किसान
तपती रेत में चलता
भुख और प्यास से लड़ता
फिर भी लगातार चलता,
,हा मै किसान हु,
देश मुझी से चलता
हर घर का चुला मुझ से जलता
फिर भी भुख से मै ही मरता,
,हा मै किसान हु,
बोडर पे भी में ही लड़ता
अपनी माटी की सेवा करता
दुश्मन की गोली खाकर भी
मै हसता हसता मरता,
, हा मै किसान हु,
तन पर कपड़ा ना मेरे
ना सर पर छत है
गुजर बसर करता अपनी
क्योंकि ये देश मेरा घर है,
,हा मै हु किसान,
मै ही पिटता मै ही लुटता
मै ही रोता
जीवन मै कभी भी
चेन की निंद ना सोता,
,हा मै हु किसान,
बचपन से ही मैंने हल है थामा
पैरो के ज़ख्मों को कभी भी जख्म ना माना
देता रहा मै तुम्हे अपना दाना दाना
फिर भी उजड़ा ही रहा मेरे घर का आशियाना,
,हा मै किसान हु,
ना पढ़ा ना लिखा तभी तो मै किसान बना
पढ़ लिख लेता अगर मै तो बन जाता नेता
फिर मेरा जमीर बिक जाता और
देता अपनी माटी को धोका,
,हा मै किसान हु,
Written by
Waseem Khan
Mohammed urooj khan
14-Mar-2022 03:52 PM
बोहोत खूब
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Nehau
05-Jan-2022 03:18 PM
👌👌
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Waseem Khan
05-Jan-2022 04:41 PM
Thankyou
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Swati chourasia
05-Jan-2022 03:12 PM
Very beautiful 👌
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Waseem Khan
05-Jan-2022 04:41 PM
Thankyou
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