शिखर
"शिखर"
आसमां को छूने की हसरत जरूर रखना तुम
मेहनत से मगर कभी जी न चुराना ...!
पहुंच जाओ भले ही शिखर पर एक दिन
अपनी जड़ों से मगर कभी दामन न छुड़ाना ...!
आगे कितना भी बढ़ जाना जीवन में तुम
संस्कारों को न मगर अपने कभी भुलाना ...!
याद रखना कि ये जड़ें, ये संस्कार, ये मेहनत, सीढ़ी हैं तुम्हारी
जिन्होंने बढ़ाया है तुम्हें आगे हर पल हर बारी...!
कविता गौतम...✍️
प्रतियोगिता के लिए।।
Shrishti pandey
22-Dec-2021 07:52 AM
Nice
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Abhinav ji
21-Dec-2021 11:49 PM
Very nice
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Raghuveer Sharma
21-Dec-2021 10:59 PM
bahut khub
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