डांसिंग कपल - ए लव स्टोरी भाग 10
भाग 10
दादी तारा और उसकी माँ ज्योति की बातें सुनकर चुपचाप बिस्तर पर आकर लेट गयी और मन ही मन सोचने लगी……. वाह माँ-बेटी की खिचड़ी तो खूब पक रही है। तारा से ज्यादा तो इसकी माँ का कसूर है जो अपनी बेटी को अच्छे संस्कार नहीं दे पाई और ऊपर से उसकी गलत हरकतों में उसका साथ देकर उसे और शह दे रही है।
एक तो बेटा नहीं जन पायी और ऊपर से बेटियां भी ऐसी। चलो कुछ भी हो एक काम तो अच्छा किया है बहू ने, चाहे लड़कियाँ ही जनी हैं लेकिन सुंदर और होशियार जनी हैं, चलो दहेज़ का कुछ तो भार कम होगा मेरे बेटे के सिर पर।
दादी को यह पता नहीं होता कि जूही ने दादी को तारा के कमरे के बाहर कान लगाते हुए देख लिया है। जूही समझ जाती है कि दादी ने तारा और मम्मी की बातें सुन ली हैं।
जूही कमरे में जाती है और तारा के कान में खुसर-फुसर करती है। तारा झट से अमर को मैसेज करती है और घर से थोड़े दूर वाले मैक डी में मिलने के लिए बुलाती है।
जूही और तारा कमरे से बाहर आते हैं और जूही अपनी मम्मी से कहती है…. मम्मी तारा और मैं बड़े वाले हनुमान मंदिर जा रहे हैं प्रशाद चढ़ाने।
तारा मजे लेने के लिए दादी से कहती है……. दादी आप भी चलो ना हमारे साथ मंदिर, आज मंगलवार है, मंदिर खूब सजा होगा।
मन तो मेरा भी है तारा लेकिन क्या करूँ इस बुढ़ापे में कौन 100-200 सीढ़ियाँ चढ़कर मंदिर जायेगा। मेरे बस की नहीं है बिटिया, जाओ तुम दोनों होकर आ जाओ। प्रशाद जरूर लेकर आना।
जी दादी, जैसी आपकी मर्ज़ी। हम जाकर आते है अभी।
बाहर जाकर मैं और जूही बहुत ज़ोर कर हंसे। हमें मालूम था कि दादी के बस का नहीं है बड़े वाले हनुमान मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ना इसलिये हमने जान बूझकर दादी से चलने के लिए कहा। अब दादी शेर है तो हम भी सवा शेर हैं। आखिर हैं तो दादी की ही पोतियाँ।
हमने जल्दी से ऑटो पकड़ा और फटाफट मैक डी पहुँच गए। अमर वहाँ पहले से ही मौजूद था।
जूही को देखते ही अमर ने मुस्कुराते हुए कहा….. वाह आज साली साहिबा भी आयीं हैं लेकिन किस ख़ुशी में?
तारा इतनी जल्दी में मुझे क्यों बुलाया और जूही को क्यों ले आयी हो साथ?
जूही गुस्से में…. अमर अभी तुम सिर्फ तारा के बॉयफ्रेंड हो इसलिए साली कहना बंद करो और मुझे कबाब में हड्डी बनने का कोई शौक नहीं है।
मुझे एक जरुरी बात करनी है तुम दोनों से।
अमर सॉरी बोलता है जूही को, तारा और अमर दोनों ही गंभीरता से जूही की बात सुनने लग जाते हैं।
जूही कहती है….. तारा आज तेरे और मम्मी के बीच अमर को लेकर जो भी बात हुई थी, दादी ने सब सुन ली है और वो तेरी हर हरकत पर नज़र रखती है। मैंने कई बार दादी को हमारे कमरे के बाहर खड़े होकर बातें सुनते हुए देखा है। दादी के दिमाग में कुछ तो चल रहा है।
कल मैंने दादी और बुआ की फोन पर हुई बातचीत सुनी थी। दादी तेरे लिए लड़का ढूंढने के लिए कह रही थी और कह रही थी जैसे ही लड़का पसन्द आ जायेगा वैसे ही चट मंगनी और पट ब्याह कर देगी।
अमर और तारा के चेहरे पर परेशानी साफ़ झलक रही होती है।
तारा कहती है….. लेकिन माँ ने तो इस बारे में मुझसे कुछ नहीं कहा।
जूही….. माँ को इस बारे में कुछ पता होगा तो कहेगी ना तुझे कुछ।
दादी को तू कम मत समझ तारा। याद नहीं तुझे दादी ने चाचा की लड़की की शादी कैसे उसकी मर्ज़ी के खिलाफ जबरदस्ती करवा दी थी उससे बड़ी उम्र के लड़के से।
तारा….याद मत दिला तू मुझे यह सब, डर लगता है।
अमर तारा के हाथ अपने हाथ में लेकर कहता है…. तुम डरो मत तारा, मैं तुम्हारे साथ हूँ।
जूही मुझे कम से कम 6 महीने तो चाहिए खुद को सेटल करने के लिए। अगर हम दोनों ने यहाँ रहकर शादी की तो मेरे पापा हमें चैन से रहने नहीं देंगे।
तारा हमें यहाँ से भागकर मुम्बई जाना होगा। मुम्बई हमारे डांसिंग करियर के लिए भी बढ़िया रहेगा। इन 6 महीनों में मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ कर ही लूंगा अपने लिए।
तुम्हारा क्या कहना है तारा इस बारे में?....
तारा….. मैं तुम्हारे साथ हूँ अमर। लेकिन 6 महीने दादी की नज़रों से कैसे बचेंगे?
जूही मुस्कुराते हुए….. मेरे पास एक आईडिया है। हम घर में सबको यह दिखाएंगे कि तुम्हारा ब्रेकअप हो गया है। लेकिन हाँ तुम दोनों को डांस स्कूल छोड़ना पड़ेगा क्योंकि जब तक एक ही डांस स्कूल में रहोगे तब तक दादी का शक बना रहेगा और सिर्फ फोन पर मैसेज करोगे वो भी काम के, नो लव शव वाले मैसेज।
अमर और तारा…..ये कुछ ज़्यादा नहीं हो रहा जूही?
जूही…… मेरे आईडिया के कारण ही तुम दोनों मिले हो भूल गए क्या डांस शो?
अमर और तारा जूही के आगे हाथ जोड़ते हुए…. बहुत बहुत आभार हमें मिलवाने के लिए, अब आगे बोलो माता….
जूही…..अमर का नाम आज से अमृता होगा तारा के मोबाइल पर और तुम लोग जब भी मिलोगे यहाँ आसपास की जगहों पर नहीं मिलोगे और हाँ रोज़ मिलने की बजाय थोड़ा कम मिलोगे।
इस तरह दादी के दिमाग में यह बात बैठ जायेगी कि तुम्हारा एक दूसरे से कोई लेना देना नहीं है अब और तुम पीछे से अपने भागने की तैयारी करते रहना। लेकिन हाँ शादी यहीं होगी दिल्ली में और वो भी कोर्ट मैरिज, उसके बाद जहाँ जाना है तुम दोनों जा सकते हो।
अमर और तारा दोनों हाथ जोड़कर कहते हैं….जैसे जूही माता कहेंगी हम वैसा ही करेंगे।
फिर तीनों हंसने लग जाते हैं।
जूही वाशरूम जाने के बहाने से तारा और अमर को बात करने के लिए अकेला छोड़ देती है।
अमर तारा के गाल को छूते हुए कहता है….. तुम डरो मत, सब अच्छा होगा। तारा सिर्फ अमर की है और अमर तारा का।
यह 6 महीने बहुत हैं, कुछ ना कुछ बढ़िया तो कर ही लूंगा मैं। मुझ पर भरोसा रखना तुम। मैं तुम्हें भी कभी कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा।
तारा की आँखें नम हो जाती हैं और वो धीरे से अमर के हाथ को चूमती है और कहती है….. मेरे भरोसे को टूटने मत देना।
तब तक जूही आ जाती है। जूही और तारा अमर को बाय कहकर वहाँ से निकल जाते हैं।
तारा….बिना प्रशाद और भगवान के टीके के बिना घर कैसे जायेंगे, पहले ही इतनी देर हो गयी है मैक डी, अब मंदिर कैसे जायेंगे?
जूही…. चिंता मत कर पुत्री, देख मेरा जुगाड़।
जूही घर के पास वाले हलवाई से प्रशाद लेती है और बड़े वाले हनुमान मंदिर जाने के बजाय पास ही के मंदिर में प्रशाद चढ़ा देती है और भगवान का तिलक भी दोनों के माथे पर लगवा लेती है।
घर पहुंचते ही जूही और तारा…. लो दादी प्रशाद खाओ हनुमान जी का।
दादी…..ला दे प्रशाद, वाह मेरे मनपसन्द पेड़े चढ़ाए हैं प्रशाद में, बड़े स्वाद हैं।
भगवान तुम दोनों को सद्बुद्धि दे।
हमने मन ही मन मुस्कुराते हुए कहा….. आपको भी दादी।
❤सोनिया जाधव
Archita vndna
19-Dec-2021 10:44 PM
कहानी बहुत अच्छी चल रही है, सब कुछ है कहानी में, कॉमेडी, सस्पेंस, रोमांस , जासूसी...
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Sandhya Prakash
18-Dec-2021 09:42 PM
Achchi khani chal rhi h, agle bhag ke intjar me
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