माँ
माँ का कोई एक दिन नही होता
ये तो हर दिन को खास बनाती है
सब रिश्तों से नो महीने
बड़ी होती है उसके रिश्ते
बच्चे को बढ़ते देख देख
हर्षित होती मन ही मन में
घर आंगन सब सूना लगता
जब पल भर भी ओझल होती
मकान को घर का रूप देती
जब सुघड़ हाथों का स्पर्श होता
माँ में पूरी दुनिया होती
दुनिया भी माँ से पूरी होती
ईश्वर ने अपने रूप को
हर माँ में ढाला हर रंग में
शत शत नमन है माँ को जिसने
बच्चों तक ही दुनिया समझी
आँखों की भी भाषा पढ़ती
जो पढ़ न सका अब तक कोई
माँ शब्द से छोटा शब्द नही
पर इससे बड़ा कुछ भी तो नही
Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Aug-2022 08:14 AM
वाह लाजवाब लाजवाब माँ तो माँ होती है
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उदय बीर सिंह
09-Jan-2021 07:37 AM
बहुत सुन्दर
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Natash
09-Jan-2021 12:20 AM
Bohut achcha likha mam ,
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