निधि एंड द सीक्रेट आइडेंटिटी भाग 1
1. एंड द सीक्रेट आइडेंटिटी
“कहते हैं वक्त कभी किसी का साथ नहीं देता, ना ही सबका वक्त एक जैसा होता है। कुछ लोग वक्त आते ही ऊँचाइयां छू लेते हैं, तो कुछ लोग वक्त आते ही गर्त में चले जाते हैं। यह वक्त हमेशा अपने अनोखे खेल खेलता रहता है, कुछ लोग इस खेल के राजा बन जाते हैं तो कुछ लोग रंक…...”
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गोवा,
एक खूबसूरत घर के बाहर का परिदृश्य।
पार्क की हरी घास पर लेटी एक मासूम 10 साल की लड़की अपने नाजुक हाथों से घास की बारीक हरी पत्तियों को उखाड़ रही थी। आस पास ठंडी हवा चल रही थी। सुबह का सूरज अभी अभी निकला था। 10 साल की लड़की ने एक सफेद रंग की बनियान और छोटी निक्कर पहन रखी थी। उसके बाल भूरे रंग के थे और कटिंग डिजाइनदार, बालों का एक छोटा सा हिस्सा माथे पर भी था। आंखें नीले रंग की और गहराई से भरी हुई। चेहरे का तेज देखकर भविष्य में उसके प्रभावी व्यक्तित्व होने का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था।
इतने में अंदर से एक साड़ी पहने औरत दूध का गिलास लेकर बाहर आई—“निधि अरे बेटा निधी…. लो दूध पी लो" वह बोली और उस लड़की के बगल में ही बैठ गई।
“नहीं मम्मा…. मुझे नहीं पीना” निधी ने कहा।
औरत ने अपने हाथों से उसे पास खींचा और अपनी गोद में ले लिया। वह उसके लंबे बालों को सहलाते हुए बोली—“ऐसे कैसे चलेगा बेटा, अगर दूध नहीं पिओगी तो बड़ी कैसे होगी…. और अगर बड़ी नहीं होगी तो पापा की तरह काम कैसे करोगी"
यह बात सुनते ही छोटी लड़की ने गुस्से वाला मुंह बना लिया। वह गुस्से से बोली "मुझे नहीं पापा की तरह काम करना, पापा बहुत गंदे हैं"
औरत मुस्कराई "नहीं बेटा नहीं, तुम्हारे पापा जो काम करते हैं वह इतिहास में सुनहरे अक्षरों से अंकित किया जाएगा। अहहहहह देखना जब तुम अपने पापा के नक्शे कदमों पर चलोगी तो तुम्हारा नाम भी….."
अचानक हॉर्न की एक आवाज ने औरत की बात को बीच में ही रोक दिया। निधि गोद से आकस्मिक खड़ी हुई और बाहर की तरफ भागने लगी। "पापा, पापा" वह रास्ते में ही चिल्ला रही थी।
गाड़ी की खिड़की बंद होने की आवाज के साथ काले कोट पेंट में एक आदमी नजर आया। आंखों पर काले चश्मे, भूरे बाल, उम्र तकरीबन 35 के आस-पास। उसने अपने दोनों हाथ फैलाए और निधि को गले से लगा लिया।
"अरे मेरी प्यारी बेटी, मेरी दुलारी बेटी, my one of the best think of world, ooh nidhiiiiiiii….." गले लगाने के बाद उसने अपना प्यार दिखाया। "wait just a minute, I have something for you" वह वापिस कार की तरफ मुड़ा और एक बड़ा सा टेडी बेयर बाहर निकालकर निधि को दें दिया।
टेडी बेयर देखते ही निधि उछल पड़ी। "वाव,दिस इस ग्रेट पापा"
उसने टेडी बेयर लिया और टेडी बेयर लेकर पूरे पार्क में गोल गोल घूमने लगी।
"निधि कितनी खुश है ना" औरत वीडियो कैमरा निकालकर निधि की वीडियो बनाने लगी।
आदमी ने अपने चश्मे उतारे और तंज कसा "हां, आखिरकर बेटी किसकी है। एक दिन अपने पापा का नाम रोशन करेगी ..."
"लेकिन!!" औरत के चेहरे पर असंतोषजनक लकीरें उभर आई।"वह आपको तो पसंद करती है, पर!!" वह बीच में ही रुक गई।
"पर क्या??
"पर!! वह आपको तो पसंद करती है पर आपके काम को बिल्कुल भी नहीं। आपका जासूसी वाला काम उसे पसंद नहीं। उसे लगता है यह जासूसी का काम आपको महीनों महीनों अपने परिवार से दूर रखता है। आप अपने इस काम में ना तो खुद को समय दे पाते है ना ही अपने परिवार को"
" बड़ी होने के साथ-साथ वह सब कुछ समझ जाएगी" आदमी हंसकर बोला "वक्त कभी किसी का साथ नहीं देता, हालात और किस्मत यह दोनों ऊपर वाले के हाथ हैं" इतना कहकर वह अंदर चला गया।
औरत ने वीडियो कैमरा चलते हुए नीचे रखा और वह भी पीछे-पीछे अंदर चली गई।
"मैं आपके लिए चाय बनाऊं..?" औरत ने अंदर जाकर पुछा।
"हां, लेकिन मीठा कम रखना" जवाब में आदमी बोला।
★★★
दोनों के अंदर जाने के बाद निधी भी बाहर नहीं रुकी और वह भी टेडी बेयर के साथ अंदर आ गई। अंदर आने के बाद अपने टेडी बेयर के साथ आदमी के बगल में ही बैठ गई।
आदमी ने बगल में बैठी निधी को गोद में लिया और गुदगुदी करने लगे। "अच्छा, तो मेरी बेटी को अपने पापा का काम पसंद नहीं, क्यों" गुदगुदी के कारण निधि खिलखिला कर हंस पड़ी। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद उसने खुद को अपने पापा के चंगुल से छुड़ाया और बाहर की तरफ भागने लगी।
आदमी भी उसके पीछे पीछे भाग पड़ा "मुझसे बचकर नहीं जा सकती छिपकली…"
दोनों दौड़ते दौड़ते पार्क में आ गए जहां कैमरे के आगे आदमी ने उछलकर निधी को दबोच लिया। "देखा!! मैंने कहा था ना मुझसे बचकर नहीं जा सकती"
"हां पापा, I LUV U" वह मासूमियत से बोली।
उनकी यह सारी बातें कैमरे में रिकॉर्ड हो रही थी, उनका भागना, खेलना और यह लव यू वाला सीन।
अपनी बेटी के मुँह से लव यू सुनने के बाद पिता ने उसके माथे को चूमा और बोले" लव यू टू बेटा... लव यू टू"
पीछे से निधि की मां भी चाय के कप के साथ बाहर आ गई "कमाल है, बाप बेटी अपने प्यार में मां को तो भूल ही गए"
निधि और पिता दोनों यह सुनकर हंसने लगे।
कहते हैं वक्त सभी का एक जैसा नहीं रहता….. और यही सच है।
अचानक "धाएं" स्नाइपर की एक गोली चली और सीधे निधि की मां के सर के आर पार हो गई। उनके हाथ में पकड़ी चाय की ट्रे गोली लगते ही नीचे गिर पड़ी।
"धाएं" एक और स्नाइपर की गोली चली और उस आदमी के सर को अपना निशाना बनाया। गोली उनके भी सीधे सर के आर पार हो गई।
निधि जोर से चीख पड़ी। डर के मारे वह दुपक कर अपने पापा की लाश के अंदर ही सिमट गई और खुद को जमीन के बिल्कुल नजदीक कर लिया। इसके बाद तीसरा फायर हुआ जो निधि के लिए था। लेकिन निधि इतनी छोटी सी जगह पर सिमटी हुई थी कि निशाना सही से लगा नहीं। उसने निधि की बजाय उसके टेडी बेयर को निशाना बनाया।
थोड़ी देर बाद सब कुछ थम चुका था। वक्त भी…. और दो लोगों की सांसे भी। एक लाश सीढ़ियों पर पड़ी थी... और एक लाश बिल्कुल निधि के बगल में….। आज एक बेटी के सर से उसके मां-बाप का साया उठ गया।
★★★
रात के अंधेरे में तेज बारिश हो रही थी। समय तकरीबन 11:00 बजे का होगा। लोगों की लंबी कतार ताबूत के दोनों और थी। कब्रिस्तान में पादरी अपने शब्द पढ़ रहा था। "भगवान जो भी करता है अच्छा करता है। वह संदेव लोगों की भलाई के लिए, अपने सुनियोजित कदम उठाता है। भगवान की शक्ति अपरंपार है, भगवान सब का देन दाता हैं। "
इसके बाद पादरी ने कुछ सुनहरे शब्द कहे
"Father of all, we pray to you for N., and for all those whom we love but see no longer. Grant to them eternal rest. Let light perpetual shine upon them. May his soul and the souls of all the departed, through the mercy of God, rest in peace"
अपने शब्दों के आखिर में पादरी ने थोड़ी सी मिट्टी कब्र पर गिरा दी। इसके बाद बाकी के सदस्य भी एक-एक कर थोड़ी-थोड़ी मिट्टी कब्र पर गिराने लगे। आँखों को भिगोने वाला एक अंत्यंत ही संवेदनशील दृश्य था। सबके मिट्टी डालने के बाद अंत में निधि बची थी। उसके हाथ में अभी भी टेडी बेयर था। अपने लड़खड़ाते हुए कदमों से वह धीरे धीरे आगे बढ़ी और उसने भी मिट्टी कब्र पर गिरा दी। उसकी आंखों से आंसू झलक रहे थे। आसमान में हो रही बारिश उसके शरीर को भिगो रही थी।
इस पूरे परिदृश्य को दूर से कुछ आदमी देख रहे थे। सभी ने काले कोट पेंट वाले कपड़े पहन रखे थे और आँखों पर काले रंग के चश्मे भी लगे हुए थे। निधि के मिट्टी गिराने के बाद उन लोगों के समूह में से एक आदमी निकल कर आगे आया और आकर निधि के पास खड़ा हो गया। आदमी रोबदार था, चेहरे पर हल्की काले रंग की दाढ़ी, उम्र तकरीबन 40 साल के आसपास। हाथ में एक छाता था जो उसे बारिश के पानी से बचा रहा था। उसने निधि के कंधे पर हाथ रखा और कहां"डोंट वरी माय सन, भगवान जो भी करता है अच्छे के लिए करता है।" फिर उसने आसमान की तरफ देखा। "जिस तरह चांद की रोशनी अंधेरे में एक उम्मीद की किरण का काम करती है, वैसे ही तुम इस दुनिया के लिए एक मिसाल बनोगी, तुम्हारे पापा, उन्होंने समाज भलाई के लिए बहुत कुछ किया है। अब तुम भी उनके लक्ष्य कदमों पर चलोगी। ब्रह्मांड में जब भी किसी बड़ी हस्ती का खात्मा होता है तो उसकी जगह लेने के लिए नई हस्तियां पहले से ही तैयार रहती है। यह प्रकृति का नियम है। ... आओ!! आज से तुम मेरी जिम्मेदारी हो"
उन्होंने निधि की पीठ को सहलाया और उसे पीछे खड़ी गाड़ियों की तरफ ले जाने लगा।
"कुदरत को समझना किसी के लिए भी संभव नहीं। यह अपने हर नए मोड़ पर इंसान को चौंका देती है।" वह लगातार बोलते जा रहा था लेकिन निधि, उस पर इसका कोई प्रभाव नहीं था। वह सिर्फ और सिर्फ सिसक रही थी। सिर्फ और सिर्फ सिसक………..
बारिश के पानी में यह तक भी नजर नहीं आ रहा था कि उसकी आंखों से आंसू निकल रहे हैं या नहीं।
कहते हैं अल्फाज सब कुछ बयान कर देते हैं... लेकिन मेरे पास यहां शब्द नहीं है जो इस वक्त निधि के हालात बयां कर सके। यह उसकी एक शुरुआत थी।
★★★
2
9 साल बाद।
निधि और उसका पहला केस
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कमरे के बाहर एक आवाज जोर जोर से गूंज रही थी।
"निधि"
"निधि"
"निधि"
"उठो निधि"
"उठो"
"सुबह के 10:00 बज गए"
"कब तक सोती रहोगी"
कमरे के अंदर मखमली बेड में लंबी अंगड़ाई लेकर निधि ने आह भरी "क्या अंकल, ठीक से सोने भी नहीं देते"
"पिछले 16 घंटों से सो रही हो, अब और कितना सोना है तुमको" बाहर से आवाज़ आई।
"यह 16 घंटे भी कम है" निधि बोली और उठ कर दरवाज़ा खोला।
वहां कोई आदमी नहीं था बल्कि उसकी जगह एक टेप रिकॉर्डर रखा हुआ था। निधि ने वह टेप रिकॉर्डर उठाया और बोली "यह अंकल भी ना, पागल हैं!!"
टेप रिकॉर्डर में आगे की आवाज गूंजी। "अगर मुझे पागल कह दिया हो तो किचन में खाना पड़ा है ठुस लेना" निधि यह सुनकर मुस्कुरा दी। आवाज ने आगे कहा "मैं आज स्पेस अकेडमी में जरूरी मीटिंग अटेंड करने जा रहा हूं, 3 दिन बाद आकर तुमसे मिलूंगा। तुम चाहो तो अपने गोवा वाले घर चले जाना। वैसे भी तुम्हारी छुट्टी खत्म हो चुकी है तो यहां रुकने का काम नहीं"
निधि ने पूरी बात सुनी और अपने बालों को मुंह की हवा से ऊपर उठाते हुए टेप रिकॉर्डर नीचे रख दिया। "अंकल को तो जब देखो तब मुझे निकालने की पड़ी रहती। मैंने बोला था अपनी एजेंसी में थोड़ा बहुत काम दे दो, इसी बहाने मन लगा रहेगा। लेकिन नहीं!!"
निधि किचन में गई और गैस पर चाय चढ़ा दी। फिर देखा अंकल खाने में क्या छोड़कर गए हैं। उन्होंने एक बड़ा सा बर्गर निधि के लिए बना रखा था। निधि ने बर्गर उठाया और खाते खाते बनती हुई चाय के पास आकर खड़ी हो गई। "बोलते हैं मैं अभी 19 साल की हुं, जब 21 की हो जाऊंगी तो मुझे मेरा पहला मिशन मिलेगा, पर काहे को...!! काम तो मैं अभी भी कर सकती हूं!! तो 21 का इंतजार क्यों, शादी थोड़ी ना करनी है!! ना तो अकंल समझ में आ रहे, ना ही उनकी बातें"
चाय बनने के बाद उसने उसे कप में डाला और बर्गर के साथ बाहर बालकनी में आ गई। यहां से प्रकृति का सुंदर नजारा देखने को मिल रहा था। बाहर ठंडी हवा चल रही थी। निधि बाल्कनी से अपने ट्रेनिंग के दिनों को याद करने लगी। जहां उसने कई तरह की परीक्षाएं दी थी। इन ट्रेनिंग के दिनों में उसने लड़ना और जासूसी कलाओं का कैसे प्रयोग किया जाता है, के बारे में सीखा था। उन दिनों को थोड़ा सा याद करने के बाद वह फिर खुद से बोली "पता नहीं कब वह दिन आएगा.... जब लोग निधी के नाम को जानेंगे"
***
3 दिन बाद।
गोवा किनारे बना एक घर।
यह निधि का खुद का अपना घर था। वह यहां अकेले रहती थी। घर के सामने समंदर का शानदार परिदृश्य था तो घर के पीछे की तरफ जंगली इलाका। घर के दोनों और पहाड़ो की ऊंची चोटिया थी। शाम का समय था और निधि इन्हीं पहाड़ियों में से एक पहाड़ी की चोटी पर खड़ी थी। हवा के झोंके बार-बार उसके सुनहरे बालों को लहरा रहे थे। उसके चेहरे पर अद्भुत तेज था, शरीर आकर्षण का केंद्र। नीले रंग की आंखों की गहराई नापना मुश्किल था।
उसने कोतुहल भरी नजरों से समंदर की आती लहरों को देखा और आंखें बंद कर उसे महसूस करने की कोशिश की। "आहहहह, यह अत्यंत ही आनंददायक हैं" वह बोली और अगले ही पल चोटी से समंदर में कूद गई। रोज शाम को समंदर के ठंडे पानी में नहाना उसका शौक़ था। समंदर में वह जितना गहरा हो सकती थी उतना गहरा जाने की कोशिश करती और वापस बाहर आ जाती। पानी की लहरों से जुझना, उनसे लड़ना उसे एक नई प्रेरणा देता था। इसके अतिरिक्त देर तक सोना निधि की आदतों में से एक आदत थी।
***
काफी देर ऐसे ही समंदर में नहाने के बाद वह घर में वापस आई। घर और समुद्र के तट के बीच तकरीबन आधा किलोमीटर की दूरी थी। रात के 9:00 बज चुके थे। निधी ने आकर कपड़े बदले और आराम से सोफे पर बैठ गई। इसके बाद एक लंबी सांस ली और टीवी ऑन किया।
टीवी पर कुछ खास नहीं चल रहा था, बस कुछ खबरें थी "दुनिया भर के देशों में आर्थिक मंदी के चलते संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व आपातकाल की घोषणा करने का निर्णय लिया है; विभिन्न देश आर्थिक परेशानियों के चलते जंग के हालातों से गुजर रहे है; जगह-जगह सत्ताधारी पार्टियों के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं; प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की होड़ दुनिया भर के देशों में हैं"
"अच्छा हुआ यह हालात अपने भारत देश में नहीं" टीवी की खबरों को सुनने के बाद निधी ने कहा और सोने की तैयारी करने लगी।
तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी।
"यह इतनी रात को कौन हो सकता है?" निधि ने उठ कर दरवाज़ा खोला।
बाहर उसके अंकल खड़े थे।
"अरे अंकल आप यहां, इस गरीब की कुटिया में कैसे दस्तक देनी हुई"
अंकल उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिए "तुम्हारी इस गरीब की कुटिया को बनाने में मेरे पेंतीस लाख लगे हैं"
जवाब सुनकर निधी ने हल्की सी हंसी दिखाई और उन्हें अंदर आने को बोला। दोनों अंदर आ गए। निधी ने एक कुर्सी उन्हें बैठने के लिए दी और खुद रसोई में जाकर चाय बनाने लगी। चाय बनाकर वह रसोई से बाहर आई और उसे अंकल को दी। चाय देने के बाद वह उनके सामने ही बेड पर बैठ गई।
"और कैसे आना हुआ??" निधी ने उन्हें यहां देखकर पूछा।
"क्या बताऊं!!" सामने से वह बोले। उनके चेहरे पर एक निराशा थी"हमारी एजेंसी मुश्किल हालातों से गुजर रही, जिन एजेंट को देश की सुरक्षा के लिए रखा गया था वही देश के लिए ही खतरा बन रहे हैं। अभी पिछले दिनों 6 एजेंट पकड़े गए हैं जो देश के साथ गद्दारी कर रहे थे"
"यह तो बहुत गलत बात है" निधि ने उनकी बात का साथ दिया।
"समझ में नहीं आ रहा किस पर भरोसा करें किस पर नहीं!!"
"यपपप!! किसी के चेहरे को देखकर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता वह धोखा देगा या साथ"
उन्होंने शांति में अपना सर हिलाया। "लेकिन चिंता की बात सिर्फ इतनी सी नहीं है" वह आगे बोले।
निधि ने पूछा "इसके अलावा और कौन सी चिंता की बात है"
"सरकार!!!" उन्होंने आश्चर्य से अपनी आंखें बड़ी करते हुए कहा। "सरकार भी हमारी एजेंसी पर दबाव डाल रही है। सरकार को खुफिया एजेंसियों से अपने काम करवाने होते हैं, और जब काम नहीं होते तब वह ऐजंसी पर दबाव डालती हैं, हमारे एजेंट हमारा साथ नहीं दे रहे, ऐसे में सरकार के सारे काम ठप पड़े है।"
"यह तो सच में चिंता की बात है।" निधी ने सांत्वना देते हुए कहा।
"अक्सर हालात इंसानों को झुकने पर मजबूर कर देते हैं, एजेंसी का सीओ होने के नाते तमाम मुद्दे मुझे इस्तीफा देने पर मजबूर कर रहे हैं। मेरे खुद के लोगों का कहना है की अगर मैं ऐजीसीं नहीं चला पा रहा तो इस्तीफा दे दुं"
"अरे" निधी चौंकी "यह कैसी बातें कर रहे हैं आप। आप पिछले 20 सालों से इस एजेंसी के लिए काम कर रहे है। आपने पूरी श्रद्धा के साथ सरकार की उनकी कामों में मदद की है। आप इस्तीफा क्यों देंगे!! आप इस्तीफा नहीं देंगे... हालातों को बदलने में वक्त नहीं लगता, बस थोड़ा सा इंतजार करें सब सही हो जाएगा"
"मुझे नहीं लगता बेटा, अब कुछ भी सही होगा। सरकार ने नया मिशन दिया है और मेरे पास उस मिशन के लिए एजेंट नहीं। अगर उस मिशन पर काम नहीं किया तो सरकार वैसे ही दबाव बनाकर मुझे इस्तीफा देने पर मजबूर कर देगी"
"ऐजीसीं में कोई तो होगा, जो इस मिशन पर काम करें"
"नहीं है बेटा नहीं है!! अगर होता तो चिंता की कोई बात नहीं होती। एजेंसी में कुल 70 से ज्यादा एजेंट है, उनमें से 60 एजेंट पहले ही अलग-अलग मिशन पर काम कर रहे हैं। बाकी के 10 एजेंट में से छह एजेंट देशद्रोही निकले,चार एजेंट कि जांच चल रही है। जब तक उनकी जांच पूरी नहीं होती तब तक उन्हें किसी भी मिशन पर जाने की इजाजत नहीं दे सकते हैं"
निधि ने थोड़ा सा सोचा और फिर उठकर चाय का खाली कप किचन में रखा। किचन में आने के बाद में वह आहिस्ता से बोली "अगर आप बुरा ना माने तो मैं एक बात कहूं"
"कहो"
"आप क्यों नहीं मुझे इस मिशन पर भेज देते"
"क्या कह रही हो, तुम्हारा दिमाग तो सही है ना। तुम अभी 19 साल की हो.." उन्होंने गुस्से से कहा।
"हां तो क्या" निधी उनके सामने बैठी और मासूमियत से बोली "सिर्फ 19 साल की हुं, इसका मतलब यह थोड़ी ना है कि मैं किसी मिशन पर नहीं जा सकती, आप एक बार मुझे मौका तो दे। मैं सब कुछ सही कर दूंगी"
"नहीं नहीं नहीं!!! ऐसा बिल्कुल नहीं होगा" अंकल ने सामने से साफ मना कर दिया "यह मिशन खतरों से भरा है और तुम अभी इसका सामना करने के लायक नहीं"
"वो सब बाद की चीजें हैं, कौन किस के लायक है कौन नहीं यह तो वक्त बताता है। क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं.... आप ही ने मुझे ट्रेनिंग दी है" निधि ने थोड़ा इमोशनल होते हुए कहा।
"पर यह मिशन सच में बहुत खतरनाक है, तुमसे नहीं होगा" उन्होंने फिर कहा।
"आप उसकी चिंता मत करें, मैं सावधानी से काम करूंगी और सब संभाल लूंगी"
"पर मैं..."
निधि ने बात को बीच में ही टोक दिया। "मैं वै कुछ नहीं, बस मैंने सोच लिया, इस मिशन पर में ही काम करूंगी, आपको मेरी कसम"
कसम का नाम सुनते ही वह खामोश हो गए "तुम मुझे मजबूर मत करो"
निधि ने फिर कहा "मैं आपको मजबूर नहीं कर रही, सिर्फ कह रही हूं कि एक बार मुझे मौका देकर देखें। आपको किसी भी तरह से निराश नहींं करुंगी"
उन्होंने थोड़ा सा सोचा और कहा "तुम्हारे पापा होते तो मुझे कभी इस बात की मजुंरी नहीं देती। वह चाहते कि मैं अभी तुम्हें थोड़ा सा और वक्त देता... लेकिन"
निधि ने अपने हाथ की उंगली उनके मुंह पर रख उन्हें चुप करवा दिया "पापा होते तो वह मुझ पर गर्व करते हैं, वह कहते हैं शाबाश बेटी, मुझे गर्व है तुम पर, तुम अपने पापा का नाम रोशन कर रही हो"
इसके बाद दोनों में कोई बात नहीं हुई। काफी देर तक दोनों खामोश रहे। फिर उसके अंकल बोले। "ठीक है, मैं तुम्हें इस मिशन पर जाने की इजाजत देता हूं। लेकिन तुम्हारा नाम हमारे एजेंट लिस्ट में रजिस्टर्ड नहीं..... इसलिए तुम्हें बिल्कुल भी अग्रेसिव नहीं रहना, अपने सीनियर के अंडर ही काम करोगी, जो वह कहेंगे वही करना। तुम्हारा नाम एजेंट की लिस्ट में रजिस्टर्ड नहीं इसलिए तुम्हारी एक सीक्रेट आइडेंटिटी होगी...."
"ठीक है अंकल, ठीक है, मुझे सब मंजूर है" निधी बिना बात पूरी सुने खुशी से उछल पड़ी "थैंक गॉड, मुझे मेरा पहला मिशन मिल रहा है, मजा आएगा" एक लंबी उछाल भर कर उसने अपने बाल हवा में लहराए और वापस बेड पर बैठ गई।
"केस के बारे में सुन लो, क्या पता इसके बाद तुम्हारे इरादे फिर से बदल जाए" उसके अंकल ने दोहरी मुस्कान दिखाते हुए संदेहात्मक अंदाज में कहा "यह केस उतना आसान नहीं जितना तुम समझ रही हो"
निधि मुस्कुराकर बोली "अब इरादे नहीं बदलेंगे, चाहे केस आसान हो या मुश्किल" फिर वह खड़ी हुई और उनकी तरफ देखते हूए बोली। "आप यहीं रुकीए, मैं अपने लिए एक चाय का कप ले आती हूं...। पिछली बार लाना भूल गई थी। इसके बाद आप केस के बारे में आराम से बताना"
उसके अंकल पीछे से बोले "तुम थोड़ी सी नादान हो, और भोली भी" पर निधि उसे सुनने से पहले ही किचन में जा चुकी थी।
Seema Priyadarshini sahay
08-Dec-2021 09:17 PM
अच्छी रोचक शुरुआत
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Zaifi khan
30-Nov-2021 07:32 PM
Good
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Hayati ansari
29-Nov-2021 08:53 AM
عمدہ
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