Kavita Gautam

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अकेलापन

"अकेलापन"


खुद से खुद को रूबरू करा दे

कुछ खट्टी मीठी यादों को फिर से महका दे

होंठो पर एक प्यारी सी मुस्कान  बिखरादे

आंखों में कुछ आंसू छलकादे

अपनों की कमी को जो महसूस करादे...


क्या यही है अकेलापन

कितना अपना सा है ये अकेलापन

फिर क्यू इतना खलता है ये अकेलापन

क्यू इतना असहाय सा है ये अकेलापन...


कितने मनोभावों को खुद में समेटे हुए

हर किसी के लिए एक जैसा नहीं ये अकेलापन

कभी ज्ञान का सदमार्ग बन जाए

तो कभी कुसंगति की राह दिखलाए

तभी तो सभी के लिए एक जैसा नहीं ये अकेलापन...


पता सबको है कि आए है अकेले

तो जाएंगे भी अकेले

ये सूरज, ये चांद

ये धरती, ये आसमान

सभी तो हैं अकेले...


फिर क्यू खलता है ये अकेलापन

क्यू नही भाता है ये अकेलापन

क्यू नही भाता है ये अकेलापन...


कविता गौतम...✍️


प्रतियोगिता हेतु।


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3 Comments

Shrishti pandey

18-Dec-2021 09:20 AM

Nice

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Abhinav ji

18-Dec-2021 12:10 AM

Nice

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Swati chourasia

18-Dec-2021 12:00 AM

Very beautiful 👌

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