यस आई एम— 38
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"अब तक तो आप लोग भी कॉफी का मग ले कर बैठ गए होंगे। अब मेरी बात सुनो मैने क्या क्या किया।" वह अपनी बात को इस तरीके से बता रही थी मानो किसी बड़ी कम्पनी के लिए इंटरव्यू दे रही हो। इतना कहने के बाद उसने कॉफी की एक घुंट भरी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।
"मुझे इस मीरा के रंग ढंग पहले से ही सही नही लग रहे थे। एक दिन मैं काम कर रही थी तो मैंने उस उदय नाम के लड़के को खुद को घूरते हुए देखा और जिस वे में वह मुझे देख रहा था वह मुझे कुछ सही नही लगा। वैसे भी लड़कियां इस मामले में एक्सपर्ट होती है वे देखकर ही पता कर लेती है कौन लड़का उनके लिए क्या फील कर रहा है और वह लड़की को किस नजरिए से देख रहा है। दूसरी तरफ लड़के होते है जो लड़की के खुद पर नजर पड़ जाने को भी प्यार समझ लेते है।
फिर वो अलग बात है लड़की अपने ही ख्यालों की दुनिया में खोई हो जिसे लड़के प्यार समझ बैठते है। अब इन महानविभूतियों को कौन समझाए प्यार ऐसे नही होता। इस पर तो मेरा एक लाइन लिखने का मन कर रहा है। कैसा होता अगर मै भी एक लेखिका होती और अपने किए गए कारनामों को कहानियों का रूप देती। इस तरह मेरी कहानियां बिल्कुल ऑरिगनल कहानी बनती। वाह लोग उन्हें कितना पसंद करते।" इतना बोलने के बाद लड़की ने अपने माथे पर चपत लगाई और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।
"मै भी ना, बात को कहां से कहां ले गई। अगर वक्त को मुझे लेखक बनाना हुआ तो मैं जरूर बन जाऊंगी। वैसे भी वक्त से पहले कोई काम नहीं होता। अभी मेरे लिए ये ही बेहतर है कि मै अपने रेस्टोरेंट वाले काम पर ध्यान दूं। बातों ही बातों में मै लाइन बताना तो भूल ही गई। "
हर किसी को प्यार नही होता,
हर किसी से प्यार नहीं होता।
कहां मैं मर्डर कैसे किया जाता है बताने वाली थी और कहां ये प्यार मोहब्बत की बातें लेकर बैठ गई। मेरे प्यारे से मुंह से ये प्यारी प्यारी बातें बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती इस मुंह से तो बस ज्ञान की बातें और खून करने की प्लानिंग बताना ही अच्छा लगता है। प्यार व्यार से तो वैसे भी मेरा कोई लेना देना नही पर अगर ज्ञान देने की बात आए तो मैं इस टॉपिक पर भी ज्ञान दे सकती हूं। जिसे सुनकर लोग बोलेंगे की मैने तो प्यार में भी पीएचडी की हुई है।
वो लड़का...... क्या नाम था उसका?" इतना कहने के बाद वह सोचने लगीं। थोड़ी देर सोचने के बाद वह बोली।"ओह याद आ गया, उसका नाम था उदय। श्च च च बेचारा उदय....मेरी जिंदगी में आने के बाद तो उसका उदय होने की बजाए अस्त ही हो गया। यकीन मानो उसमें मेरी कोई गलती नही थी जो भी गलती थी वह उसी ही की थी। मैने थोड़े ही उसे बोला था कि आओ और मेरे प्यार में पड़ जाओ। ये तो उसे प्यार में पड़ने से पहले सोचना चाहिए था।
उस दिन के बाद मैने उस लड़के के बारे में इनफॉर्मेशन निकालनी शुरू कर दी, पर कुछ खास नहीं बस उतनी ही वह रेस्टोरेंट में कब आता है, अगैरा वगैरा.....इस से ज्यादा का उस वक्त मुझे कुछ करना भी नही था क्योंकि उस वक्त उस ने भी इतना कुछ नही किया था कि मै उसके बारे में इन्फोरेमेशन निकालने का काम करती। उसने बस देखने का गुनाह ही तो किया था.....वो भी प्यार से। इस तरह से मुझे अगर कोई देखें तो मुझे एक अजीब सी ही चिड़ावट होती है, मन करता है सामने वाले का खून ही कर दूं।
मुझे उदय के हाव भाव से इतना तो पता ही चल गया था की लड़का इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ने वाला। उस दिन के बाद मै उसकी तरफ से किसी हरकत के होने इन्तजार करने लगी ताकि मुझे कुछ करने का मौका मिले। वैसे भी मुझे बहुत दिन बीत चुके थे कोई एडवेंचर किए हुए, इसी बहाने मुझे भी एडवेंचर करने का मौका मिल जाता। उसके बाद मैंने जानबूझकर ऐसी हरकतें की जिसकी वजह से वह मेरी तरफ ओर भी खींचा चला आया। वैसे भी इन लड़को पर चुम्बक वाला लॉ पूरा फिट बैठता है इन लोगों को जितना इंगोर करो ये ऑपोजिट पोल की तरह उतने ही लड़की की तरफ खींचे चले आते है और जितना ज्यादा भाव दो उतने ही चुम्बक के सेम पोल की तरह दूर भागते है।
मुझे ना तो उसे दूर करना था और ना ही पास लाना था। मेरा काम बस इतना ही था की मुझे उसके पागलपन को ओर भी बढ़ाना था उस से मेरा ही फायदा होने वाला था और वह क्या था मुझे बलि के लिए बकरा मिल जाता। मेरी हरकतों की वजह से वह मेरी तरफ ओर भी ज्यादा खींचने लगा और मुझे भी ये ही करना था। उसके बाद जैसा मैने सोचा था सब कुछ वैसा ही हुआ। उसका पागलपन दिन बढ़ने के साथ साथ बढ़ रहा था।
इसी वजह से उस दिन मीरा मेरे पास आई थी और जिस वे में वह मेरी तारीफ कर रही थी मैं तो उसी दिन ही समझ गई थी कि दाल में कुछ काला है। इसके बाद मीरा के साथ भी मैने ऐसा ही किया जिस से वह खुद बताए की माजरा क्या है। मै लड़की के मुंह से ही सुनना चाहती थी कि बात क्या है? बाकि तो आप लोगों ने मेरी और उसकी बातों को पहले ही देख मेरा मतलब सुन लिया होगा।
वह तो अपने आप को बहुत होशियार समझ रही थी। खुद को क्या समझ रही थी की वह मुझे अपनी झूठी प्रेम कहानी सुनाएगी और मैं यकीन कर लूंगी। हद्द है......इस तरह की लड़कियों की अपने दोस्तों की सैटिंग कराने के लिए ये कैसे कैसे झूठ बोल देती है। दोस्ती को प्यार का नाम देते हुए शर्म नही आती इन लोगों को और वह भी इसलिए ताकि मुझे दिखा सके की लड़का मेरे लिए कितना लॉयल है। ऐसे लोग क्या जाने लॉयल्टी क्या चीज होती है। लॉयल्टी ऐसी ओछी हरकतों से नही दिखाई जाती बल्कि लॉयल खुद से बना जाता है....... ना की शॉ ऑफ से।
पर इन लोगों का कुछ नही हो सकता। उस दिन उस मीरा का तो मैने बड़े अच्छे से इलाज कर दिया था और मुझे यकीन था वह दोबारा मेरे आस पास भी फटकने वाली नही क्योंकि मैंने उसकी इज्जत के साथ बेइज्जती जो की थी और हुआ भी कुछ वैसा ही वह दोबारा मुझ से कभी नहीं मिली। उसके झूठे प्यार का मुझे बहुत फायदा होने वाला था इसलिए मैंने उसे रेस्टोरेंट में आने से बिल्कुल भी मना नही की उल्टा उसे वहां पर आने दिया। अब इस बात का मुझे क्या फायदा होने वाला था ये बात को आप लोगों को आगे ही पता चलेंगी।" उसने अपनी बात पूरी करने के साथ साथ अपनी कॉफी का मग भी पूरा पी लिया था। वह अपने कॉफी के मग को साइड में रखते हुए बोली।
"क्या आप लोगों ने नोटिस किया है की मैने अपने बोलने........नही........ बातें करने का तरीका बदल दिया है। इस से पहले मैने जो भी क्राइम सीन अब से पहले डिस्क्राइब किया है वह इस तरह से किया है जैसे मै उस वक्त वही हूं सिंपल लैंग्वेज में कहूं तो डायरेक्ट वे में बताया है, पर आज मैने सारी बातें इनडायरेक्ट वे में बताई है। ऐसा क्यों.......? " इतना कहने के बाद वह खुद को ही जवाब देते हुए बोली।
"अरे दोस्तों...... सिंपल सा लॉजिक है रे। एक ही वे में अगर बातें करूंगी तो आप लोग बोर हो जाओगे रे और मै नही चाहती की आप लोग बोर हो क्योंकि आप लोग ही बोर हो जाओगे तो फिर मुझे कौन सुनेगा।" इतना कहने के बाद उसने किसी मासूम बच्चे की तरह मुंह बनाने शुरू कर दिए। मुंह बनाते हुए वह बोली।
" इसी वजह से मै बीच बीच में अब से अपनी बातों का फॉर्मेट चेंज करती रहूंगी जिस से आप लोगों का इंटरस्ट भी बना रहे। अब जैसा की मैने आप लोगों को कुछ देर पहले दोस्तों बोला तो जो मै ये खुद से ही बातें करती हूं वे बातें मै यह सोचकर बताती हूं कि मुझे बहुत सारे लोग सुन रहे है जिनके साथ मेरा रिश्ता धीरे धीरे गहरा होता जा रहा है इसलिए मैने उन्ही लोगों को अपना दोस्त मानकर उन्हें दोस्तों वर्ड से संबोधित किया है। अब तो आप लोगों को कोई कन्फ्यूजन नही होगा ना.......... " इतना कहने के बाद लड़की ने प्यारी सी एक मुस्कान दी और फिर समझाते हुए बोली।
" आगे के सारी घटना को मै डायरेक्ट वे में बताऊंगी। क्यों........? अरे आप लोग कितने सवाल जवाब करते हो। चलो.....फिर भी बता देती हूं क्यों..... क्योंकि इस तरह के सीन को अगर लाइव देखा जाए तभी तो असली मजा आता है और तभी वे चीजें ज्यादा अच्छे से फील होती है। अब सुनने मेरा मतलब फील करने के लिए तैयार हो जाए की मैने क्या क्या किया।"
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To be continued............................
Sandhya Prakash
03-Jan-2022 08:26 PM
Sawab javab to readers ka right h Miss.
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.......
04-Jan-2022 10:11 AM
Han, maine kab mana ki 😂
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राधिका माधव
03-Jan-2022 10:47 AM
Good ...!
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