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धाराएं जीवन की



जीवन है एक बहती धारा,
खेवे नाविक उतरो पारा।
जन्म समय में मां ने सहा,
पीड़ा की एक असहनीय धारा।
संतान मुख देख हो गई हर्षित,
भूली अपनी वेदना की धारा।
संतान को देते रहे मात-पिता,
जीवन भर स्नेहिल धारा।
पर जब वे हुए असहाय तो,
पुत्रों ने दिया उन्हें एकांत धारा।
जीवनवायु की गति में बहते गए,
रुके जिधर भी मिला किनारा।
कुछ लौकिक मूल्यों को पहचाना,
गुरु से मिली जब ज्ञान की धारा।
जीवन का मर्म समझ आ पाया,
दिया लोगों ने कटु अनुभव धारा।
जीवन सागर में बहती  रहती,
विविध रसों की अद्भुत धारा।
प्रेम,दया,ममता,दान,व्यथा क्षमा,
हास्य करुण मौन धारा।
कहीं कहीं देखने को मिलती,
जीवन की अति वीभत्स धारा।
स्वार्थलोलुपता की सीमा,
लांघ जाती जब नैतिक मूल्य सारा।
प्राणी प्राणी को ही छलते,ठगते,
देखते नहीं समय की धारा।
जीवन की इन्हीं उतार ,चढ़ाव से
सीख सीख कर आगे बढ़ते,
पा जाते एक दिन सत्य धारा।
असत्य सदा दबाता सत्य को।
जीतती लेकिन सच्ची धारा।
सबसे विशिष्ट सबसे अमूल्य,
बहती मन में देश प्रेम की धारा।
सर्वस्व समर्पित किया देश को,
जब जब शत्रुओं ने ललकारा।
सीमा पर डट कर खड़े हुए,
दे दिया उन्हें जवाब करारा।
मातृभूमि के सच्चे सपूत,
नमन उन्हें दें स्नेह की धारा।
व्याख्या अति विस्तृत है,
जीवन के विभिन्न आयामों की।
जीवन का पथ विस्तृत है,
प्रधानता होती है लक्ष्य की।
न्याय पालिका ने कानून बनाया,
बना दिया अनगिनत धारा।
लेकिन साक्ष्य सिद्ध होने पर ही,
मिलती है सश्रम कारा।
धाराओं के डर से भी,
कम न होती पाप की धारा।
साक्ष्य प्राप्त होने पर ही,
मिलती है सश्रम कारा।
प्रभु की हुई जब कृपा दृष्टि,
ज्ञान चक्षु की खुल गई धारा।
मोह -माया से विरत हो गए।
प्रभु के चरणों में हो नतमस्तक।
प्रेम दया की भीख माँगकर,
अपर्ण किया जीवन सारा।

स्नेहलता पाण्डेय "स्नेह"✍️✍️
       नई दिल्ली

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3 Comments

Aliya khan

30-May-2021 10:38 PM

बहुत सुन्दर

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Kumawat Meenakshi Meera

30-May-2021 08:14 PM

Bahut hi badhiya likha didi

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Vfyjgxbvxfg

30-May-2021 08:11 PM

बेहद खूबसूरत दीदी

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