंदर रंग उसमें भर दिए। जैसे ही उसने आखिरी रंग भरा एक तेज लाल रंग की रोशनी से उसका पूरा कमरा सराबोर हो गया। उसने अपनी आंखें बंद कर ली। थोड़ी देर बाद उसने अपनी आंखें खोली तो सामने उसका बनाया हुआ एलियन का चित्र जीवित होकर खड़ा था। उसने अपनी आंखें मसली, परंतु यह क्या वह तो अभी भी वहीं खड़ा हुआ उसे देख रहा था। वह भूमिका से बोला-" डरो नहीं मेरा नाम A2-009 है। तुमसे सहायता लेने आया हूं। मेरी एक नन्ही सी डॉल खो गई है, क्या तुम उसे ढूंढने में मेरी सहायता कर सकती हो?"
भूमिका बोली - "ठीक है, मैं तुम्हारी सहायता करूंगी।" कहकर दोनों एलियन के यान में बैठे और वह यान गायब हो गया। उसमें बैठकर कई जगह घूमे परंतु जब कुछ नहीं मिला तो हारकर वापस भूमिका के कमरे में आ गए। A2-009 दुःखी था। भूमिका उसे सांत्वना दे रही थी, तभी A2-009 की नज़र भूमिका की डॉल पर गई। वह ज़ोर से चिल्लाया-" यही तो है मेरी डॉल।" भूमिका ने कहा-"नहीं-नहीं यह तो मेरी डॉल है।" A2-009 उस डॉल को उठाकर लाया और कुछ बटन दबाए| यह क्या वह डॉल तो सच में चमत्कारी थी। उसमें जो चाहो वो पुस्तक एक बटन दबाकर ही प्राप्त की जा सकती थी। दूसरा बटन दबाते ही तरह-तरह के रंगों के डब्बे आ गए। भूमिका बोली-" वाह! यह डॉल तो सच में चमत्कारी है। मुझे तो इसकी विशेषताओं के बारे में पता ही नहीं था।"
भूमिका को यकीन हो गया कि यह डॉल सच में A2-009 की ही है। उसने वह डॉल उसे ले जाने को कहा। A2-009 ने उसे धन्यवाद कहा और अपने यान में बैठकर अपने ग्रह पर चला गया। सुबह भूमिका की नींद खुली तो उसे लगा मानों वह कोई सपना देख रही थी। उसने अपनी आंखें मसली और अपने बनाए चित्र को देखकर सोचते हुए मन ही मन बुदबुदाई-" इसका मतलब मैं सच में सपना ही देख रही थी।" वह तैयार हुई और अपना बनाया चित्र लेकर स्कूल जाने लगी, तभी अचानक उसकी नजर उसकी डॉल वाली जगह पड़ी। वह चौंक गई यह क्या उसकी प्यारी डॉल वहां से गायब थी। उसने पूरे कमरे में उसे ढूंढा, परंतु वह कहीं नहीं मिली। फिर से उसकी डॉल वाली जगह पहुंची तो देखा एक छोटा सा लॉकेट वहां पड़ा हुआ था, और एक चिट्ठी भी वहां थी जिसमें लिखा था, -" मैं सदैव तुम्हारे साथ हूं, तुम्हें जब भी जरूरत हो इस लॉकेट से मुझसे कॉन्टैक्ट कर लेना, मैं आ जाऊंगा।"
भूमिका ने खुशी-खुशी उस लॉकेट को गले में पहना और अपने स्कूल चली गई, उसका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा। उसे प्रथम स्थान मिला और उसका चित्र \\'साइंस फेयर\\' के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हो गया। उसने मन ही मन A2-009 को धन्यवाद कहा, और अपने घर की ओर चल पड़ी।
Dipanshi singh
16-Dec-2021 05:10 PM
Very nice 👌
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Swati Sharma
16-Dec-2021 06:50 PM
Thank you
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Pallavi
15-Dec-2021 10:01 PM
Nice mam
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Swati Sharma
15-Dec-2021 11:12 PM
Thank you
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Priyanka Rani
15-Dec-2021 08:58 PM
Nice mam
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Swati Sharma
15-Dec-2021 09:28 PM
Thank you
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