खुशी
"खुशी"
क्या पता है तुम्हे क्या होती है खुशी
कभी कभी आंखों से आंसू बनके भी
छलकती है खुशी....!
कल की फिकर
और आज की कश्मकश के बीच
जो दो पल का सुकून होता है ना
वो होती है खुशी....!
बीज बोने से लेकर
फसल को काटने के बाद
एक किसान की जब
पूरी मेहनत वसूल होती है ना
वो होती है खुशी....!
सौ दर्द सह कर भी
जब एक मां
अपने बच्चे का मुंह देखती है ना
वो होती है खुशी....!
किसी रोते हुए को हंसा कर
मन को जो सुकून मिलता है ना
वो होती है खुशी....!
सच कहूं तो इंतजार के साथ साथ किसी
उम्मीद के पूरे होने का ही दूसरा नाम है खुशी....!
लेकिन जरूरी नहीं कि
हमेशा इंतजार के बाद
उम्मीद पूरी ही हो और
होठों पर मुस्कुराहट ही हो
हो सकता है कभी आंखे नम भी हों...
मगर कभी कभी बहुत कुछ खोने के बाद भी
आंखों के नम होने के बाद भी
अपनों की खातिर
होठों पर हंसी बनके
छलकती है खुशी...
क्योंकि
हमेशा कुछ पाना ही नहीं होती है खुशी
कभी कभी कुछ खोकर मुस्कुराना भी
होती है खुशी...
कविता गौतम...✍️
प्रतियोगिता हेतु ।
Shrishti pandey
29-Dec-2021 08:54 AM
Bahut badhiya
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Abhinav ji
28-Dec-2021 11:55 PM
Nice one
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Sunanda Aswal
28-Dec-2021 06:29 PM
बहुत सुंदर
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