Sonia Jadhav

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हम तुम- भाग 2

भाग 2
आदित्य के ध्यान ना देने पर….… सुमित आदित्य के कान में कहता है…….प्लीज हेल्प कर दे, अब अकेली लड़की को छोड़कर कैसे जायेंगे, तुझे पता है यहाँ बाहर का माहौल भी ठीक नहीं है।

आदित्य….मन तो नहीं है मेरा लेकिन तू कह रहा है तो कर देता हूँ।
सुमित….थैंक्स यार।

आदित्य…..अदिति उठो ज़रा अपनी सीट से और मुझे देखने दो कोडिंग।
किस सेक्शन में प्रॉब्लम आ रही है तुम्हें?
अदिति आदित्य को दिखाते हुए…..यहाँ प्रॉब्लम आ रही है।
आदित्य 5 मिनट में कोडिंग ठीक कर देता है और अदिति की समस्या हल हो जाती है।
अदिति…..थैंक्स आदित्य तुम्हारी मदद के लिए।

सुमित….चलो-चलो अब घर चलते हैं, पहले ही देर हो गयी है।
अदिति, मेरे और सुमित के घर को एक ही बस जाती थी, तो हम एक ही बस में बैठ गए। अदिति पहले उतर गई। हमारा स्टॉप आने में अभी समय था।

सुमित मुझे कोहनी मारते हुए…….क्यों बे! तू प्याज़-लहसुन नहीं खाता?
चांदनी चौक में जाकर तो तू खूब एग रोल, काठी रोल सब उड़ाता है।

आदित्य….क्या करता यार, पीछे सी पड़ जाती है हर बात में। अभी तो नयी-नयी आयी है और इतना बकबक करती है। सोचा पहले ही समझा दूँ, फालतू में चेप नहीं होगी ज़्यादा। मुझे बिल्कुल भी पसन्द नहीं है अदिति।
खैर झूठ भी क्या बोला….ब्राह्मण तो हूँ ही वैसे भी। घर में प्याज़ लहसुन, नॉन वेज कहाँ खाया जाता है?
इसलिए तो बाहर ही खा लेता हूँ।

सुमित….तुझे शक्ल से पसन्द नहीं है कि अक्ल से?

आदित्य हँसते हुए कहता है…..फिलहाल दोनों से।
और तुझे कैसे लगती है अदिति?

सुमित….फिलहाल मुझे तो ठीक ही लगती है अक्ल और शक्ल दोनों से। जो लोग बेबाकी से बोलते हैं वो दिल के साफ़ होते हैं, समझा?

आदित्य मुस्कुराते हुए….ओय-होय मामला गड़बड़ तो नहीं ना कहीं?

सुमित….बस कर यार, फालतू का मजाक मत कर। वो देख तेरा बस स्टॉप आ गया है। चल जा अब।
आदित्य….चल ठीक है बाय, कल मिलते हैं ऑफिस में।

सुमित.....आदित्य बाय कहकर चला गया और मैं आदित्य के बारे में सोचने लगा…..आखिर वो अदिति को इतना नापसन्द क्यों करता है?

आदित्य बस स्टॉप से पैदल जाते हुए अपने घर की तरफ अदिति के बारे में सोच रहा था।

घर पहुंचकर मुँह हाथ धोया और अनजाने में ही गुनगुनाने लगा…..जादू-जादू
मम्मी…..ले चाय पी ले और ये जादू-जादू क्यों गा रहा है? आज क्या जादू हो गया ऑफिस में?

आदित्य झेंपते हुए…..ऑफिस में कोई जादू नहीं हुआ। अरे आज सुमित ये गाना सुनते-सुनते काम कर रहा था तो बस वहीँ से ज़ुबान पर चढ़ गया गाना। मुझे तो पता भी नहीं लगा कि मैं गाना गा रहा हूँ, आपने कहा तो ध्यान आया। 

मम्मी….चल ठीक है जल्दी से चाय पी ले, थोड़ी देर में खाना लगाती हूँ।
अगले दिन से सुबह वही रूटीन शुरू हो जाता है काम का ऑफिस में। सभी अपने-अपने कामों में व्यस्त होते हैं रोज़ की तरह। अदिति और सुमित से हाय-हैलो हो चुकी होती है। 

अदिति मुझसे बस जितना जरुरी हो उतनी ही बात कर रही होती है लेकिन सुमित से और बॉस से वो खुलकर बात करती होती है। खैर मुझे उसके इस रवैये से कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन कुछ अच्छा भी नहीं लग रहा था।

ऐसे ही अपने-अपने कामों को करते-करते ऑफिस में समय गुज़र रहा था। हम तीनों शाम को ऑफिस से साथ ही घर जाते थे। अदिति की तो बोलने की आदत थी तो सुमित के साथ लगी रहती थी बतियाने में, लेकिन उसकी बातों के कारण मैं अकेला पड़ जाता था जिससे मुझे अदिति से और भी चिड़चिड़ाहट होने लगी थी।

एक दिन सुमित ऑफिस नहीं आया तो अदिति मुझसे पूछने लगी…..आज सुमित ऑफिस क्यों नहीं आया, तुम्हें तो पता ही होगा?

आदित्य….. बातें तो वो तुमसे करता है, क्यों तुम्हें नहीं बताया उसने?

अदिति…..हाँ बातें तो मुझसे करता है वो लेकिन अपने राज़ तुमसे शेयर करता है मुझसे नहीं।

आदित्य…..मैंने धीरे से कहा…..वो इंटरव्यू देने गया है जॉब के लिए किसी बड़ी कंपनी में।
यह बात सुनकर अदिति का चेहरा उतर गया।

आदित्य….. क्या हुआ, तुम्हारा चेहरा क्यों उतर गया?
अदिति….यही सोच रही हूँ वो चला गया तो मैं बात किससे करुँगी?
मुझसे तो बिना बात किए काम होता नहीं है।

आदित्य…..तुम यहाँ काम करने आती हो या बात करने? एक बात पूछूं…..तुम्हें कहीं उससे प्यार तो नहीं हो गया ना?

अदिति गुस्से से…... किसी लड़के से बात करने का मतलब प्यार नहीं होता, समझे तुम…. तो आगे से यह फालतू का सवाल मत करना। बहुत ही घटिया सोच है तुम्हारी।

आदित्य…. मन ही मन इतना गुस्सा आ रहा था कि बस कसकर सुना दूँ। ऐसा भी गलत मैंने कुछ नहीं कहा था जो इतना चिढ़कर जवाब दिया अदिति ने। पता नहीं अपने आपको समझती क्या है?

अगले दिन शाम को यही सवाल मैंने सुमित से किया…..तेरे और अदिति के बीच कुछ चल रहा है क्या?
सुमित…..पागल है क्या, वैसे ये सवाल तेरे दिमाग में आया क्यों?

आदित्य…….अरे कल तू नहीं आया था तो उदास हो रही थी। बस इसलिए मुझे लगा कि तुम दोनों के बीच…..

सुमित…..नहीं यार, वो बस एक अच्छी दोस्त है। उससे ज्यादा कुछ नहीं।
आदित्य…..वैसे मैंने कल उससे यही सवाल पूछा था, भड़क गई थी मेरे ऊपर।

सुमित हँसने लगा मेरी बात सुनकर और कहने लगा…. वैसे तेरे मन में तो नहीं ना कुछ उसे लेकर।

आदित्य……. नहीं भाई, अपने टाइप की नहीं है वो। बेहद साधारण है वो देखने में और वैसे भी मैं ठहरा ब्राह्मण, यह सब सम्भव नहीं है।सुमित…..इतनी बुरी नहीं है दिखने में वो जितना तू उसे कहता है। वैसे तुम दोनों के नामों में कितनी समानता है ना…... आदित्य और अदिति। रब ने बना दी जोड़ी जैसे नाम हैं।
आदित्य…. बंद कर यार अपनी बकवास अब। चल मेरा स्टॉप आ गया है। बाय, कल मिलते हैं ऑफिस में। 

आदित्य.....घर जाते वक़्त मुझे हँसी आ रही थी सुमित की कही बात सोचकर…. रब ने बना दी जोड़ी वाले नाम- आदित्य और अदिति।
आदित्य ऑफिस से घर आकर मम्मी को चाय देने के लिए कहता है और अपने बड़े भाई आकाश के बारे में पूछता है।
मम्मी बताती है कि आज आकाश देर से आएगा ऑफिस से। 

अच्छा आदि सुन जो लड़की देखी थी ना आकाश के लिए, उनका फोन आया था आज। उनकी तरफ से हाँ है। इतवार को बुलाया है रिश्ता पक्का करने के लिए। तू कहीं घूमने जाने का कार्यक्रम मत बनाना इतवार को।

आदित्य ये खबर सुनकर खुश हो जाता है और प्यार से अपनी मम्मी को गले से लगा लेता है।

मम्मी….तेरा भाई आकाश आ जाये घर, फिर उसे भी बता दूंगी। खुश हो जायेगा सुनकर।

एक बार आकाश की शादी हो जाए, फिर तेरे लिए लड़की ढूंढना शुरू कर दूंगी। दोनों की बहुएं घर में आ जायँगी तो फिर मेरी रसोई से छुट्टी।
आदित्य हँसते हुए…..पहले भाई की तो हो जाने दो, मेरी शादी में अभी समय है।

कुछ दिन बाद ऑफिस में….
आदित्य और अदिति सुमित को इतनी जल्दी ऑफिस में पहुंचा हुआ देखकर हैरान हो जाते हैं। वो सीडी में  अपनी कुछ ज़रूरी फाइल्स ट्रांसफर कर रहा होता है कंप्यूटर से।

आदित्य…. आज बड़ी जल्दी काम शुरू कर दिया है तूने, क्या बात है!

सुमित... अदिति और आदित्य को पास बुलाता है और धीरे कहता है….. जिस कंपनी में कुछ दिन पहले इंटरव्यू देने गया था ना मैं, वहाँ मेरा सिलेक्शन हो गया है। अगले हफ्ते से ज्वाइन करना है।
अदिति….नयी नौकरी के लिए शुभकामनायें।
आदित्य…..मेरी तरफ से भी मुबारकबाद स्वीकार कर। बहुत खुश हूँ मैं तेरे लिए।

सुमित…. थैंक यू तुम दोनों का। आज मैं सर को बता दूँगा इस बारे में। वैसे आदित्य तू कब तक टिका रहेगा यहाँ?

आदित्य…..कोशिश जारी है दूसरी जगह के लिए, देखो कब मौका मिलता है।

अदिति हैरानी से दोनों को देखते हुए…..मैं तो अभी कम से कम 6 महीने यहाँ काम करुँगी, फिर छोडूँगी।

आदित्य…..हाँ-हाँ करो ना, तुम्हें किसने रोका है?

सुमित आदित्य को आँखे दिखाते हुए…..अदिति तुम भी इंटरव्यू देती रहो, इससे तुम्हारी जानकारी बढ़ेगी कि किस तरह के सवाल पूछते हैं इंटरव्यू में और क्या पता तुम्हारा सिलेक्शन भी हो जाये कहीं अच्छी सैलरी पर।

अदिति…..बात तो तुम ठीक कह रहे हो सुमित। मैं सोचती हूँ इस बारे में।

फिर तीनों अपने-अपने काम में लग जाते हैं। उसी दिन आदित्य भी खुशखबरी सुनाता है ऑफिस में अपने भाई का रिश्ता पक्का होने की और सबको मिठाई भी बांटता है।

सर कहते हैं….आदित्य ने तो मिठाई बाँट दी है, अब सुमित की बारी है पार्टी देने की अपनी नयी नौकरी की। सुन लो सब कल कोई खाना नहीं लायेगा, लंच सुमित की तरफ से होगा। 
क्यों ठीक कहा ना सुमित?
सुमित….हाँ-हाँ सर, कल की पार्टी मेरी तरफ से होगी पक्का।

सर…..सुमित तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा काम कौन संभालेगा ऑफिस में? नए व्यक्ति को नियुक्त करने में थोड़ा तो समय लगेगा ना?

सुमित…..सर अदिति है ना, उसे प्रोग्रामिंग के साथ-साथ डिजाइनिंग भी आती है। एक दिन बता रही थी कि उसने डिजाइनिंग का कोर्स किया हुआ है। बाकी जितने दिन मैं हूँ यहाँ, मैं उसे काम सिखा दूँगा। जब तक आपको कोई और व्यक्ति नहीं मिलता मेरी जगह, तब तक अदिति काम संभाल लेगी। आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
सर…..क्यों अदिति संभाल लोगी?
अदिति…..संभाल तो लूँगी सर लेकिन सिर्फ कुछ दिनों के लिए।

आदित्य मन ही मन सोचते हुए…..बड़ी जानकारी रखता है अदिति के बारे में। मुझे तो पता ही नहीं था ये सब? हद है बैठती मेरे साथ है और जानकारी सुमित को है सारी।

सर….चलो ठीक है मुझे मीटिंग के लिए जाना है बाहर, शाम को मुझे देर हो जायेगी आने में। शाम को घर जाने से पहले मुझे फोन पर अपडेट देकर जाना अपने-अपने काम की।
हम तीनों एक साथ बोले….जी सर और अपने-अपने काम में लग गए।

बॉस के जाने के बाद ही आदित्य,सुमित और अदिति का  राज हो जाता था ऑफिस में। तीनों गाने चलाते थे कंप्यूटर में और गाने सुनते-सुनते काम करते थे।

शाम को ऑफिस खत्म होने के बाद  तीनों बस स्टॉप तक पैदल जा रहे थे। तभी अदिति बोली सुमित से…..नये दोस्तों के चक्कर में पुरानों को भूल मत जाना। अपनी खोजखबर देते रहना और हमारी लेते रहना।

सुमित…..हाँ-हाँ ज़रूर, ये भी कोई कहने वाली बात है क्या? कभी भी मन करे बात करने का तो बेधड़क फोन कर लेना, मेरा फोन नंबर तो है ही तुम्हारे पास।
अदिति….थैंक यू सुमित।

मैं तिरछी नज़रों से सुमित की तरफ देख रहा था।
अदिति के जाने के बाद आदित्य सुमित से पूछता है..
.. तूने फोन नंबर कब दिया उसको और तुझे कैसे पता चला कि उसे डिजाइनिंग आती है?

सुमित…….अब तूने तो दिया नहीं उसे अपना नंबर तो मैंने दे दिया। ऐसे ही बातों-बातों में बताया था उसने डिजाइनिंग के कोर्स के बारे में। तू ज़्यादा दिमाग के घोड़े मत दौड़ा। वैसे तो तुझे वो पसंद नहीं है, फिर तू मेरे और उसके बात करने पर सवाल क्यों करने बैठ जाता है? समझ नहीं आता मुझे। 

वैसे वो इतनी भी बुरी नहीं है देखने में जितनी तुझे लगती है, दिल की बहुत अच्छी है वो।
कहीं तू मन ही मन उसे पसन्द तो नहीं करता और बाहर से दिखावा करता है उसे नापसन्द करने का?

आदित्य….चल ओए, इतना भी पागल नहीं हुआ जो उसे पसन्द करूँ। चल मेरा स्टॉप आ गया है, बाय कल मिलते हैं ऑफिस में।

घर जाते हुए आदित्य के दिमाग की सुई एक बार फिर से अदिति की तरफ घूम जाती है और वो सोचने लगता है क्या उसे सच में अदिति पसन्द है?
दिल और दिमाग दोनों ही कहते हैं.....ना

❤सोनिया जाधव
#लेखनी 



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2 Comments

Shrishti pandey

08-Jan-2022 04:52 PM

Nice one

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Seema Priyadarshini sahay

07-Jan-2022 08:44 PM

बढ़िया रोचक भाग।अच्छी आफिस वाली नोकझोंक

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