Kavita Gautam

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शिखर

"शिखर"


आसमां को छूने की हसरत जरूर रखना तुम


मेहनत से मगर कभी जी न चुराना ...!


पहुंच जाओ भले ही शिखर पर एक दिन


अपनी जड़ों से मगर कभी दामन न छुड़ाना ...!


आगे कितना भी बढ़ जाना जीवन में तुम


संस्कारों को न मगर अपने कभी भुलाना ...!


याद रखना कि ये जड़ें, ये संस्कार, ये मेहनत, सीढ़ी हैं तुम्हारी


जिन्होंने बढ़ाया है तुम्हें आगे हर पल हर बारी...!


कविता गौतम...✍️

प्रतियोगिता के लिए।।

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5 Comments

Shrishti pandey

22-Dec-2021 07:52 AM

Nice

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Abhinav ji

21-Dec-2021 11:49 PM

Very nice

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Raghuveer Sharma

21-Dec-2021 10:59 PM

bahut khub

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