Kavita Gautam

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अफसाना


"अफसाना"

ह्रदय में भाव और कागज पर

शब्द कुछ उतरते हैं

जिंदगी के सफर की दास्तां

जब हम लिखते हैं...


इक अफसाना सा बन जाता है

कुछ इस कदर

पलकों को अपने पलकों से

जब हम मिलाते हैं...


पलकें उठाते ही हो जाता है

ओझल वो अफसाना कहीं

जैसे आसमां में बादल

कहीं खो जाते हैं...


कभी मुस्कुराते हैं हम

तो कभी आंखें होती हैं नम

खुद को महफूज समझते है हम

जब तुम्हारी पनाह में

खुद को पाते है...


अभी तक का सफर तो सुहाना था बहुत

आगे भी तुम्हारे साथ यूं हीं हम

जिंदगी  का एक लम्बा सफर

तय करना चाहते हैं...


हंसते मुस्कुराते

तो कभी रूठते मनाते

बस यूं ही साथ तुम्हारे

चलते रहना चाहते हैं...


हो सकता है कि आए

इस सफर में कुछ उलझनें

साथ चलते चलते तुम्हारे मगर

उनको सुलझाना चाहते हैं...


कविता गौतम...✍️


प्रतियोगिता हेतु।


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14 Comments

Shrishti pandey

17-Dec-2021 09:00 AM

Nice

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Kavita Gautam

17-Dec-2021 12:40 PM

बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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Swati chourasia

17-Dec-2021 07:05 AM

Very beautiful 👌

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Kavita Gautam

17-Dec-2021 12:40 PM

बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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Abhinav ji

16-Dec-2021 11:57 PM

बेहद खूबसूरत रचना

Reply

Kavita Gautam

17-Dec-2021 12:41 PM

बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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