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लेखनी प्रतियोगिता -31-Dec-202१ वही धरती वही आकाश वही सूरज का प्रकाश



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वही धरती, वही अकाश, वही सूरज का प्रकाश, 

वही चांद,वही तारे, वही रात और दिन के बदलते नजारे,

बदलता मौसम,बदलती ऋतुए, बदला दो हजार इक्कीस,

नहीं मन में कोई बीते वर्ष के प्रति टीस,

 कुछ पाया है,कुछ खोया है,कुछ अनुभवों को संजोया है,

इस बीते साल में सभी ने, कुछ अपनों को भी खोया है,

रोग विकारों से मुक्ति हो,हो खूबसूरत एक उजाला, 

 दो हजार बाईस लेकर आए,एक अमृत का प्याल


  मिटे कभी ना भाईचारा, धर्म युद्ध से करें किनारा,

धर्म प्रेम की बातें सीखें,सीखें सभी सहज सलीखे,

     

         संगीता वर्मा ✍️✍️....











संगीता वर्मा ✍️✍️

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3 Comments

Swati chourasia

02-Jan-2022 08:02 AM

Very beautiful 👌

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Abhinav ji

31-Dec-2021 11:41 PM

Nice

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Shrishti pandey

31-Dec-2021 11:19 PM

Nice

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