Sunanda Aswal

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फूल

"फूल धारावाहिक लेखनी के लिए"

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🌺फूल🌺।  
         
                          सुनंदा असवाल 🪄

आठ साल की नैना अपने कमरे में टीवी देख रही थी ।

मां ग्रेसी एकदम आई और बोली," Come on Naina .. why aren't you  getting ready for school ? Go dear ! Move fast . (  नैना तुम तैयार क्यों नहीं हो रही हो स्कूल के लिए ?  जाओ और जल्दी से  अपना काम करो ! )

छोटी सी नैना को टी.वी.वाले कार्टून और कहानियां पसंद थी । वह टीवी बहुत देखती ..। उसके ख्यालों में वंडर गर्ल्स, स्पाइडर मैन ,शिनचैन और पावर गर्ल्स नाचता रहता । परियों की फैंटेसी दुनिया में भी भ्रमण कर आती थी । पढ़ाई में कोई खास तरक्की नहीं की थी । एक दम साधारण सी थी पढाई में ।

नैना ब्रश हाथ में ले वॉशबेशन के सामने खड़ी हो गई और अंगड़ाई लेने लगी । मां की नजर पड़ते ही थोड़ा हाथों से दांतों पर ब्रश फेरने लगी । बिखरे हुए लम्बे बाल और नैना अस्त व्यस्त ग्रेसी काफी गुस्से में थी परंतु सुबह सुबह अनचाहा पाठ नहीं सुना सकती थी ।

दांत भींचते हुए पास पहुंची बोली," क्या कर रही हो ? जल्दी करो बेटा बस आ जाएगी !"
ग्रेसी की बातें नैना के कानों में गूंज तो रही थीं पर.......प्रतिक्रिया उतनी स्पष्ट नहीं थी ।

मां चुटिया बनाने पहुंची तो फिर वही बातें जो रोज वह दोहराती थीं अक्सर ...

---"कितनी बार कहा कि,बाल कटवा लो और पापा से भी कहा लेकिन ,मेरी सुनता कौन है यहां ?  पापा भी लम्बे बाल कटवाने को मना करते हैं और तुम भी नहीं कटवाने देती हो । झेलना तो मुझे ही है ना, सुबह उठकर गूंथना दो दो चोटी ,कितना मुश्किल काम है ? इतने में चोटी जोर से खिंच जाती ।

नैना धीरे से बोलती ," मम्मी ....क्या ..करती हो बहुत दुखता है ..!"

---"ओहह तो ठीक है बाबा धीरे से करती हूं ."ग्रेसी थोड़ी ठंडी पड़ जाती ।

उधर बस हॉर्न दे देकर घर तो घर अगर बगल पड़ोसियों को भी इतला कर देती कि,नैना को स्कूल के लिए देर हो गई है ।

दुबे आंटी बाहर आकर ड्राइवर से कहती ,"
क्या भईया पूरे मोहल्ले को स्कूल जाना है क्या जो सुबह सुबह हॉर्न .... ?? और तुम रोज ऐसा ही करते हो ?"

ड्राइवर का एक हाथ स्टेरिंग में होता और खिड़की से झांककर बोलता," आंटी जी क्या करूं ? मेरी ड्यूटी है, और रोज की आदत फड़ गई है इनकी ..! फिर भी कुछ ना कुछ घर में छूटा ही रहता है !"

मिसेज दुबे को बड़ा ही मज़ा आता जब  सुबह सुबह ड्राइवर से निंदा करती । शायद यही सुबह की दिनचर्या बन चुकी थी उनकी..।

तभी नैना दौड़ी दौड़ी बाहर आती तो, ग्रेसी पीछे पीछे बॉटल ,टिफिन और रूमाल लातीं।
पीछे से चिल्लाती ,"सुनो नैना बेटा तुम्हारे शू - लेस  ढंग से बंधे नहीं हैं प्लीज़  listen सही से बांधों उनको नहीं तो गिर जाओगी । "

ग्रेसी की बातों को सुनती भी और नहीं भी नैना बस में झट से चढ़ जाती ।

फिर बस्ते से टिफिन निकाल कर उसमें बनी सिंड्रेला को निहारती और सोचती ," इस बार बर्थडे में मुझे मां से ऐसा ही फ्रौक लेना है जैसा इसने पहना है बिल्कुल ऐसा ही ,रियली लाइक हर ..!(बिल्कुल उसकी तरह)क्या मां उसके लिए खरीदेगी या टाल देगी ? "उसे समझ नहीं आ रहा था ।

बच्चों की कपोल कल्पना भी अलग होती है ..। जहां जरूरतें का तो पता नहीं पर एक अलग सी अनुभूति होने लगती है जिसमें, वह ख्वाईशों को पूरा करने में माता -पिता को मनाने के लिए एक रास्ता ढूंढ ही लेते हैं । जिसे बर्थडे कहते हैं ...।

वह सोच रही थी ---

"बर्थडे आने में काफी दिन हैं ,अभी दो महीने पहले ही तो मनाया था । क्या दिया ? एक मिडी जो, पसंद भी नहीं थी । रंग भी नीला उफ़ !  मां कह रही थी पापा is fired from job !" (पापा को नौकरी से निकाल दिया ) इसलिए इस बार बर्थ-डे सिम्पल ही रहेगा । और मेरे सपनों का क्या ? पूरे होंगें या नहीं ?"

तभी अचानक ध्यान टूटा और कन्डेक्टर बोला," उतरो नैना ...चलो जल्दी .!"

नैना बस से उतर गई और सीधे अपनी कक्षा की ओर मुड़ गई ।

सुनंदा 🌺
क्रमशः

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

19-Jan-2022 11:10 PM

बहुत सुंदर कहानी

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22-Dec-2021 01:01 AM

कहानी की शुरुआत तो काफी अच्छी है, पढ़ने में भी इंट्रेस्ट आ रहा है, गति भी बहुत अच्छी बनाई है, ये बाल साहित्य पर आधारित कहानी लग रही है।पहले भाग से तो। अब देखना ये है नैना सिंड्रेला की दुनिया से कितना निकल कर आती है। अगले भाग की प्रतीक्षा में।

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Sunanda Aswal

23-Dec-2021 09:18 PM

धन्यवाद हृदय से आभार 🌺🙏🤗❤️

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