Waseem Khan

Add To collaction

किसान

तपती रेत में चलता 

भुख और प्यास से लड़ता
 फिर भी लगातार चलता,
,हा मै किसान हु, 


देश मुझी से चलता
हर घर का चुला मुझ से जलता
फिर भी भुख से मै ही मरता,
,हा मै किसान हु,


बोडर पे भी में ही लड़ता
अपनी माटी की सेवा करता
दुश्मन की गोली खाकर भी
मै हसता हसता मरता,
, हा मै किसान हु, 


तन पर कपड़ा ना मेरे
ना सर पर छत है 
गुजर बसर करता अपनी
क्योंकि ये देश मेरा घर है,
,हा मै हु किसान,


मै ही पिटता मै ही लुटता
मै ही रोता 
जीवन मै कभी भी 
चेन की निंद ना सोता,
,हा मै हु किसान,


बचपन से ही मैंने हल है थामा
पैरो के ज़ख्मों को कभी भी जख्म ना माना
देता रहा मै तुम्हे अपना दाना दाना
फिर भी उजड़ा ही रहा मेरे घर का आशियाना,
,हा मै किसान हु,


ना पढ़ा ना लिखा तभी तो मै किसान बना
पढ़ लिख लेता अगर मै तो बन जाता नेता
फिर मेरा जमीर बिक जाता और
देता अपनी माटी को धोका,
,हा मै किसान हु,





         Written by 
         Waseem Khan

   7
5 Comments

Mohammed urooj khan

14-Mar-2022 03:52 PM

बोहोत खूब

Reply

Nehau

05-Jan-2022 03:18 PM

👌👌

Reply

Waseem Khan

05-Jan-2022 04:41 PM

Thankyou

Reply

Swati chourasia

05-Jan-2022 03:12 PM

Very beautiful 👌

Reply

Waseem Khan

05-Jan-2022 04:41 PM

Thankyou

Reply