डांसिंग कपल - ए लव स्टोरी भाग 14
भाग 14
दादी…… तारा जरा इधर आ।
तारा…. जी दादी बोलो क्या काम है?
दादी……. आजकल जूही और तू कमरे में बंद बड़ी खुसर-फुसर करते रहते हो, चल क्या रहा है?
तभी जूही भी आ जाती है और हँसते हुए कहती है…..
दादी के कान तो बड़े तेज हो गए हैं बाहर बिस्तर पर लेटे-लेटे भी अंदर कमरे में होती खुसर-फुसर सुन लेते हैं।
दादी….. मेरे कान और आँखे तो दोनों तेज है जूही। लेकिन तेरी तो सिर्फ ज़ुबान ही कैंची की तरह कतर-कतर चलती है। तारा की शादी कर दूँ, बस फिर तेरा नम्बर है उसके बाद।
जूही जवाब देने ही वाली होती है कि तभी जूही की मम्मी जूही को दूर से आँख दिखाती है और चुप रहने का इशारा करती है।
जूही चुपचाप होकर बैठ जाती है।
दादी……. तारा अपनी एक बढ़िया सी फोटो दे दे बिटिया, लड़के के घर भिजवानी है।
तारा…..ठीक है दादी अभी लाकर देती हूँ।
कुछ देर बाद तारा दादी को फोटो लाकर दे देती है जिसे देखकर दादी बहुत खुश हो जाती है और कहती है…… बड़ी सुंदर लग रही है मेरी पोती इस फोटो में, मजाल है कि लड़का फोटो देखकर मना कर देे।
यह देख तारा लड़के की फोटो, तारा देखने से मना कर देती है और कहती है……. दादी आप जिससे कहोगे मैं आँखें बंद करके उससे शादी कर लूँगी। मुझे नहीं देखनी किसी की फोटो।
यह कहकर तारा अपने कमरे में चली आती है।
तारा को यूँ दादी को धोखा देना अच्छा नहीं लग रहा होता लेकिन इसके सिवा कोई दूसरा चारा भी नहीं था उसके पास।
कुछ ही दिनों में तारा और अमर को शादी की तारीख मिल जाती है। शादी ठीक एक महीने बाद 17 अप्रैल को होती है। दोनों बहुत खुश होते हैं।
रात में सबके सोने के बाद तारा जूही को और मम्मी को शादी की तारीख के बारे में बता देती है जिसे सुनकर जूही तो ख़ुशी से उछल पड़ती है लेकिन उसकी मम्मी की आँखें भर आती हैं और वो तारा को गले से लगाकर खूब प्यार करतीं है और आशीर्वाद देती हैं।
इधर अमर भी अपने घर में अपनी मम्मी को शादी की तारीख के बारे में बता देता है जिसे सुनकर उसकी मम्मी भी भावुक हो जाती हैं और कहती हैं…..ऐसा करते हैं तारा, उसकी मम्मी और जूही को बाहर मिलने के लिए बुला लेते हैं। तेरी शादी की थोड़ी बहुत खरीदारी भी हो जायेगी और उन सबसे मिलना भी हो जायेगा।
आज से एक महीने तक रोज तेरा मनपसन्द खाना बनाऊंगी।
अमर…..ऐसा करोगी तो मम्मी पापा को शक नहीं हो जायेगा।
अमर की मम्मी…. नहीं, तेरे लंच बॉक्स के लिए अलग से बनाकर दूंगी। तारा और तू मिलकर खाना। अपने बेटे और बहू को तो शादी के बाद देख नहीं पाऊँगी ना, तो बस ऐसे ही मन के अरमान पूरे कर लूँगी।
अमर अपनी मम्मी के आंसुओं को पोंछता है…. और कहता है जब मैं सेटल हो जाऊंगा तब आपको अपने पास बुला लूँगा।
अमर की मम्मी उसे गले से लगाकर प्यार करती है और आशीर्वाद देती है…..तुम हमेशा खुश रहो बेटा, सफलता तुम्हारे कदम चूमें।
एक दिन तारा, जूही, उनकी मम्मी और अमर चांदनी चौक में मिलने का कार्यक्रम बनाते हैं।
तारा अपने परिवार से और अमर अपनी मम्मी से एक दूसरे को मिलवाते हैं।
तारा और अमर एक दूसरे की माँओं के पाँव छूते हैं।
अमर और तारा की मम्मी एक दूसरे के साथ बहुत घुलमिल जाती हैं। ऐसा लगता ही नहीं है जैसे सब पहली बार मिल रहे हों। ऐसा लग रहा होता है जैसे पूरा परिवार एक साथ खरीदारी के लिए आया हो।
बहुत सारी साड़ियाँ दुकानदार तारा को दिखाता है लेकिन हर साड़ी के लिए तारा मना कर रही होती है। तभी जूही झल्लाकर कहती है…. क्या है तारा तुझे कुछ पसंद क्यों नहीं आ रहा, भूख लग रही है मुझे।
तभी अमर की मम्मी मुस्कुराते हुए कहती है…..यह सब तारा के नहीं, अमर के इशारे पर हो रहा है।
तारा शर्म से इधर-उधर देखने लगती है।
अमर मुस्कुराते हुए एक गुलाबी रंग की साड़ी पसन्द करता है जिसके लिए तारा भी हाँ कर देती है।
खरीदारी करने के बाद सब परांठे वाली गली में जाकर पराँठे खाते हैं और फिर सब अपने-अपने घर चले जाते हैं।
शादी का जो भी सामान अमर और तारा ने खरीदा हुआ होता है वो अमर अपने दोस्त के घर रखवा देता है।
तारा, जूही और उसकी मम्मी निश्चिन्त होकर घर पहुंचते है क्योंकि दादी और पापा कल रात से बुआ के घर गए होते हैं। तीनों दादी और पापा की अनुपस्थिति में खूब मज़े करते हैं।
आज तारा और अमर दोनों बहुत खुश होते हैं।
❤सोनिया जाधव