एहसासों से भर गया था मैं
जब लब मेरे खामोश हो गए
पर दिल मे शोर गूंज रहा था
फिर एक रोशनी नजर आयी
और मेरे एहसास स्वरों में बदल गए
ये स्वर पन्नों को सजाने लग गए
बहने लगा मैं भी इस स्वर धारा में
जब इनके रस से सभी महकने लग गए
इस धारा में था मेरा ही व्यक्तित्व
जिसे लोग कविता का नाम देने लग गए
अनुभव जो मैं जी ना सका
एहसास जो मैं बता ना सका
अल्फ़ाज़ जो लब से बोल ना सका
स्वरों के सागर में डुबाकर जिन्हें
रस धारा से अब मै तोलने लगा
हकीकत से परे जज्बातो को
अब मैं किताबो में समाने लगा
तन्हा पन से हम भी भीड़ के हो गए
जब लोग इस स्वर रस को पीने लग गए
मेरे एहसास जो दफन थे दिल के शोर में
खामोशी से अब वो दुसरो के कानों तक पहुँच गए
देखते ही देखते जो टूटे दिल की फरियाद थी
पल भर में पूरी होने लग गए ।
Shrishti pandey
18-Dec-2021 09:15 AM
Nice one
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Swati chourasia
17-Dec-2021 11:57 PM
Very beautiful 👌
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Abhinav ji
17-Dec-2021 11:30 PM
Very nice
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