Simran Ansari

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Exposed part : 4









काफी देर तक उस जगह पर इधर-उधर टहलने और बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने की कोशिश करने के बाद; वह पांचों थक कर जमीन पर बैठ जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई भी रास्ता नहीं मिलता.....

जमीन पर बैठने के बाद रोहित बोलता है - "सोचने वाली बात है कि उन लोगों ने हमें रस्सी या किसी चेन से बांधा नहीं है, इसका मतलब यह है कि यहां से निकलने का रास्ता आसान नहीं होगा !"

इस पर कबीर रोहित की हां में हां मिलाता हुआ कहता है - "हां यार! कह तो तु बिल्कुल सही रहा है, क्योंकि अगर यहां से निकलने का कोई आसान रास्ता होता तो हम पांचों को वह लोग ऐसे खुला नहीं छोड़ते!

इस पर रागिनी कहती है - "जब उन लोगों ने हमें यहां बंद किया था, तब तो हम लोग बेहोश थे ना , शायद इसीलिए उन लोगों ने हमारे हाथ पैर ना बांधे हो क्योंकि यहां से निकलने का वह एक रास्ता तो जरूर होगा, जहां से हमें अंदर लाया गया होगा।"

"हां, रागिनी कह तो तुम भी बिल्कुल सही रही हो, लेकिन इतना अंधेरा और अजीब सी जगह होने की वजह से हम लोग बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ नहीं पा रहे हैं" - अवनी ने कहा

"लेकिन यह कैसा कमरा है? जहां से बाहर का कुछ भी पता नहीं चल रहा और ना ही कोई रोशनी अंदर आ रही है; और ना ही बाहर की कोई आवाज!" - विशाल ने थोड़ा सोचते हुए बोला


"अच्छा ठीक है, थोड़ी देर यहीं जमीन पर बैठकर आराम कर लेते हैं: उसके बाद फिर से उठकर सब अलग-अलग दिशा में चल कर बाहर निकलने का रास्ता ढूंढेंगे, कोई ना कोई दरवाजा या खिड़की तो हमें जरूर मिल जाएगा" - कबीर ने उन सब से कहा

"कबीर ! तुम ठीक ही कह रहे हो" - विशाल ने कहा और सब वही एक साथ जमीन पर बैठ गए: थोड़ी देर तक यूं ही बैठे रहने के बाद अवनी ने रोहित से कहा - "रोहित मुझे प्यास लग रही है, इस पर रोहित ने कहा - "प्यास तो सब को लग रही होगी, लेकिन यहां पानी कहां मिलेगा?"

   थोड़ी देर तक वहां पर बैठे रहने के बाद वह पांचो फिर से उठ कर वहां से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने लगते हैं; तभी थोड़ी देर तक उसी जगह पर चलने के बाद अवनी को बाहर से आती हुई कुछ आवाजें सुनाई देती है, तो वह धीरे से बोल कर सभी को चुप रहने को कहती है और बाहर से आती आवाज सुनकर वह सभी चुप हो जाते हैं और वह ध्यान लगाकर बाहर की बातें सुनने लगते हैं।

बाहर से दो तीन आदमियों के बात करने की आवाज आती है, उनमें से एक आदमी दूसरे आदमी से कहता है - "तूने उन पांचों को अच्छी तरह से जंजीर या रस्सी से बांध तो दिया था ना?"

इस पर वह आदमी उसे जवाब देता है - "अरे नहीं, मैंने जब उन्हें तहखाने में बंद किया था; तो वह पांचों लोग बेहोश थे, इसलिए मैंने उन्हें ऐसे ही तहखाने में बंद कर दिया था।"

उन दोनों आदमियों की यह बात सुनकर तीसरा आदमी उन दोनों पर चिल्लाते हुए कहता है - "तुम दोनों से एक काम भी ठीक से नहीं होता, इतनी लापरवाही.... अगर वह सब होश में आ गए तो यहां से भागने की कोशिश कर सकते हैं और बॉस का आर्डर है कि हमें अभी उन्हें यही रखना है।"

इस पर एक आदमी जवाब देता है कि "मुझे नहीं लगता उनमें से कोई भी अभी होश में आया है क्योंकि अगर ऐसा होता तो अंदर से कोई आवाज़ जरूर आती...."

इस पर तीसरा आदमी दोबारा बोलता है - "लेकिन फिर भी हम लोग किसी तरह का रिस्क नहीं ले सकते हैं ; इसलिए यह बेहोशी के धुएं वाले कैन जलाकर वापिस इस तहखाने में डलवा दो......."

बाहर के उन तीनों आदमियों की बातचीत सुनकर अंदर के पांचों लोगों की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है और तभी अचानक तहखाने के अंदर वैसा ही धुआं भरने लगता है जैसा कि उस क्लब के कमरे में भर गया था....

धुआं देखते ही रोहित और कबीर दोनों ही अपनी शर्ट उतार कर अपने नाक और मुंह को बांध लेते हैं, उन्हें ऐसा करते देख विशाल भी ऐसा ही करता है, लेकिन दोनों लड़कियों के पास मुंह ढकने के लिए कुछ नहीं होता तो वह दोनों अपने हाथ से ही नाक और मुंह को ढकने की कोशिश करती हैं।

देखते ही देखते वह धुआं पूरे तहखाने में भर जाता है और दोनों लड़कियों की हालत खराब हो जाती है और वह दोनों सबसे पहले ही बेहोश हो जाती हैं: तहखाने में धुआं पूरा भर जाने के बाद तीनों लड़कों का भी सांस लेना मुश्किल हो जाता है और एक-एक करके वह तीनों ही बेहोश होकर वहीं गिर पड़ते हैं।

उसके बाद रोहित वा कबीर को ही सबसे पहले होश आता है , क्योंकि उन दोनों ने अपना मुंह और नाक  ढक लिया था; होश में आते ही रोहित धीरे से कबीर को आवाज देता है और कबीर से कहता है कि वह भी धीरे ही बोले ; रोहित कबीर से पूछता है कि वह कहां है? तो कबीर कहता है कि "वह एक कुर्सी से बंधा हुआ है , और उस के हाथ कुर्सी के पीछे की तरफ बंधे हैं, इस पर रोहित कहता है कि वह भी इसी तरह से बंधा हुआ है।"

रोहित अपने मन में सोचता है कि उन गुंडों ने उन लोगों का मुंह क्यों खुला छोड़ दिया? शायद इसलिए की उन लोगों की आवाज से उन गुंडों को पता चल सके कि वह लोग होश में आ चुके हैं, यह सोचकर रोहित कबीर से भी धीरे बोलने को कहता है;

लेकिन बाकी के तीनों लोग कहां है? कबीर घबराते हुए पूछता है??

रोहित धीरे से विशाल को आवाज लगाता है; उसकी आवाज सुनकर विशाल भी होश में आता है और कहता है - "भैया मैं यहां किसी खंबे से बंधा हुआ हूं शायद..." 

और रागिनी कहां है? क्या वह भी तुम्हारे साथ बंधी है? कबीर विशाल से सवाल करता है

 "और अवनी भी है क्या?" - रोहित भी विशाल से पूछता है

इस पर विशाल जवाब देता है - "हां , शायद मेरे दोनों तरफ रागिनी और अवनी भाभी भी बंधी हुई है , हम तीनों शायद एक ही खंबे से बंधे हैं।"

एक दूसरे से बात करते वक्त रोहित और कबीर को पता चलता है कि वह दोनों एक दूसरे की तरफ पीठ करके अलग-अलग कुर्सियों पर बंधे हुए हैं, यह समझ कर रोहित कबीर से कहता है - "कबीर मेरी कुर्सी की तरफ आने की कोशिश करो , अगर हम लोग पास आ पाए तो शायद एक दूसरे का हाथ खोल पाएंगे।"

कबीर को रोहित की बात समझ में आ जाती है और वह उसकी आवाज की तरफ अपनी कुर्सी सरकाने लग जाता है और रोहित भी धीरे धीरे कबीर की ओर आने की कोशिश करता है, ऐसा करके वह दोनों एक दूसरे के पास पहुंच जाते हैं।

तभी अचानक रागिनी को होश आ जाता है और वह डर और घबराहट की वजह से जोर से कबीर का नाम लेकर चिल्ला देती है,- "कहां हो तुम कबीर?"

रागिनी की आवाज सुनकर अवनी को भी होश आ जाता है और वह भी रोहित रोहित कहकर चिल्लाने लगती है; तभी उनके साथ बंधा हुआ विशाल उन दोनों को चुप कराते हुए कहता है - "प्लीज भाभी! चिल्लाओ मत, नहीं तो वह गुंडे हमें फिर से बेहोश कर देंगे और इस बार शायद भूख और प्यास की वजह से हम में से कोई दोबारा होश में भी ना आ पाए।"

विशाल की यह बात सुनकर दोनों लड़कियां भी चुप हो जाती है और धीरे से पूछती हैं - "लेकिन रोहित और कबीर हैं कहां?"

इस पर रोहित धीरे से बोलता है - "हम दोनों यही है और अलग-अलग कुर्सी पर रस्सी से बंधे हुए हैं; एक दूसरे का हाथ खोलने की कोशिश कर रहे हैं!"

"मैं भी ठीक हूं, रागिनी!" - कबीर बोलता है....

दोनों लड़कों की आवाज सुन लेने के बाद दोनों लड़कियां भी चैन की सांस लेती हैं.....

काफी देर तक कोशिश करने के बाद रोहित कबीर के हाथों की रस्सियां खोल देता है और हाथ खुल जाने के बाद जल्दी से कबीर अपने पैर भी खोल लेता है और वह जल्दी से रोहित के हाथ भी खोल देता है और हाथ की रस्सियां खुलने के बाद रोहित पैर की रस्सियां खोल लेता है।

हाथ और पैर खुलने के बाद रोहित और कबीर बाकी तीनों लोगों को भी खोल देते हैं।

अवनी घबराकर रोहित के गले लग जाती है और कबीर भी रागिनी को गले लगा लेता है, रागिनी रोते हुए कबीर से कहती है - "यह किस मुसीबत में फंस गए हैं, हम लोग और पता नहीं, कब यहां से निकल पाएंगे?"

उस पर कबीर कहता है - "बिल्कुल निकल पाएंगे और अब तो हमें यह भी पता है कि हम लोग एक तहखाने में हैं!"

रोहित कहता है - "उन लोगों ने धुएं वाले कैन वहां ऊपर से अंदर डाले थे, तो इसका मतलब वहां ऊपर से ही बाहर निकलने का कोई ना कोई रास्ता जरूर है बस हमें उसे अंदर से खोलना होगा!"

इस पर विशाल कहता है - "लेकिन भैया! हम इतनी ऊपर कैसे पहुंचेंगे?" 

तो कबीर कहता है - "विशाल तू वो कुर्सी उठा ला, जिस पर हम बंधे थे, तो विशाल जल्दी से जाकर वह कुर्सी उठा लाता है और रोहित उस कुर्सी पर खड़ा होकर अपने हाथ से छू कर बाहर जाने का रास्ता ढूंढने लगता है, तभी उसका हाथ किसी खिड़की या दरवाजे पर लगता है!" 

रोहित सबको बताता है कि "यहां पर कोई दरवाजा या खिड़की है, लेकिन शायद यह बाहर से बंद है, हमें इसे अंदर से खोलना होगा।"

रोहित की यह बात सुनकर एक बार सबके चेहरे पर बाहर निकलने की उम्मीद की खुशी आ जाती है। इतने में विशाल बोलता है - "पहली बात तो यह खिड़की इतनी ऊपर है, इसमें से होकर हम सब बाहर कैसे निकल पाएंगे और अगर हम लोग बाहर निकल भी गए, तो बाहर वह गुंडे जरूर बैठे होंगे; जिन्होंने हम लोगों को बेहोश किया था।"

विशाल की यह बात सुनकर कबीर कहता है - "जो होगा देखा जाएगा, पहले यहां से बाहर तो निकले इसके लिए मैं कोई मजबूत चीज यार रोड ढूंढता हूं, जिससे हम इस दरवाजे को अंदर से खोल पाए।"

यह सुनकर विशाल कहता है "और ऊपर तक जाने के लिए मैं वो मेज ढूंढता हूं, जो मेरे पैर से टकराई थी, रागिनी विशाल से कहती है मैं भी तुम्हारे साथ ढूंढने में मदद करती हूं।"

इतना कहकर सब अपने-अपने काम में लग जाते हैं और अवनी वहीं रोहित की कुर्सी को कसकर पकड़ कर खड़ी रहती है और रोहित से कहती है - "यह दरवाजा कैसे खुलेगा?"

जिस पर रोहित कहता है कि "पता नहीं , नहीं खुलेगा तो तोड़ना पड़ेगा, लेकिन यहां से बाहर तो निकल कर रहेंगे।"




क्रमशः

सिमरन

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2 Comments

Swati Sharma

27-May-2021 06:50 PM

Very nice

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Kumawat Meenakshi Meera

27-May-2021 04:44 PM

Wah

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