तेरा साथ है कितना प्यारा
पात्र परिचय
*आकाश : कंपनी में कार्यरत युवा
*आकाश का मन
*नैना : आकाश की पत्नी(गृहणी)
*देवेश : आकाश का दोस्त
अन्य पात्र : देवेश की पत्नी
पर्दा उठता है….
पहला दृश्य…
एक साधारण सा मध्यम वर्गीय परिवार। मई का महीना है। गरमी अपने चरमोत्कर्ष पर है। रसोई में गैस पर एक तरफ कुकर लगातार सीटियाँ मार रहा है तो दूसरी तरफ दूध उबल रहा है। नैना पसीने से तरबतर है। पसीने की बूंदे उसके चेहरे से होते हुए कमर को छू रही है। लेकिन उसका ध्यान कहीं और है।
आकाश: चिल्लाते हुए नैना, नैना... कब से आवाज लगा रहा हूँ एक कप चाय के लिए, तुम्हारा ध्यान कहाँ है?
दूध भी उबल उबल कर आधा रह गया है और तुम हो कि पता नहीं किन ख्यालों में गुम हो?
नैना: ख्यालों से बाहर आते हुए। ओह….. सॉरी-सॉरी… अभी चाय लाती हूँ।
आकाश: चाय बढ़िया बनी है। तुम्हें पता है तुम्हारे हाथ की चाय के सिवा मुझे कहीं की चाय पसन्द नहीं आती।
नैना साड़ी के पल्लू से पसीना पोंछते हुए और हल्का सा मुस्कुराते हुए…….
नैना: हाँ जानती हूँ। सुनो चलो ना कुछ दिनों के लिए शिमला चलते हैं। मैं पक चुकी हूँ इस गर्मी से। मुझे शिमला की हसीन वादियों में घूमना है। मुझे वहाँ की ठंडी हवा को महसूस करना है।
ले चलो ना आकाश प्लीज.…
आकाश नैना का हाथ अपने हाथों में लेते हुए...
आकाश: वाह नैना आईडिया तो बहुत अच्छा है। मुझे भी जयपुर की गर्मी से निज़ात चाहिए। मेरा भी मन है अपनी खूबसूरत बीवी के साथ शिमला के माल रोड पर हाथ पकड़कर घूमूँ।
लेकिन क्या करूँ अभी बजट नहीं है। कोरोना के कारण वैसे ही तनख्वाह कट कर मिल रही है और माँ-बाबूजी को भी तो हर महीने पैसे गाँव भेजने होते हैं।
अब तुम्हीं बोलो क्या करूँ?
नैना रुआंसी होते हुए...
नैना: ये परेशानियां तो कभी ख़त्म ही नहीं होंगी। ऐसे तो हम कभी जा ही नहीं पाएंगे।
आकाश: पागल हो क्या नैना, ऐसा कुछ नहीं होगा। कुछ महीनो की बात है। हम सर्दियों में जायेंगे, बर्फ का मज़ा लेंगे और एक दूसरे के साथ प्यार भरा वक़्त गुजारेंगे।
नैना खुश होते हुए....
नैना: सच में आकाश…..बर्फ में तो और भी मज़ा आएगा। तुम्हें पता है मैंने कभी बर्फ नहीं देखी। चलो बर्फ देखने की आरजु में जैसे तैसे ये गर्मियां काट ही लूँगी।
आकाश: नैना शिमला से वापिस आ जाओ अब और खाना बना दो, मुझे भूख लगी है बड़ी जोरों से। तुम्हें पता है सारा दिन इसी उम्मीद में काम करता हूँ…. कब ऑफिस से छुट्टी मिलेगी और कब मैं घर आकर नैना के हाथ का बना स्वादिष्ट खाना खाऊंगा उसके साथ बैठकर।
नैना: मेरे हाथ का खाना इतना पसन्द है तो टिफिन क्यों नहीं लेकर जाते रोज़ ऑफिस?
आकाश: लंच फ्री मिलता है ना ऑफिस में तो क्यों फालतू में घर का राशन बर्बाद करूँ?
नैना: इतना मत सोचा करो तुम, सब ठीक हो जायेगा जल्दी ही।
आकाश: जब से कोरोना आया है जिंदगी में, सोचने पर मजबूर हो गया हूँ नैना। चलो ठीक है तुम खाना बनाओ, मैं जरा बाहर का चक्कर लगा कर आता हूँ।
दूसरा दृश्य….
पार्क में चक्कर काटते हुए अपने आपसे बातें करता हुआ आकाश.....
आकाश: कैसे बताऊँ नैना को कि मेरी नौकरी छूटे हुए एक महीना हो चुका है। कोरोना के कारण कंपनी को बहुत घाटा हो गया है और इसी घाटे के चलते आधे से ज्यादा कर्मचारियों को निकाल दिया गया है।
आकाश का मन: बताना तो पड़ेगा ही, इतनी महत्वपूर्ण बात कैसे छिपा सकता है तू नैना से। वो बेचारी सोचती है कि तू ऑफिस जाता है रोज़ और जब कि तू नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है दिन भर।
आकाश: देखता हूँ…..खैर बताना तो पड़ेगा ही। सही मौका देखकर बता दूंगा नैना को। जो होगा देखा जायेगा।
उधर नैना अपने आप से बातें करते हुए….
नैना: कैसे बताऊँ आकाश को कि वो पापा बनने वाला है…. वो भी इस समय पर जब कि उसकी नौकरी छूट चुकी है। ठीक एक महीना हो गया उसकी नौकरी छूटे हुए और मुझे प्रेगनेंट हुए। ज्यादा दिन तक नहीं छिपा पाऊँगी मैं। आकाश को बताना ही होगा।
आकाश डोरबेल बजाते हुए….
नैना: आ रही हूँ.... थोड़ा तो इंतज़ार करो।
आकाश: कब से घंटी बजा रहा हूँ और तुम कह रही हो इंतज़ार करो।
खाना लगा दो मुझे भूख लगी है।
नैना: हाँ अभी लगाती हूँ खाना, तुम हाथ मुँह धोकर बैठो टेबल पर।
आकाश देख रहा है नैना ठीक से खाना नहीं खा रही है..
आकाश: क्या हुआ तबियत ठीक नहीं क्या? तुम खाना क्यों नहीं खा रही ठीक से।
नैना: आज पेट खराब है थोड़ा, उलटी जैसा दिल हो रहा है। मन नहीं कर रहा कुछ खाने का।
आकाश: दस बार मना किया है रात का बासी खाना अगले दिन मत खाया करो….लेकिन तुम्हे कौन समझाय।
नैना: तुम भी तो खाते हो रात का बचा हुआ खाना।
आकाश: हाँ मैं खाता हूँ क्योंकि मुझे इसकी बचपन से आदत है और मैं एक साधारण परिवार से हूँ। लेकिन तुम एक अमीर परिवार से हो, जहाँ बचा हुआ खाना नौकर खाते हैं। तुम्हें आदत नहीं है नैना तुम क्यों नहीं समझती।
नैना: मन ही मन सोचते हुए कैसे बताऊँ इन हालात में आकाश को उलटी की वजह।
अच्छा ठीक है तुम नाराज मत हो, खाना खाओ चुपचाप अब।
तीसरा दृश्य….
नैना को रात भर उल्टियाँ होती रही, जिसके कारण वो सुबह जल्दी उठ नहीं पायी...
आकाश: सुनो मैंने दलिया बनाकर रख दिया है नाश्ते में, तुम बाद में फ्रेश होकर खा लेना। मैं ऑफिस जा रहा हूँ। उलटी की दवाई भी टेबल पर निकाल कर रख दी है, नाश्ते के बाद खा लेना। मैं जल्दी आ जाऊंगा। ख्याल रखना अपना और कुछ ठीक ना लगे तो मुझे फोन कर देना।
नैना बिस्तर पर लेटे-लेते आकाश की सारी बाते सुन रही है। आकाश नैना के सिर पर प्यार से हाथ रखता है और ऑफिस जाने के लिए खड़ा होता है। तभी नैना उसे रोक लेती है....
नैना: आकाश प्लीज आज ऑफिस मत जाओ। यह नौकरी छोड़ दो तुम।
आकाश: हैरान होते हुए…. अच्छा यह नौकरी छोड़ दी तो हम फिर खाएंगे क्या, जिन्दा कैसे रहेंगे?
नैना: हम बिज़नेस करेंगे दोनों मिलकर। वैसे भी हर कोई नौकरी करेगा तो बिज़नेस कौन करेगा?
तुम जानते नहीं एक बिज़नेस कितने सारे लोगों को नौकरियां दे सकता है?
आकाश: ये अचानक से ऐसा आईडिया कैसे आ गया दिमाग में, वो भी सुबह-सुबह।
नैना: बस आ गया। मैं घर पर खाली बैठी बोर हो जाती हूँ और तुम सारा दिन ऑफिस में खटते हो, तो सोचा क्यों ना दोनों मिलकर साथ कोई बिज़नेस कर लें। इससे हम ज्यादा से ज्यादा वक़्त एक दूसरे के साथ बिता पाएंगे।
आकाश: वैसे विचार तो अच्छा है पर मैडम बिजनेस के लिए पैसा लगता है और वो हमारे पास कहाँ है?
नैना: आकाश डियर अगर सब कुछ पैसे से ही होता तो धीरू भाई अंबानी एक दिन अंबानी एम्पायर नहीं खड़ा कर लेते।
मेरे पास एक आईडिया है।
आकाश: हाँ बोलो मेरी बिज़नस वुमन।
नैना: देखो मेरी मम्मी ने जो शादी में मुझे महंगी-महंगी साड़ियां दी थी पापा से छिपाकर, वो ऐसी की ऐसी ही पड़ी हैं अलमारी में और तुम्हारी बनाई जो पेंटिंग्स पड़ी हैं उनका क्या? वो भी तो हम फ्रेम करवा सकते हैं। हम एक ऑनलाइन स्टोर खोलेंगे और इन सभी चीजों की फोटोज खींचकर पेज पर डाल देंगे, साथ ही में फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर भी शेयर करेंगे। जब लोग आर्डर करेंगे तो हम उन्हें सप्लाई कर देंगे हमारे प्रोडक्ट्स।
आकाश: ये सब इतना आसान नहीं है नैना।
नैना: जानती हूं आकाश, लेकिन एक कोशिश तो बनती है हार मानने से पहले। वैसे भी हमारे पास खोने को कुछ नहीं है।
नैना आकाश का हाथ अपने पेट पर रखते हुए…. हमारे बच्चे के लिए आकाश, एक कोशिश तो बनती है।
आकाश एक ही समय में खुश और हैरान होते हुए...
आकाश: सच नैना, ओह अब समझा तुम्हारी उल्टियों का राज़। ठीक है जैसा बच्चे की माँ का हुक्म। चलो शुरू करते हैं नयी शुरुवात।
आकाश ने नैना को गले से लगा लिया।
नैना लैपटॉप पर ऑनलाइन स्टोर खोलते हुए…
नैना : ये देखो मैंने ऑनलाइन स्टोर का नाम क्या रखा है….समृद्धि होम सॉल्यूशन्स
आकाश: एकदम मस्त नाम है तुम्हारी तरह।
करीब एक महीने बाद उनकी मेहनत रंग लाने लगी और उन्हें ऑर्डर्स मिलने लगे।
धीरे-धीरे ही सही अब उनकी गाड़ी पटरी पर आने लगी थी।
चौथा दृश्य….
एक दिन देवेश मिल गया रास्ते में आकाश को..
देवेश: हाय आकाश कैसा है तू?
आकाश: मैं बढ़िया, तू अपनी सुना।
देवेश: अरे यार महीना पहले तेरी पत्नी मिली थी मेरी पत्नी को बाजार में। मेरी बीवी ने तेरी नौकरी छूट जाने के बारे में नैना भाभी को बता दिया।
वो तो हैरान हो गयी सुनकर और बिना बोले ही चली गयी। बाद में मेरी बीवी को महसूस हुआ कि नहीं बताना चाहिये था, शायद उन्हें मालूम नहीं था पहले से।
ओह सॉरी यार माफ़ कर दे, गलती से निकल गया उसके मुँह से। तेरे घर में कोई पंगा तो नहीं हुआ ना उसके बाद।
आकाश: नहीं नहीं सब ठीक है। चल चलता हूं जल्दी में हूँ।
आकाश मन ही मन सोचते हुए …. इसका मतलब नैना को मालूम था मेरी नौकरी छूट चुकी है, इसलिये उसने बिजनेस का आईडिया दिया बिना इस बात का जिक्र किये हुए ताकि मैं खुद को छोटा महसूस ना करूँ उसके सामने। ओह नैना….
घर पहुंचते ही आकाश नैना को जोर से गले लगाता है और उसके कानों में थैंक यू बोलता है।
नैना: क्या हुआ आज इतना प्यार कैसे आ रहा तुम्हें मुझ पर।
आकाश: शुक्रिया मेरे आत्मविश्वास को , मुझे टूट कर बिखरने से बचाने के लिए। तुम्हें मालूम था, मेरी नौकरी जा चुकी है… फिर भी तुमने कभी इस बात का जिक्र नहीं किया। एक नकारात्मक परिस्थिति को तुमने अपने साथ से सकरात्मक कर दिया। हमारी जिंदगी को एक नयी दिशा दे दी।
नैना: अगर उस वक्त मैं नकारात्मक ढंग से प्रतिक्रिया देती या तनाव में आ जाती तो तुम टूट जाते और तुम्हें टूटता हुआ कैसे देख सकती थी मैं। तुम्हारी इज़्ज़त बहुत ऊँची है मेरी नज़रों में, उसे ऐसे ही कैसे गिरने देती।
नौकरी करने के कारण तुम्हे वक़्त ही नहीं मिल पाया कुछ हटकर करने का। मुझे लगा इस खराब परिस्थिति को अवसर में बदलने का यही सही समय है, तो बस ले आयी तुम्हें बिज़नेस में खींचकर और वैसे भी हमारे पास खोने को कुछ भी नहीं था।
तुम खुश तो हो ना आकाश हमारे इस फैसले से?
आकाश: हाँ नैना मैं बहुत बहुत खुश हूँ।
आकाश ख़ुशी से गाना गुनगुनाने लगा….
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
अंधेरों में भी चाँद की रौशनी है…..
पर्दा गिरता है।
समाप्त।
❤सोनिया जाधव
🤫
31-Dec-2021 11:18 AM
नाटक विधा, क्या खूब लिखा है आपने
Reply
Shrishti pandey
30-Dec-2021 11:53 PM
Bahut hi badhiya likha hai aapne . Nice
Reply
Sunanda Aswal
30-Dec-2021 01:06 PM
बहुत सुंदर कहानी
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