Ariz Noor

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"क़दर दान"

जो मैं लिखती हूं

क़दर दान यहां नहीं हैं।

पंख हैं मेरे जितने लंबे
उतनी बड़ी ये जहां नहीं है।

ऐसा दर्द नहीं है कोई
जिसको मैंने सहा नहीं है।

आंसू अपने पीती और ग़मों को खाती हूं
अपने "रब" से कहा नहीं है।
           ❤️   👏👏❤️

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5 Comments

Payal thakur

16-Dec-2021 03:17 PM

Very nice 👌

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Pallavi

15-Dec-2021 10:08 PM

Nice

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Arman Ansari

15-Dec-2021 09:55 PM

Wah

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