जुस्तजू भाग --- 21
झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी,
कौन तार से बीनी चदरिया ॥
(संत कबीर)
टक्कर बहुत तेज़ थी। कार का पिछला हिस्सा पिचक कर अगली सीट्स तक आ गया था।अख्तर ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी तो एयरबैग्स नहीं खुले और तेज झटके के कारण सिर बुरी तरह स्टीयरिंग व्हील से टकरा गया था। भीड़ में सैयद साहब को जानने वाले कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया। जल्दी ही गुवाहाटी में यह ख़बर आग की तरह फैल गई। सैयद साहब अपने ईमान और समाजसेवा कार्यों के लिए जनता और उच्च प्रशासनिक वर्ग में लोकप्रिय थे । पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी हरकत में आ गए। हॉस्पिटल में डॉक्टर्स अलर्ट पर थे। एंबुलेंस के आते ही सीटी स्कैन, एमआरआई, एनेस्थीसिया, ब्लड आदि सभी कार्य त्वरित गति सेकिए जाने लगे। सैयद साहब बिजनेस मीटिंग में थे और अस्मां बेगम डॉक्टर सलमा के यहां थी। ख़बर मिलते ही दोनों होश खो बैठे। डॉक्टर रहमान ने लखनऊ ख़बर कर दी। वहां से रुखसाना और उनके पति भी रवाना हो गए। सलमा ने अस्मां बेगम को संभाला और हॉस्पिटल में ले आई और रहमान साहब को राधा को संभालकर लाने की ताकीद की। वह अख़्तर और राधा की बॉन्डिंग जानती थी।
रहमान साहब ने अपनी अम्मी को साथ लिया और बच्चे को उनके सुपुर्द कर राधा को अपने साथ ले लिया था। उन्होंने उसे केवल अख़्तर को चोट लगने के बारे में ही बताया। इतने में ही वह बदहवास हो गई थी। वे हॉस्पिटल से उसके ऑब्सेशन के बारे में भी जानते थे अतः सतर्क थे। हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की टीम रिपोर्ट्स पर सुप्रीटेंडेंट को ब्रीफ कर रही थी।
"सर, पेशेंट के ब्रेन में मल्टीपल ब्लड क्लॉट्स है। स्वेलिंग और स्कल फ्रैक्चर से ऑपरेशन के लिए बेहद एक्सपीरियंस्ड या होशियार न्यूरो सर्जन चाहिए। इंडिया में केवल 3 डॉक्टर्स ने ही ऐसी सर्जरी सफलतापूर्वक की है और उनमें से 2 अभी देश के बाहर है।"
"और तीसरे..." तभी वहां पहुंचे कलेक्टर ने दख़ल दिया।"
" लखनऊ की डॉक्टर आरूषि ने ऐसा किया था पर आजकल उनका पता किसी को नहीं।"अबकी बार सुपरिटेंडेंट ने जवाब दिया। सैयद साहब और उनकी बेगम फूट फूटकर रोने लगे। डॉक्टर रहमान राधा को लेकर वहां पहुंचे ही थे। उन्होंने भी सब सुना। रहमान साहब राधा के लिए डर गए। राधा के हाथ भिंच गए थे।
"मैं यहां मौजूद हूं।" तभी एक रौबदार स्त्री स्वर गूंजा।
सन्नाटा सा छा गया। कुछ देर सभी सन्न थे फिर सभी के चेहरे उस आवाज़ की तरफ़ मुड़ गए।
"मै ही डॉक्टर आरूषि हूं और पहचान के लिए यह रहा मेरा आइडेंटिटी कार्ड..।" तभी राधा के हाथ में थमा आइडेंटिटी कार्ड देखकर सैयद साहब और रहमान साहब सकते में आ गए।
"अब्बा, आपकी बेटी आज अपने भाई को आपके लिए लेकर आएगी या....."
"खबरदार !!! और कुछ मत बोलना। मैं दो जान कुर्बान नहीं देख सकता।"सैयद साहब बोले।
"डॉक्टर्स चलें ?? " स्तंभित सभी डॉक्टर्स और कलेक्टर झटके से एक्टिव हो गए।
कुछ ही देर में आरूषि, जिसकी पहचान कुछ देर पहले राधा के रूप में थी। अपने भाई अख़्तर को मौत के मुंह से खींच लाने में अन्य डॉक्टर्स के साथ जुटी थी। उसकी टीम के और हॉस्पिटल के बाकी डॉक्टर्स बेहद रोमांचित थे और मनोयोग से सहयोग कर रहे थे। जहां ऑपरेशन की टीम लगातार काम कर रही थी वहीं बाकी सब उसके कुछ देर पहले बताई गई सारी व्यवस्था में जुटे थे। लगातार 8 घंटे ऑपरेशन चला। जहां टीम के डॉक्टर्स बीच में बदले वहीं आरूषि लगातार खड़े हुए अपने काम को अंजाम देते हुए अख़्तर को मौत से छीनने में लगी थी।
आखिर ऑपरेशन थियेटर का दरवाजा खुला और सबकी सांसे रुक पड़ी।
"अब्बा, भाई... बच.....!!!" आरूषि बेहोश हो गई सैयद साहब के हाथों में। उनके दिल की धड़कनें रुक सी गई। तभी उसकी टीम के दूसरे डॉक्टर ने आगे बढ़कर कहा,"सर्जरी सफ़ल रही है पर अगले 48 घंटे तक हमें ईश्वर पर भरोसा करना होगा।"
आरूषि को भी भर्ती कर लिया गया था। बाकी डॉक्टर्स उसके निर्देशानुसार जुट पड़े थे अख़्तर को संभालने में।
*******
"अनुपम खुशखबरी है तेरे लिए !!" अनुपम ने लगातार घंटियां बजने पर अपने मोबाईल को उठाया था।
"क्या.... कौन...."
"मैं तेरा बैचमेट, गुवाहाटी कलेक्टर निशांत भूटिया !!!" दूसरी तरफ से जवाब आया।
"निशांत !!!??? जल्दी बता क्या है ?? "
"यह कि भाभीजी यहां है। गुवाहाटी में !!!!"
कुछ ही शांति छाई
"अनुपम, अनुपम तू ठीक है न ???"
" त... त.... तुम सच कह रहे हो न ??"
"हां और तेरा बेटा भी यहीं है।"
"मेरा बेटा ?? वो तो यहां है, मेरे पास !!"
"हां, तो क्या दूसरा नहीं हो सकता है ???"
"दूसरा ??!!!!"
"बस बाकी सब बाद में। अभी बैग पैक कर और गुवाहाटी की फ्लाईट पकड़।"
"सब करता हूं, निशांत अब जाने मत देना उसे, मेरे भाई !!!" अनुपम की आवाज़ भर्रा गई थी।
"आजा, मैं बाकी सब पता लगवाता हूं।"
अनुपम जल्दी से छुट्टी मंजूर करवाकर घर पहुंचा। मम्मी घर पर नहीं थी। पर भाई भाभी आए हुए थे। आरूषि के जाने के बाद उदयपुर से कोई न कोई लगभग वहां समय मिलते ही संभालने आता रहता था।
"भाभी आप आरव को संभालना, मैं ज़रूरी काम से जा रहा हूं।" उसके इस तरह अचानक आने और हड़बड़ी मचाने पर उसकी भाभी की हैरानी भरी नजरों में प्रश्न थे।
"मां आप अभी मेरे साथ चलेंगी।" फ़ोन पर तुरंत टिकिट्स बुक कराकर उसने मां को बुला लिया जो अब मुंबई उनके साथ रहती थी। इतनी जल्दी में कोलकाता से कनेक्टिंग फ्लाइट्स बुक कर पाया था वो जो वहां से 3 घंटे बाद थी।
"भाई सा, मां क्यों ??....... कहीं आरूषि भाभी सा.....??"
"हां, पर सब बाद में।"
उनका चेहरा भी दमक उठा।
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"डॉक्टर, आप डॉक्टर आरूषि को किसी भी तरह रोके रखिएगा। डॉक्टर रहमान और डॉक्टर सलमा, आप भी सावधानी से उन्हें उलझाए रखिएगा।"निशांत अनुपम से बात करने और उपस्थित लोगों से जानकारी लेने के बाद उन्हे अनुरोध करते हुए बोला।
"सर आप निश्चिंत रहिए। डॉक्टर आरूषि ठीक होने के बाद भी यहीं रहेंगी। अभी अख़्तर के लिए दो दिन क्रिटिकल है तो वे जायेंगी नहीं।" सुपरिटेंडेंट ने जवाब दिया।
"सैयद साहब और उनके सारे परिवार की भी पूरी केयर कीजिएगा और डॉक्टर आरूषि के पास भी गार्ड तैनात कर दीजिए। वे यूपी सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं।" निशांत ने एसपी से कहा।
एसपी भी जानते थे। साल भर से लुकआउट नोटिस था पर किसी के जहन में नहीं आया कि वह सैयद साहब के घर पर मिलेंगी।
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अनुपम दूसरी सुबह गुवाहाटी में था। निशांत उसे अपने घर ले आया। उधर रुखसाना भी अपने पति के साथ गुवाहाटी आ गई थी। उसके पति ने भी आरूषि को पहचान लिया था। वे भी पहली बार राधा की तस्वीर देख रहे थे। रुखसाना ने आरूषि के उनके घर में आने और राधा बनकर रहने सम्बंधी सारी जानकारी प्रशासन को दे दी थी। उधर आरूषि होश आने के बाद सारी उठा पटक से अनभिज्ञ अख़्तर को बचाने में लगी पड़ी थी। सैयद साहब का सारा परिवार आरूषि का अहसानमंद था। इतने दिनों जिसे बेटी बनाकर रखा था वह उनका बदला उनके बेटे की जान बचाकर चुकाएगी इस बात का दूर दूर तक कोई अंदेशा न था। वे बार बार अल्लाह का शुक्रिया अदा कर रहे थे।
उधर अनुपम को निशांत ने आरूषि के मामले की उलझन के बारे मे बता दिया था और वहां उसके पहुंचने की सारी जानकारी उपलब्ध करा दी थी।
अनुपम ने उत्तर प्रदेश में अपनी जानकारी का इस्तेमाल कर और सीएम साहब से फ़ोन पर बात कर आरूषि को अपनें साथ ले जाने की मंजूरी ले ली थी। उत्तर प्रदेश में चुनाव पिछली सत्ताधारी पार्टी ने ही जीता था और अनुपम के योगदान को सीएम साहब नहीं भूले थे। अब अख्तर की सलामती का सभी को इंतजार था।
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आखिर अख्तर को तीसरे दिन होश आ गया था और आरूषि को भी चैन मिल गया था। अब वह खतरे से पूरी तरह बाहर था और वहां के डॉक्टर उसे अब संभाल सकते थे।
"राधा, अब आप भी घर जाकर आराम कीजिए। आपने 3 दिनों से बिल्कुल आराम नहीं किया है।"
"पर अम्मी....."
"अम्मी ठीक कह रही हैं बाजी। आप अब घर जाइए। हम सब हैं यहां और बाकी डॉक्टर्स भी।" रुखसाना के पति ने कहा।
"जाओ बेटा, ड्राईवर आपको घर ले जायेगा।"सैयद साहब ने भी कहा,"हमें आप भी अज़ीज़ है।"
आरूषि निरुत्तर थी। वह जाने को राज़ी हो गई। उसे पता न था कि घर पर उसके लिए एक सरप्राईज मिलना तय था।
बात दिल की:-
सबसे पहले आप सभी साथियों को "हैप्पी न्यू ईयर"
ईश्वर आप सभी की सारी मनोकामनाएं पूरी करें।
और आलिया बहन क्षमा प्रार्थी हूं कि वादे के अनुसार कल सुबह यह भाग न देकर अभी दे रहा हूं। सच कहूं तो मुझे लालच आ गया था कि नए वर्ष के आगमन पर नायिका और आप सभी को सरप्राईज दूं।
अभी आप सब एंजॉय कीजिए। फिर मिलते हैं और हां अब भाग देर से आयेंगे। तो अग्रिम क्षमा प्रार्थी
जय जय
🙏🏻🙏🏻
🤫
09-Jan-2022 11:11 AM
Kuch achcha hone wala h ab
Reply
Ajay
09-Jan-2022 10:59 PM
☺️☺️
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Aliya khan
01-Jan-2022 09:49 PM
नया साल मुबारक हो नायिका को क्या सरप्राइज मिलेगा
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Ajay
01-Jan-2022 09:58 PM
सीक्रेट है 🙂🙂
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सिया पंडित
01-Jan-2022 09:49 AM
Behtreen h
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Ajay
01-Jan-2022 06:58 PM
Thanks Siya ji
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