Rhyme

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किताब

जिन्होंने है मुझे खोला ,

बस अच्छा वर्ण है बोला।

हूं मैं साथी सबकी,
रखती हूं जानकारी हर चीज की।

बच्चे मुझे देख मुंह बनाते ,
मुझे देखते ही ,अपनी नजर मुझसे है चुराते ।

बच्चों से बूढ़ों तक मैं  सब में  जानी जाती,
जो होता अकेला, मैं उससे अपनी दोस्ती बढ़ाती।

शुभ नाम से सब मुझे  किताब है पुकारते,
मुझे पढ़ने वाले किताबी कीड़ा है कहलाते।

-- Rhyme Nigam "shaivalika"

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3 Comments

Zulfikar ali

21-May-2021 04:33 PM

बेहतरीन 👌

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Vfyjgxbvxfg

21-May-2021 04:28 PM

बेहद खूबसूरत

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Mr.RED(मनोरंजन)

21-May-2021 03:59 PM

मस्त लिखा है

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