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यस आई एम— 31




















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"जब मै कैद से आजाद हुई तब मैने प्लानिंग बनाई थी कि अपने मम्मी पापा को स्वर्ग भेज कर मैं उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लूंगी। वैसे भी मां बाप की प्रॉपर्टी पर बच्चों का ही तो हक होता है। पर दद्दू से मिलने के बाद मुझे एहसास हुआ कि अब मुझे उन सब चीजों की कोई आवश्यकता ही नहीं रही। वैसे एक तरह से देखा जाए जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।  वह प्रॉपर्टी कही ना कही मेरी जान की दुश्मन ही बनती। वैसे भी बड़े बुजुर्ग लोग एक बात कहते आए है जमीन हमेशा अपने मालिक के लिए वफादार रहती है। दद्दू मेरी मासूमियत की वजह से मेरी कितनी चिंता करते थे उन्हें डर रहता है कि मै किसी मुसीबत में ना फंस जाऊ पर उन्हें ये कहां मालूम है कि यह मासूम सी दिखने वाली प्यारी सी लड़की कैसे कैसे कर्म नहीं कांड किए बैठी है।





दद्दू चाहते है कि मै यूनिवर्सिटी जाऊं और पढ़ाई लिखाई करूं। उनके हिसाब से जिंदगी में पढ़ाई लिखाई भी जरुरी है जिस से इन्सान अपने पैरो पर खड़ा हो सके। इसके अलावा उनके अनुसार यूनिवर्सिटी में मेरे हमउम्र दोस्त भी बनेंगे जिस से मेरा अकेलापन भी दूर होगा और मुझे ओर भी बातें सीखने को मिलेगी। उनकी बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूं दोस्त की जरुरत सभी को होती है। पर उन्हें ये कहां मालूम है कि मुझे लोगों से नफरत हो चुकी है, लोगों से इसी नफरत की वजह से ही मै युनिवर्सिटी नही जाना चाहती। पर दद्दू की जिद्द है जाना तो पड़ेगा ही। वैसे भी बड़े बुजुर्ग जो भी कहते है सही ही कहते है। चलो उनकी खुशी के लिए ही मै युनिवर्सिटी चली जाती हूं। बाकि वहां के बच्चो को मुझ से भगवान ही बचाए।" इतना कहने के बाद लड़की अपने दद्दू की कही हुई बात को याद करते हुए बोली।



जहां तक मुझे मालूम है युनिवर्सिटी में जाने लिए डॉक्यूमेंट्स की जरुरत पड़ती है और मेरे पास तो कोई डाउक्मेंट्स है ही नही। अब लोग सोच रहे होंगे कि मेरे पास डॉक्यूमेंट्स कहां से आएंगे, मैं तो कैद में थी। पहली बात तो वहां पर किसे मालूम होगा कि मै कैद में रहकर आई हूं और इसके अलावा अपने कुछ चाहने वाले लोगों का उद्धार भी करके आई हूं। मेरे हिसाब से पूरी युनिवर्सिटी कैम्पस में मुझ से मासूम बच्चा तो कोई होगा ही नही।



हमारी कंट्री में इल्लिगल डॉक्यूमेंट्स बनवाना कोई बड़ी बात नहीं है। आप जिस चीज की चाहे उसकी डिग्री बनवा सकते है, यह बहुत ही आसान काम है। पर जीतना मुझे दद्दू के बारे में पता चला है वे फर्जी काम तो करने से रहें। फिर उन्होंने मेरा यूनिवर्सिटी में एडमिशन कैसे कराया होगा? ये तो सोचने वाली बात है। कुछ तो बात है जो वे मुझ से छुपा रहे है। चलो कोई बात नही उनके आने पर मैं सारी बात पूछ लूंगी।" इतना कहने के बाद वह लड़की अपने काम पर लग गई।







एक दिन वह लड़की रेस्टोरेंट में काम करते हुए अपने दद्दू के बारे में सोच रही थी। " वे मेरी डिग्री कहां से लाए होंगे? ऐसी क्या बात है जो वे मुझ से छिपा रहे है? मेरे कई बार पूछने के बाद भी उन्होने इस बारे में मुझे कुछ भी नही बताया। क्या सच में कोई बात है या फिर मै ही कुछ ज्यादा सोच रही हूं? वैसे अगर कोई बात नही होती तो दद्दू इस रिएक्शन नहीं देते? पर अगर कोई बात है तो वे बता क्यों नहीं रहे? पर सही बात तो कभी छिपाई नही जाती? फिर कोई गलत बात है क्या? पर दद्दू तो कभी गलत काम करते ही नही ?  इतना तो उनके साथ रहते रहते उनके बारे में मुझे पता ही चल गया है। ऐसा क्या हुआ था जिसके बारे में मुझे दद्दू बताना नही चाहते।" वह खुद से ही सवाल कर रही थी और खुद ही उनके जवाब दे रही थी।



"क्या बात है आप इतनी गहरी सोच में क्यों डूबी हुई है?" यह बात सुनकर वह लड़की वास्तविकता मे आ गई और जैसे ही उसने आवाज की दिशा में देखा तो पाया जिसने उस से सवाल पूछा था वह एक लड़की थी जो देखने में उसकी हमउम्र लग रही थी। लड़की ने जब उसे ध्यान से देखा तो पाया की अक्सर वह लड़की वहां पर आती रहती है जिसे लड़की ने वहां पर कई बार देखा भी था।





"कुछ भी नही, बस काम के बारे में सोच रही थी।" इतना कहने के बाद लड़की दोबारा फिर से अपनी सोच में डूब गई। "अब इस लड़की को मुझ से क्या काम है जो यह बिन बुलाए बाराती की तरह मेरे पास भटकने चली आई। यह मेरे बारे में इतना क्यों सोच रही है मतलब मेरी इतनी परवाह क्यों कर रही है, इतनी परवाह और फिक्र मुझे रास नही आती क्योंकि इनका लगाव तो कभी मेरी दादी ने मुझे ना दिखाया। आज के टाइम में बिना मतलब के लोग किसी की तरफ आंख उठाकर नही देखते और ये मैडम इतना ज्यादा अपनापन और लगाओ दिखा रही है।ना जाने ऐसे लोग कहां से और कैसे आ जाते है। ये लोग अपने काम से काम क्यों नहीं रख सकते......।"  वह आगे कुछ सोच पाती लड़की अपनी बातचीत को आगे बढ़ाती हुई बोली।



"ठीक है...... मेरा नाम मीरा है और आपका? इसके अलावा आप करती क्या है?" मीरा जान पहचान बढ़ाते हुए बोली।



"नाम में क्या रखा है, काम पर ध्यान दीजिए। रेस्टोरेंट में काम करती हूं और ये रेस्टोरेंट मेरा ही है मतलब मेरे दद्दू का ही है।अगर काम में कोई प्रॉब्लम हो या फिर खाने में कोई कमी रह गई हो तो आप आराम से बता सकती है।" लड़की ने सपाट लहजे में जवाब दिया और मन ही मन सोचने लगी। "बड़ी चेप लड़की है बिना बात के ही चिपके जा रही है। अब तो जरूर दाल में कुछ काला है। मुझे इस लड़की की हरकतें कुछ सही नही लग रही। ये मेरे बारे में इतनी जानकारी क्यों लेना चाहती है,आखिर इस लड़की की प्रॉब्लम क्या है? मन तो कर रहा है कि इसे सीधे सीधे बता ही दूं कि खून करने की प्लानिंग करती हूं और फिर उसे अंजाम भी देती हूं। कसम से ये लड़की दोबारा मुझ से कुछ नही पूछने वाली पर मेरी मासूम सी शक्ल देखकर ये बात को मजाक में लेकर टाल देंगी।"



"आप तो बुरा ही मान गई।" वह लड़की आगे कुछ कह पाती उस से पहले ही उसे किसी की कॉल आ गई। जिसे सुनने के लिए वह वहां से चली गई।



उसे जाता हुआ देख लड़की मन ही मन सोचने लगी। "शुक्र है उसे किसी की कॉल आ गई। वरना आज तो मै उसे यही टपका ही देती। मुझे तो इस मीरा में ही कुछ झोल लग रहा है। क्यों? ये मेरे बारे में जानना चाहती है ? अगर मै कोई आम लड़की होती तो इसका मेरे बारे में पुछना कोई बड़ी बात नहीं थी पर मैं तो ऑलरेडी इतने खून कर चुकी हूं, कही इसने मुझे खून करते हुए तो नही देख लिया। पर...... अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो यह मुझ से इतने प्यार से मेरे बारे में नही पूछ रही होती। इसकी जगह पुलिस मुझ से सवाल जवाब कर रही होती। फिर भी मुझे यह लड़की कुछ सही नही लग रही अब तो सारी बातें इस से मिलकर ही क्लियर होगी कि आखिर माजरा क्या है? इस तरह से अगर लड़के किसी लड़की के बारे में इनफॉर्मेशन निकालते है तो बात कुछ हजम भी होती है कि प्यार व्यार का चक्कर हो सकता है। पर ये लड़की देखने से मुझे तो नही लगता इस टाइप की होगी फिर इसे कौन से दौरे पड़ रहे। वैसे देखा जाए उसने बस मेरा नाम ही तो पूछा था शायद उसे मैं अच्छी ही लगी हूं जिस वजह से उसने मेरा नाम पूछा हो। क्या पता मैं ही कुछ ज्यादा सोच रही हूं। पर अगर मीरा के दिमाग में सच में कुछ चल रहा हो तो इस बारे में भी तो मै कुछ नहीं कह सकती होने को तो कुछ भी हो सकता है। अगर आगे इस लड़की ने कुछ किया फिर तो इसकी कुडली जरूर निकालनी पड़ेगी। वैसे भी श्लोक पढ़े हुए बहुत दिन हो गए है और मेरा श्लोक पढ़ने का बहुत मन हो रहा है।" इतना कहने के बाद वह अपने काम में लग गई।







शाम को जब लड़की के दद्दू रेस्टोरेंट में वापिस आए लड़की ने उन्हें पीने के लिए पानी दिया और तब तक उनके आस पास भटकती रही जब तक उसके दद्दू सारे काम करके फ्री ना हो गए।





"दद्दू अब तो बता दो। मेरे डॉक्यूमेंट्स कहां से आए और उनके पीछे क्या चक्कर है मतलब मेरे पास तो कोई भी डॉक्यूमेंट्स नही है। फिर यूनिवर्सिटी में आपने मेरा एडमिशन कैसे कराया? जितना मुझे मालूम है आप कभी कोई गलत काम नही करते और ना ही करने वाले।" लड़की ने जिद्द करते हुए  दद्दू से एक ही साथ कई सवाल पूछ डाले।





इतनी बात सुनकर बुर्जुग व्यक्ति के चेहरे के भाव बदलने लगे। जिन भावों को वह लड़की साफ साफ महसूस कर पा रही थी। वह लड़की बात और हालत को संभालते हुए बोली। "अगर कोई ऐसी बात है जिसे आप बताना नही चाहते तो फिर मै नही पूछने वाली कि मेरे डॉक्यूमेंट्स कहां से आए है। पर आप ही बताइए कि मुझे इतना तो पता होना ही चाहिए कि मेरी ये पहचान मुझे कहां से मिली। वैसे मुझे आप पर पूरा विश्वास है आप कभी कोई गलत काम नही करेंगे, आपने जो भी किया होगा सब कुछ देखकर किया होगा। तो आज से नही अभी से मैं इस बारे में आप से कोई भी सवाल नही पूछूंगी। आप को जब सही लगे आप बता देना वरना आप रहने देना, आपकी मर्जी।"

लडकी की इतनी बात सुनकर बुजुर्ग व्यक्ति पहले तो कुछ देर के लिए खामोश रहा और फिर अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए बोला।"मेरे हिसाब से तुम्हे भी पता होना चाहिए कि तुम्हें ये क्या नाम कैसे मिला और मेरे बेटे और बहू ने मुझे घर से क्यों निकाला।" 

बुजुर्ग व्यक्ति की इतनी बात सुनकर वह लड़की इतनी बात सुनकर उत्तासित हो जाती है क्योंकि अब उसे पता चलने वाला था कि उसके नाम और डॉक्यूमेंट्स के पीछे आखिर राज क्या है?



कुछ देर तक अपने हाव भाव पर कंट्रोल पाने के बाद और एक लंबी गहरी आह भरने के बाद बुजुर्ग व्यक्ति ने बोलना शुरू किया। "हमारी जिंदगी बहुत अच्छे से चल रही थी। मै मेरा बेटा और मेरे पोती पोता हम सब बहुत ही ज्यादा खुश थे। हमारे यहां एक आदमी काम करता था जिसकी एक बेटी जो मेरी पोती की हमउम्र ही थी। सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद हम सबकी जिंदगी बदल गई। उस वक्त जो कुछ भी हुआ था उसे याद करके मेरी रूह कांप जाती है। एक दिन हमारे यहां काम करने वाले मनोहर की बेटी एक दिन कॉलेज से आ रही थी, वह दिन उस मासूम की जिन्दगी का सबसे बुरा दिन रहा होगा तभी तो उसके साथ ऐसा कुछ हुआ। एक बार उसने उन गुंडों से कॉलेज की एक लड़की की जान बचाई थी और उन्हें कॉलेज से रेस्टिगेट भी करा दिया था। उसके पापा ने उसे बहुत मना की कि इन सब झंझटो में मत पड़ो , वे लोग तुम्हारे साथ कुछ बुरा भी कर सकते है। पर उसने अपने पापा की बात नहीं मानी और उन गुंडों को कॉलेज से बहार निकलवा दिया। वे गुंडे कॉलेजत से तो बाहर निकल गए पर उसी दिन से उसके पीछे पड़ गए। कुछ दिन तो वे गुंडे बहुत अच्छे से रहे जिसके बाद  सभी को लगा कि वे अब सुधर चुके गए है पर ये ही हमारी सबसे बड़ी और सबसे बुरी गलतफहमी थी। हम भूल गए थे कि ऐसे लोग कभी नही सुधरते। कुछ दिन शांत रहने के बाद वे लोग उसका पीछा करने लगे क्योंकि अब हम लोग भी आश्वस्त हो चुके थे कि वे लोग अब सुधर गए है। इसी तरह कई दिन पीछा करने के  बाद एक दिन कॉलेज से आते वक्त उन लोगों ने उसका किडनैप कर लिया और उसके साथ वो किया। जब उस दिन वह लड़की घर वापिस नही लौटी तो उसके पापा हमारे यहां चला आया क्योंकि अक्सर कॉलेज से आते वक्त वह हमारे यहां आ जाया करती थी पर उस दिन वह हमारे यहां भी नही आई। पहले हम लोगों को लगा कि कॉलेज में ही उसे किसी काम में देर हो गई होगी पर वह नही लौटी। शाम होने तक हम सभी लोग बेचैन हो चुके थे क्योंकि वह आज तक अपने पापा को बिना बताए कही नही गई। किसी अनहोनी के डर से मैने मनोहर लाल को समझाकर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करा दी। कई दिनों तक तो लडकी के बारे में कुछ भी पता नही चला पर जब पता चला सभी के पैरों तले से जमीन खिसक है। लड़की की लाश रेलवे स्टेशन की पटरियों पर बहुत ही बुरी हालत में मिली, इतनी बुरी हालत में कि कोई सोच भी नही सकता कि उस बेचारी पर उस वक्त क्या बीती होगी। उसकी ऐसी जाकर देखकर मनोहर लाल तो किसी अधमरी लाश के जैसा हो गया। उसकी बीवी तो पहले ही गुजर चुकी थी अब उसकी बेटी की ये दशा देखकर उसकी पैरों में जान तक नहीं बची थी। हम लोग लड़की की लाश को घर ले आए। मनोहर ने अपनी बेटी की फोरेंसिक जॉच से मना कर दी और साथ ही साथ पुलिस केस से भी। मैंने उसे बहुत समझाया पर उसने मुझे सीधे सीधे मना कर दी और मुझे बोला। "बाबू जी रहने दीजिए। एक तो मैं अपनी बेटी को पहले ही खो चुका हूं , अब उसकी इज्जत को नही खोना चाहता। हमारे समाज में लड़की के साथ अगर कुछ गलत होता है तो उसमे लड़की की गलती निकाली जाती है। मुझे पता है हमारा कानून बहुत ही बेकार है जिसकी वजह से उसे श्री इंसाफ नही मिलेगा। उल्टा उसे राजनैतिक पार्टियां अपने लिए मुद्दा बना लेंगी। "  इतना कहते ही मनोहर फूट फूट कर रोने लगा।



उसकी इस बात मेरा मुंह बंद कर दिया क्योंकि उसने जो कुछ भी कहां था वह बिल्कुल सच बोला था। हमारे देश में ऐसा ही होता है। लड़की की लाश का अंतिम संस्कार कर दिया गया। मनोहर की जिंदगी तो खत्म ही हो चुकी थी जिसको मैंने समझा बुझाकर कर एक नई राह दी जिसमे वह इस तरह की लड़कियों की मदद करने लगा। कुछ दिन सब कुछ नॉर्मल हो गया पर मेरे अंदर अभी भी बवंडर चल रहा था जिसमे अनगिनत भाव समाए हुए थे और उन सबमें सबसे बड़ा भाव था आत्मग्लानि का भाव। इन सबके लिए कही ना कही मैं ही जिम्मेदार था।







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To be continued......





Note— कहानी में अगर कोई गलती हुई तो उसे बाद में एडिट कर दिया जाएगा अभी एडिटिंग का टाइम नही है।


धन्यवाद 🙏🏻


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2 Comments

आह कितना दुख झेला होगा मनोहर लाल ने😔😔

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Ali Ahmad

28-Dec-2021 10:21 AM

🤭🤭🤭 ठीक मोहतरमा..

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