मॉर्निंग वॉक और व्हीलचेयर
मैं रोज मॉर्निंग वॉक करने जाती हूँ नाना-नानी पार्क में और वो भी आता है। देखने में बहुत ही हैंडसम है। गोरा चेहरा, उस पर हल्की-हल्की दाढ़ी.... वाह क्या लगता है। देखने में तो लंबा ही लगता है, पर ठीक से कह नहीं सकती क्योंकि वो व्हील चेयर पर आता है अपने एक नौकर के साथ।
उसकी एक तय जगह है, उसकी व्हील चेयर वहीँ दिखती है हमेशा। अक्सर सैर करने के बाद वो अपने नौकर को तय जगह पर व्हील चेयर रखने को बोलता है। उस जगह पर ना तेज़ धूप पड़ती है ना गहरी छाया। सब कुछ हल्का मद्धिम सा रहता है।
मैं भी अक्सर सैर करने के बाद उसके सामने वाले बेंच पर बैठ जाती हूँ और उसे देखती रहती हूँ। शायद मैं उसकी तरफ आकर्षित हो रही हूँ। सोच रही हूँ.... बात कर लेती हूं, वैसे भी बात करने में हर्ज ही क्या है ? व्हील चेयर पर है वो, मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता।
हैलो मैं रोशनी......हाय मैं आकाश
मैं कई दिनों से देख रही हूँ आपको, आप अक्सर सैर करने के बाद कसरत करते हैं व्हील चेयर पर। बस आपकी फिटनेस के प्रति लगन देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं मिलने चली आयी।
रोशनी में जानता हूँ आप मुझे रोज़ देखती हैं और रही फिटनेस की बात तो एक व्हील चेयर वाले इंसान को भी फिट रहने का हक है। इसमें अचंभे वाली तो कोई बात नहीं।
मैं आकाश की बात सुनकर शर्मिंदा हो गई।
माफ़ करना आकाश मेरा वो मतलब नहीं था।
सॉरी रौशनी मेरा भी वो मतलब नहीं था।
आकाश क्या हम दोस्त बन सकते हैं।
हाँ क्यों नहीं रोशनी..
रोज़ हम उस पार्क में मिलने लगे। उसके पिता बिज़नेस मैन थे। अमीर घर से था आकाश। वो पेंटर था, पेंटिंग्स बनाया करता था। उसका स्वाभिमानी स्वाभाव मुझे उसकी तरफ खींच रहा था। हम पार्क में मिलने के अलावा फोन पर भी बात करने लगे। मैं यकीन करने लगी थी उस पर।
एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया कॉफ़ी पर। मैं बेझिझक चली गयी। घर पर कोई भी नहीं था उसके नौकर के सिवा। कॉफी पीने के बाद मुझे अचानक नींद से आने लगी और मैं आधी बेहोशी सी हो गई।
मुझे कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई छू रहा हो मुझे। जब होश आया तो मैं दंग रह गयी..... जो नहीं होना चाहिए था वो हो चुका था।
आकाश..... ये तुमने क्या किया मेरे साथ ?
मैंने कुछ नहीं किया रौशनी..... मैं तो अपाहिज हूँ, मैं कैसे कर सकता हूँ कुछ। खुद तुम्हीं ने मेरे अपाहिज होने का फायदा उठाया है। ये अच्छा नहीं किया तुमने रौशनी मेरे साथ। यह कहते हुए उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट थी।
दिमाग चकरा रहा था मेरा। मैंने कभी नहीं सोचा था एक व्हील चेयर पर बैठा लड़का ऐसा कर सकता है। उसे व्हील चेयर पर बैठा देखकर ही तो मैंने दोस्ती की थी यह सोचकर कि एक अपाहिज व्यक्ति मुझे क्या नुक्सान पहुंचायेगा। अगर वो सामान्य होता तो मैं ऐसे अंजान लड़के से कभी दोस्ती नहीं करती।
गलती मेरी है..... आकाश चाहे अपाहिज था लेकिन था तो पुरुष ही वो भी बीमार मानसिकता का, जो हर लड़की को सिर्फ अवसर के रूप में देखना पसंद करता था।
❤ सोनिया जाधव
#लेखनी कहानी प्रतिय
Abhinav ji
21-Dec-2021 08:59 AM
सही कहा आपने
Reply
Shrishti pandey
20-Dec-2021 11:55 PM
Sahi seekh hai ye
Reply
Raghuveer Sharma
20-Dec-2021 07:54 PM
bahut hi acchi sikh👌
Reply