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कोराेना

मृत्यु मानवीय है

कोरोना अमानवीय!

मानवीय मृत्यु हमें मृतक को छूने का अवसर देती है।

प्यार जतलाने का मौक़ा देती है।

हम मृत व्यक्ति के शव पर फूल-गुल-पुष्प अर्पित कर सकते हैं।

उसको छू सकते हैं।

उससे लिपटकर रो सकते हैं।

उसको चूम सकते हैं।

स्वाभाविक मृत्यु में आत्मीयजन के चार काँधें मिलते हैं,

वे भी कोरोना-मृत्यु में नसीब नहीं।

मृत्यु का देवता यमराज है जिससे हमारा पुराना संवाद है,

लेकिन कोरोना का कोई देवता नहीं,

कोई ईश्वर नहीं।

हम मृत्यु से नहीं डरते,

लेकिन कोरोना से डरते हैं।

मृत्यु मनुष्य के लिए वरदान है,

लेकिन कोरोना मनुष्य के ख़िलाफ़ एक साज़िश है।

हे ईश्वर!

मारने के बहुत मार्ग हैं

लेकिन कोरोना से मत मारना

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