डांसिंग कपल - ए लव स्टोरी भाग 16
भाग 16
समय हवा से भी तेज़ गुजर रहा होता है। देखते ही देखते अमर और तारा की शादी की तारीख भी नज़दीक आ जाती है।
तारा अपने कमरे में उदास बैठी होती है और मन ही मन सोच रही होती है….. कैसी शादी है यह, कोई धूम धाम नहीं, कोई नाच गाना नहीं। ना मुझे हल्दी ही लगेगी, ना मेरे हाथों में मेहँदी ही रचेगी।
तभी जूही आती है और पूछती है उसकी उदासी के बारे में।
तारा जूही को अपने मन में उठती भावनाओं के बारे में सब बता देती है।
जूही उसे प्यार से गले लगाती है और कहती है…. अमर ही तेरे लिए शादी की हर रस्म, हर ख़ुशी है। इन सब बातों को लेकर दुखी मत हो। तू दुखी होगी तो अमर दुखी होगा। प्यार करने का दम तो बहुत से लोग भरते हैं दुनिया में लेकिन निभाने वाले सिर्फ गिनती के होते हैं। तू अमर को इतना प्यार देना कि उसे उसके फैसले पर गर्व हो हमेशा।
तारा…..कहने को तू छोटी है लेकिन है बड़ी बहन की तरह। कितने अच्छे से तू मुझे हर बात समझा देती है। लव यू जूही, तुझे बहुत मिस करुँगी शादी के बाद।
जूही…. अब यह इमोशनल बातें करके रुला मत। एक बात बताऊँ तुझे?
तारा…..हाँ बता ना..
जूही….मोहित नहीं आया था जो तुझे घर देखने, उसने मुझे फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेजी थी फेसबुक पर जिसे मैंने एक्सेप्ट भी कर लिया है। मुझे लगा तेरे बारे में कुछ पता करने के लिए फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेजी होगी लेकिन उसने कहा वो मुझे पसन्द करता है और शादी की बात आगे बढ़ाना चाहता है।
मैंने पहले तो उसे झूठमूठ का गुस्सा दिखाया और उल्टा-सीधा बोला लेकिन फिर बेचारा कहने लगा….. जिससे प्यार हो उसी से शादी करनी चाहिये। मुझे पहली नज़र में ही आपसे प्यार हो गया तो क्या करूँ?
मैंने भी कह दिया…. मुझे कोई प्यार-व्यार नहीं हुआ है अभी। पहले दोस्ती करके देखते हैं, हमारे बीच ट्यूनिंग बैठी तो फिर आगे की सोचेंगे।
तारा मुस्कुराते हुए कहती है……. तू तो बड़ी तेज निकली जूही। मैं तो तुम दोनों को उस दिन बातें करते हुए देखकर ही समझ गयी थी कि मामला गड़बड़ है। वैसे मैंने मन ही मन प्रार्थना की थी मोहित तुझे पसन्द कर ले।
तारा और जूही दोनों एक दूसरे को तकिये से मारती हैं और हँसने लग जाती हैं। तभी दादी की आवाज आती है.... इतनी रात ये हल्ला क्यों मचा रखा है इन लड़कियों ने?
तभी तारा कहती है दादी कपिल शर्मा का शो देख रहे थे, इसलिए हंसी आ गयी।
दादी….बहुत हो गया ये कपिल शर्मा, टीवी बंद करके चैन से सो जाओ और मुझे भी सोने दो।
जी दादी, तारा और जूही झट से सो जाते हैं।
आज 17 अप्रैल होती है तारा और अमर की शादी का दिन।
तारा डांस स्कूल का, जूही कोचिंग क्लास का और उनकी माँ मंदिर जाने का बहाना बनाकर 15-15 मिनट के अंतर पर घर से निकल जाते हैं और एक मीटिंग पॉइंट पर सब मिलकर मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस पहुँच जाते हैं।
वहां अमर, उसकी मम्मी और डांस स्कूल के कुछ खास दोस्त पहले से ही मौजूद होते हैं। अमर ने जीन्स के साथ ब्लेजर पहना हुआ होता है और तारा ने गुलाबी रंग की साड़ी और हल्का मेकअप किया होता है। कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं और पेपर्स पर हस्ताक्षर करते हैं।
इस तरह दोनों क़ानूनी तौर पर पति-पत्नी बन जाते हैं। दोस्त और परिवार वाले खूब तालियां बजाते हैं, फोटो खींचते हैं। फिर सब मिलकर लंच के लिए जाते हैं।
तारा की मम्मी तारा और अमर को आशीर्वाद देकर बिना लंच किये घर के लिए निकल जाती है। घर के पास वाले मंदिर में दादी के मनपसन्द पेड़े चढ़ाती है प्रशाद में और घर चली जाती है।
जूही, अमर की मम्मी, बाकि सारे दोस्त तारा और अमर को शादी की बधाई देकर घर चले जाते हैं।
अब तारा और अमर अकेले रह जाते हैं। दोनों काफी देर तक खामोश बैठे रहते हैं।
अमर….कैसा लग रहा है तारा तुम्हें?
तारा…..बहुत अच्छा भी लग रहा है और थोड़ा अजीब भी।
अमर….अजीब क्यों?
तारा….यही सोचकर कि अब हम पति पत्नी बन गए हैं।
अमर….. फिर से पेट में तितलियाँ नाच रही हैं क्या?
तारा.... हाँ…., तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है?
अमर…..मुझे बेहद सुकून महसूस हो रहा है। अब तुम्हें मुझसे कोई नहीं छीन सकता, तुम हमेशा के लिए मेरी हो। दिल कर रहा है….
तारा….कहते कहते रुक क्यों गए?
अमर…. दिल जो कर रहा है करने का वो यहाँ मुमकिन नहीं। कल रात कहूँगा अपनी बात पूरी मुम्बई में, हमारे घर में।
तारा और अमर एक दूसरे की आँखों में प्यार से देख रहे होते हैं तभी वेटर आ जाता है और कहता है सर कुछ और चाहिये आपको।
अमर हड़बड़ाकर…..नहीं, हाँ ऐसा करो दो कॉफी ले आओ। अमर को अपनी हड़बड़ाहट पर हंसी आ जाती है और वो तारा से साड़ी बदलकर घर वाले कपड़े पहनने को कहता है।
कॉफी पीने के बाद अमर तारा को उसके घर के पास उतार देता है और याद दिलाता है कल दोपहर 1 बजे की फ्लाइट है मुम्बई की, 11 बजे एयरपोर्ट पहुंचना होगा हमें। तुम हमारे मीटिंग पॉइंट पर मिलना मुझको, मैं बैग लेकर सीधा वहीँ मिलूंगा। अपना ध्यान रखना, कुछ गड़बड़ हो तो मुझे फोन कर देना तारा अमर राठी।
तारा….प्यार भरी नजरों से अमर को देखती है और घर चली जाती है।
आज घर पर तारा की मम्मी ने उसके मनपसन्द राजमा चावल और भरवां करेले बनाये होते हैं, साथ में मीठे में खीर।
तारा बहुत खुश होती है आज लेकिन कहीं ना कहीं दुखी भी होती है। आज की रात उसकी आखिरी रात होती है इस घर में। वो घर के हर कोने, हर दीवार को छूकर मानो अलविदा कह रही होती है। वो रसोई में जाकर जब अपना मनपसन्द खाना बना हुआ देखती है तो उसकी आंखें भर आती हैं। तारा की माँ उसके आंसू पोंछती है और उसे खीर खिलाती है।
मम्मी…. आज पेट भर कर खाना खाइयो तारा, फिर पता नहीं तुझे कब खिला पाऊँगी अपने हाथ का खाना। मैं नहीं चाहती मेरी बेटी की आँखों में कभी आंसू आये, ना विदाई के समय, ना विदाई के बाद।
तू और अमर हमेशा खुश रहें बस इसके सिवा कुछ और नहीं चाहिए।
तारा की माँ के आँखे भी नम हो जाती हैं यह कहते-कहते।
तारा…..अभी मुझे मना कर रही थी रोने को, अब खुद रो रही हो।
तभी जूही रसोई में आ जाती है और कहती है दादी सत्संग से वापिस आ गयी है और चाय माँग रही है। अब ये अपना रोना-धोना बंद करो, दादी ने देख लिया तो बेकार में शक करेगी।
तारा दादी को चाय देती है और दादी की गोद में सिर रखकर बैठ जाती है।
दादी उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरती है और कहती है…. क्या हुआ, आज दादी पर इतना लाड क्यों आ रहा है?
तारा…..शादी के बाद आपको छोड़कर जाना पड़ेगा ना इसलिये लाड आ रहा है।
दादी….. उस लड़के का अभी तक जवाब नहीं आया। फोटो देखकर तो वो एकदम खुश हो गया था फिर घर आकर क्यों हाँ बोल कर नहीं गया? कुछ समझ नहीं आया।
लेकिन तू अपना दिल छोटा ना कर, लड़कों की कमी थोड़ी ना है इस दुनिया में। दूसरा रिश्ता देख लेंगे।
तारा तिरछी नज़रों से जूही की तरफ देखती है। जूही हल्का सा मुस्कुराती है और अपने कमरे में भाग जाती है।
रात को पापा के कमरे में जाने की हिम्मत नहीं होती तारा की। पापा के साथ कभी उतना करीबी रिश्ता बन ही नहीं पाया। शुरू से ही वो बहुत सख्त मिज़ाज रहे हैं। चाहकर भी तारा पापा के कमरे में नहीं जा पायी। बाहर से पापा के कमरे का दरवाज़ा छूकर अपने कमरे में लौट आयी। तारा और जूही मिलकर खूब रोये और रोते-रोते ही सो गए।
तारा की आँख सुबह जल्दी खुल गयी थी आज। नहा-धोकर उसने भगवान की पूजा की। मम्मी,पापा और दादी के पाँव छुए।
दादी….. क्या बात है तारा इतनी जल्दी उठ गई और सबके पाँव क्यों छू रही है।
तारा…..दादी मेरे जीवन का आज खास दिन है। मेरी डांस परफॉरमेंस है आज एक जगह। आशीर्वाद दो सब अच्छा हो।
दादी तारा को गले लगाकर आशीर्वाद देती है…..भगवान तेरी हर मनोकामना पूर्ण करे, तू सुखी रहे हमेशा।
तारा नाश्ता करके जाने लगती है तो दादी कहती है……. घर समय से आ जाइयो तारा शाम को, देर मत करियो।
तारा नम आँखों से अपने घर की तरफ देखती है और निकल जाती है।
मीटिंग पॉइंट पर बैग लेकर अमर इंतज़ार कर रहा होता है। अमर और तारा टैक्सी पकड़कर एयरपोर्ट के लिए निकल जाते हैं। बोर्डिंग पास लेने के बाद दोनों वेटिंग लाउन्ज में बैठ जाते हैं।
तारा आज बेफिक्री से अमर के कंधे पर सिर रखकर बैठी होती है।
अमर कहता है फ्लाइट में बैठने से पहले मैं अपने पापा के फोन पर मैसेज कर दूँगा और तुम अपने पापा के फोन पर कि हमने शादी कर ली है और सही समय आने पर हम खुद ही फोन करके बता देंगे कि हम कहाँ रह रहे हैं। साथ ही अपनी शादी वाली फोटो भी भेज देंगे।
तारा मैंने दो नए सिम लेकर रखे हैं, पुराने नंबर को फिलहाल कुछ समय के लिए हमें बंद करना होगा।
तारा…..ठीक है अमर जैसा तुम कहो।
अमर….माना हमारे घरवालों को तकलीफ होगी हमारे फैसले से लेकिन उन्होंने हमारे सामने कोई और रास्ता भी नहीं छोड़ा था इसके सिवाय।
तारा…..शायद भगवान की यही मर्ज़ी थी अमर। हम दोनों ने बहुत सोच लिया इसके बारे में, मैं अब इसे बारे में और सोचना नहीं चाहती। मैं सिर्फ हमारे बारे में सोचना चाहती हूँ अब।
अमर तारा के हाथ को मज़बूती से थाम लेता है और आँखों ही आँखों में शुक्रिया कहता है।
कुछ देर बाद फ्लाइट की अनाउंसमेंट होती है और दोनों अपने-अपने घरों में फोन पर मैसेज भेज कर फोन ऑफ कर देते हैं और एक दूसरे का हाथ थामे अपनी नयी मंजिल के लिए निकल जाते हैं।
❤सोनिया जाधव