जलपरी का उपहार
रामू एक गरीब मछुवारा , अपनी पत्नी के साथ समुद्र के किनारे बस्ती में रहता था।रामू की पत्नी बहुत दुष्ट थी,वह उसे उसकी गरीबी पर बहुत ताने सुनाती थी।
रामू इससे बहुत दुखी रहता।
वह रोज जाल लेकर जाता ,घंटों बैठा मछली फंसने का इंतजार करता लेकिन ज्यादातर उसे खाली हाथ ही लौटना पड़ता ।
वहां सभी मछुवारों के पास अपनी अपनी नावें थीं जिससे वो बीच समुद्र में जाकर मछलियां पकड़ लेते थे।
जिस दिन वो खाली हाथ लौटता , उस दिन समुद्र देवता से कहता , हे ईश्वर मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं ,ये मेरे पूर्व जन्मों का ही फल है, जो इस जन्म में फलित हो रहा है,लेकिन मैं लौट कर पत्नी को क्या कहूंगा जब वो मेरे पास कोई मछली नहीं देखेगी।
ऐसे ही उसके दिन कट रहे थे ,एक दिन समुद्र की ओर जाते जाते उसने प्रण लिया कि ,अगर मैं अपनी पत्नी का पेट नहीं भर सकता तो मेरे जीने का क्या फायदा,आज अगर मछली नहीं मिली तो मैं खाली हाथ घर नहीं जाऊंगा,यहीं जल समाधि ले लूंगा।
ऐसा सोच उसने समुद्र में जाल डाला।कुछ देर बाद जाल खींचा तो वह उससे खिंच नहीं रहा था ,वह खुशी से उछल पड़ा ,शायद आज कोई बड़ी मछली हाथ लगी है।
बहुत जोर लगाकर मुश्किल से जब उसने जाल को खींचा तो वह देख कर दंग रह गया ,उसके जाल में मछली की जगह एक सुंदर लड़की थी ,जिसके कमर से उपर का सिरा लड़की का और नीचे का हिस्सा मछली की तरह था।
वह सर पकड़ कर रोने लगा।ये क्या?
उसने कभी ऐसी विचित्र लड़की नहीं देखी थी ।
वह सोच में पड़ गया ,मैने तो मछली के लिए जाल डाला था ये लड़की कहां से निकल आई ,अभी इसे अपने साथ लेकर जाऊंगा ,तो मेरी पत्नी मेरा जीना हराम कर देगी ।
इसलिए उसने उसे पानी में छोड़ दिया ,और अपनी आंखें बंद कर पानी में कूदने ही वाला था कि, अचानक एक संगीत की मधुर ध्वनि के जैसी आवाज उसके कानों में सुनाई पड़ी।
रुको ,भले मानुष तुम बहुत दयालु हो।
रामू ने आंखें खोल कर देखा ,सामने एक बहुत सुंदर सुनहरे बालों वाली स्त्री जिसके भी शरीर का निचला हिस्सा मछली का था ,खड़ी मुस्कुरा रही थी ।
रामू डर गया ,अभी तो एक को पानी में छोड़ा था ,अब दूसरी आ गई । हे भगवान ,ये सब मेरे पीछे क्यों पड़ी हैं,एक का गुजारा तो कर नहीं पा रहा ,ताने सुन सुन कर जीने की इच्छा ही खत्म हो गई और ये भी आ गई।
रामू ने हाथ जोड़ कर कहा _हे देवी !तुमलोग मेरे पीछे क्यों पड़ी हो ।मुझे मछली चाहिए थी ,खाने और बेचने के लिए वो तो मिला नहीं ।,कृपया तुम समुद्र में चली जाओ और मुझे अपनी जीवन लीला समाप्त करने दो।
जलपरी ने कहा _सुनो ,रामू तुम बहुत भोले और अच्छे हो ,तुमने छोटी जलपरी को छोड़ मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है।
मैं इसके बदले तुम्हें ये राज चिह्न देती हूं।
यहां के राजा को एक दैत्य ने मार दिया है।तुम इस राज चिह्न को लेकर जाओ,वहां के राजपुरोहित ने भविष्यवाणी की थी ,राजा की हत्या के बाद , कोई भला व्यक्ति जिसे ईश्वर ने चुना होगा ,राज चिह्न लेकर आएगा।
समुद्र देवता ने तुम्हें चुना है ,जाओ ये राजचिह्न लेकर नगर में प्रवेश करो।
रामू ! अचंभित था ,उसको अपनी आंखों,और कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।वह वहीं राज चिह्न लेकर बैठा रह गया।देर हो गई थी ,रामू की पत्नी उसे ढूंढते हुए समुद्र के किनारे आई तो रामू को समुद्र की ओर एकटक निहारते देख उसे झिझोड़ा।
क्या हुआ ? तुम अभी तक यहीं बैठे हो ,निकम्मे कहीं के । दिन ढल आया एक मछली भी नहीं पकड़ पाए।
रामू होश में आया। उसने कहा रानी बनने की तैयारी कर लो।हम रूप नगर के राजा बनने वाले हैं।उसकी बात सुन उसकी पत्नी गुस्से से तमतमा उठी।
भूखे पेट में इस तरह का मजाक अच्छा नहीं लगता ,तुम्हारा दिमाग खराब हो चुका है शायद।
उसके बाद रामू ने जलपरी वाली बात सिलसिलेवार ढंग से पत्नी को बताई ।
अगले दिन वे राजमहल की तरफ रवाना हुए।जहां राजचिह्म देख उसे राजपुरोहित ने राजा घोषित कर दिया ।इस तरह रामू अब राज राजेश्वर हो गया।
किस्मत कभी भी पलट सकती है ,हौसला ,विश्वास,और नेकी का दामन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए।
Shrishti pandey
17-Dec-2021 08:50 AM
Nice one
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Abhinav ji
17-Dec-2021 12:10 AM
बढ़िया
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Sangeeta singh
17-Dec-2021 07:02 AM
🙏
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Swati Sharma
16-Dec-2021 07:51 PM
Ati sundar
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Sangeeta singh
16-Dec-2021 10:35 PM
🙏 धन्यवाद
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