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मुक्तिधाम

  मैं अपनी परीक्षा खत्म होने के बाद गांव जा रहा था । तारीक

16-06-2018 शनिवार का दिन था । मैं सीहोर से नरसिंहगढ के लिए बस में सवार हो गाया, बस आपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ रही थी । यात्रा के दौरान पडने वाले मनोरम दृश्य मन को प्रफुल्लित कर रहे थे । मालवा के काश्मीर की वादियों की झलक तो देखते ही बनती है और वह सुंदर नजारे देखने को मिले । कुछ घंटों के रोमांचित सफर के बाद मैं नरसिंहगढ पहुंच गया । मेरी नजरें बस स्टॉप पर आपने गांव की ओर जाने वाली बस को देखने लगी, अंततः बस मिला गयी और मैं उस में बैठ कर बस के चलने का इंतजार करने लगा । बस आपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ रही थी । बस लगभग आपने स्थान से 500 मीटर ही आगे बडी थी कि बस में एक महिला के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी रोको - रोको, बस रोको, बस रोको, बस रोको,डायवर ने एका एक बस रोकी महिला बार बार किसी को फोन कर रही थी । वह महिला काफी परेशान हो रही थी तभी वह किसी से ( शायद वह आपने पति से ) फोन पर बात करते हुए कहती हैं कि मैं तो मुक्तिधाम पहुंच गई हूं आप भी मेरे पास मुक्तिधाम आ जाओ मैंन बस को आप के लिए रुकवा रखा है, आप थोडा जल्दी करो जल्दी आ जाओ । मैं कुछ समय के लिए थम सा गया था, यह घटना अनजाने में ही घटित हुई है, मुझे लगता है कि वह महिला खुद भी नहीं जानती थी कि वह क्या कहा रही है । शायद ही कोई ऐसी महिला होगी जो कि इस तरह की बातें करते हैं , हर इंसान को अपने जीवन में एक बार जहा भो कभी जाना ही नहीं चाहता । उस स्थान पर उसे अवश्य जाना होता है, वह स्थान है मुक्तिधाम .............



   
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              Gopal krishna sharma "GK"

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6 Comments

Satendra Nath Choubey

29-May-2021 10:50 AM

बहुत अच्छी कहानी है। वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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Gopal Krishna Sharma

29-May-2021 11:20 AM

धन्यवाद महोदय मैं आप की बातों का ध्यान रखूंगा ।

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Apeksha Mittal

29-May-2021 10:42 AM

Good

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Gopal Krishna Sharma

29-May-2021 11:20 AM

धन्यवाद बेन

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Natash

29-May-2021 08:28 AM

बहुत अच्छा लिखा आपने

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Gopal Krishna Sharma

29-May-2021 11:22 AM

धन्यवाद भाई आप लोगों का साथ चाहिए , मैं पोयट्री लिरिक्स नाटक भी लिखता हुं ।

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